मुस्लिम छात्र संगठन एमएसओ पीएफआई पर प्रतिबंध को बताया तर्कसंगत, कहा युवा अपानाएं सूफ़ीवाद

punjabkesari.in Thursday, Sep 29, 2022 - 12:54 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत के सूफी छात्र संगठन मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (एमएसओ) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर पांच वर्ष के प्रतिबंध को तर्कसंगत बताया है। संगठन ने कहा है कि भारत के मुस्लिम यवाओं को कट्‌टरपंथ छोड़ कर सच्चे इस्लाम की सूफ़ीवाद की धारा से जुड़ना चाहिए। 

संगठन ने यहां जारी एक बयान में कहा है कि पीएफआई और इससे संबंधित संगठनों कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया, रिहैब फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया, रिहैब फ़ाउंडेशन (केरल), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फण्ड्रेशन ऑफ़ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइज़ेशन, नेशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट और एम्पावर इंडिया फाउंडेशन के लगातार ग़ैर क़ानूनी क्रियाकलापों में संलिप्त पाए जाने के समाचार मिल रहे थे। 

ऐसे में भारत के मुस्लिम युवाओं, छात्रों, महिलाओं, बच्चों, इमामों और आम लोगों को साथ लेकर जिन खतरनाक मंसूबों पर पीएफआई काम कर रहा था, उसे उचित नहीं कहा जा सकता। बयान में कहा गया है कि केरल की सरकार ने अपने हलफनामे में पीएफआई पर 27 हत्याओं में संलिप्त रहने, पीएफआई के कार्यकर्ताओं के सीरिया में इस्लामिक स्टेट ज्वाइन करने और आतंकवादी संगठनों का साहित्य मिलने का दावा किया था। इसी तरह 28 सितंबर 2022 को पीएफआई औरइसके  संगठनों पर पांच साल के लिए लगाए गए प्रतिबंध के सरकारी गजट में बांग्लादेश के आतंकवादी संगठन जमात उल मुजाहिदीन से संबंध का हवाला दिया गया है।

यह सर्वविदित है कि पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमा अब्दुल सलाम समेत कई पदाधिकारी पूर्व में प्रतिबंधित छात्र संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया यानी सिमी में रह चुके हैं। इस तरह यह कहना उचित होगा कि सिमी ही पीएफआई के विकराल रूप में सामने आई है। कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के लड़कों के केरल में कई आपराधिक घटनाओं में संलिप्त रहने और इमाम काउंसिल के कई इमामों की जुमे की नमाज़ से पहले आग लगाने वाली तक़रीरों ने मुसलमानों का नुकसान ही किया है। 


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Content Writer

Anil dev

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