कतर के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर सावधानी से आगे बढ़े भारत: GTRI
punjabkesari.in Wednesday, Feb 19, 2025 - 04:32 PM (IST)
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नई दिल्लीः आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने बुधवार को कहा कि भारत को कतर के साथ संभावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर, विशेष रूप से पेट्रोरसायन क्षेत्र में सावधानी से कदम उठाना चाहिए, क्योंकि दोनों देश इस क्षेत्र में मजबूत हैं। जीटीआरआई ने कहा कि भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पेट्रोरसायन और ऊर्जा संबंधी आयात पर शुल्क रियायतों से घरेलू उद्योगों को नुकसान न पहुंचे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद अल-सानी की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) में प्रवेश करने की संभावना तलाशने पर सहमत हुए हैं। इसका उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 28 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। सीईपीए एक तरह का मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होता है। इसमें आमतौर पर दो व्यापारिक साझेदार अपने बीच व्यापार किए जाने वाले अधिकतम उत्पादों (90-95 प्रतिशत) पर सीमा शुल्क को या तो पूरी तरह खत्म कर देते हैं या काफी कम कर देते हैं।
इसके अलावा, वे सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को आसान बनाते हैं। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार संरचना को देखते हुए, व्यापार समझौते पर ‘सावधानी से विचार किया जाना चाहिए।' उन्होंने कहा कि भारत के पास एक अच्छी तरह से विकसित घरेलू पेट्रोरसायन उद्योग है। यदि शुल्क में कटौती से कतर से सस्ते आयात का प्रवाह होता है, तो इसे चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि कतर के साथ भारत का पहले से ही काफी व्यापार घाटा है और अगर यदि बाजार पहुंच लाभ को संतुलित नहीं किया जाता है तो व्यापार समझौते के बाद यह घाटा और बढ़ सकता है। उन्होंने कहा, “इस तरह के समझौते पर आगे बढ़ने से पहले क्षेत्रीय प्रभावों, विशेष रूप से ऊर्जा और विनिर्माण का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन आवश्यक होगा।” कतर के साथ भारत का व्यापार काफी असंतुलन वाला है। वित्त वर्ष 2023-24 में कतर से देश का आयात 12.34 अरब डॉलर था, जबकि इसका निर्यात सिर्फ 1.7 अरब डॉलर था।