भारत का आत्मनिर्भर बनने की दिशा में 2027 तक Third Largest Economy बनने का सपना
punjabkesari.in Monday, Feb 17, 2025 - 11:09 AM (IST)
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नेशनल डेस्क। भारत ने 77 साल पहले विदेशी शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद अपनी शक्ति और समृद्धि का नया मार्ग तय किया है। आज भारत एक लचीला और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनकर उभरा है जो अपनी जनसंख्या और विविध भूगोल की ताकत से पूरी दुनिया की जरूरतों को पूरा कर रहा है। वहीं भारत का लक्ष्य 2027 तक जापान और जर्मनी को पछाड़कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का है।
भारत का वैश्विक विकास भारत अब वैश्विक निगमों के लिए सबसे तेजी से बढ़ते देशों में से एक बनकर उभरा है। यह "मेक इन इंडिया" की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ाते हुए न केवल अपने उपभोक्ताओं की सेवा कर रहा है बल्कि दुनिया के लिए एक वैश्विक विनिर्माण और नवाचार केंद्र बन गया है। भारत की आर्थिक लचीलापन और युवाओं की बढ़ती संख्या इसे वैश्विक निगमों के लिए आदर्श बनाती है।
विकास की गति में योगदान देने वाले कारक भारत के तेजी से बढ़ते विनिर्माण क्षेत्र में कई ऐसे कारक शामिल हैं जो इसे वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक हैं।
➤ नीति-निर्माण का दबाव
भारत के केंद्रीय बजट ने विनिर्माण क्षेत्र के लिए एक ठोस रूपरेखा प्रस्तुत की है जो छोटे और बड़े उद्योगों के लिए एक आदर्श मॉडल साबित हो सकती है। राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जो कार्यबल, प्रौद्योगिकी और गुणवत्ता उत्पादों के विकास को ध्यान में रखकर देश को वैश्विक केंद्र बनाएगा।
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➤ तकनीकी प्रगति
भारत अपनी विनिर्माण क्षमता में सुधार लाने के लिए नई तकनीकों को अपना रहा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और रोबोटिक्स जैसे नवाचार भारत को वैश्विक मानकों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद कर रहे हैं। इससे भारत की विनिर्माण प्रक्रिया में दक्षता और सटीकता आई है जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल हुई है।
➤ प्रतिभा का उन्नयन
भारत की युवा और कुशल कार्यबल इसका एक अहम हिस्सा है। सरकार की योजनाओं के तहत इस कार्यबल को कुशल बनाने का कार्य किया जा रहा है जिससे वे उच्चतम गुणवत्ता वाली सेवाएं और उत्पाद प्रदान कर सकें।
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➤ बुनियादी ढांचे का विकास
सरकार के बुनियादी ढांचे के विकास के प्रयासों के कारण देश के भीतर और बाहर माल की आवाजाही में तेजी आई है। “गति शक्ति” जैसी परियोजनाएं लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी को मजबूत कर रही हैं जिससे निर्माताओं के लिए संचालन में सुविधा होती है और साथ ही यह निर्यात के लिए भी लाभकारी है।
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➤ भारत का भविष्य
एक मजबूत वैश्विक निर्माता भारत की दृष्टि 2027 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की है। इसके बाद 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। यह समय है कि वैश्विक कंपनियां अपनी रणनीतियों को भारत के इस विकासशील बाजार में अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार करें।
भारत की विनिर्माण क्षमताओं का विकास सिर्फ घरेलू बाजार के लिए नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर सफलता हासिल करने का एक आदर्श उदाहरण बन सकता है। उद्योग और कंपनियों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है जो भारतीय बाजार में निवेश करके न केवल अपनी वृद्धि को गति दे सकते हैं बल्कि एक स्थिर और शक्तिशाली आधार के रूप में भारत को मान्यता प्रदान कर सकते हैं।