'कंधार कांड' को पूरे हुए 18 साल, आज तक उस एक गलती का खामियाजा उठा रहा देश

punjabkesari.in Sunday, Dec 24, 2017 - 09:39 PM (IST)

नेशनल डेस्कः भारत की एविएशन हिस्‍ट्री का यह एक बेहद दर्दनाक चैप्‍टर है कंधार कांड। जिन लोगों ने इसको करीब से देखा उनके दर्द को शब्‍दों में बयां करना नामुमकिन है। आज उस घटना को 18 साल बीत गए है। 24 दिसंबर 1999 को नेपाल के त्रिभुवन एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 ने उड़ान तो दिल्ली के लिए भरी थी लेकिन आतंकवादी फ्लाईट को हाईजैक करके कंधार ले गए, जोकि आगे चलकर कंधार कांड कहलाया। इसे हरकत उल मुजाहिद्दीन के आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था। इस खबर ने भारत सरकार की नींद उड़ा कर रख दी थी।

तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के विदेश मंत्री जसवंत सिंह को खुद कंधार जाकर जैश-ए -मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद को छोड़ना पड़ा। इसका खामियाजा वाजपेयी सरकार को दो साल बाद 13 दिसंबर 2001 को जैश-ए -मोहम्मद ने संसद भवन पर हमला किया जिसमें 8 सुरक्षा कर्मियों को अपनी जान गवानी पड़ी। 
PunjabKesariअमृतसर, लाहौर, दुबई के रास्‍ते पहुंचे कंधार 
इस विमान में 176 यात्री और 15 क्रू मैंबर सवार सवार थे। आतंकियों ने IC-814 विमान को शाम करीब साढ़े पांच बजे हाईजैक किया था। इसके बाद इस विमान को पहले अमृतसर उसके बाद लाहौर फिर दुबई और अंत में अफगानिस्तान के कंधार में उतारा था। उस दौरान आतंकियों ने दुबई में 176 यात्रियों में से 27 यात्री रिहा किए थे, इनमें ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। रूपिन कात्याल नाम के एक यात्री को चाकू से बुरी तरह गोदकर मार डाला था जबकि कई अन्य को घायल कर दिया था। आतंकी अपने तीन खूंखार साथियों मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुस्ताक अहमद जर्गर की छुड़ना चाहते थे। इसके चलते उन्होंने भारत सरकार से 36 चरमपंथी साथियों के साथ 20 करोड़ अमरीकी डॉलर की फिरौती की मांग रखी।
PunjabKesariविमान चालक दल ने दिखाई थी सूझबूझ
उस वक्‍त इस विमान को चलाने वाले चालक दल के सदस्‍यों ने काफी सूझबूझ दिखाते हुए विमान में तत्‍काल इसके हाईजैक होने की घोषणा कर दी थी। इसके अलावा उन्‍होंने विमान की गति को भी काफी धीमा कर दिया था, ताकि भारत सरकार कोई सही फैसला ले सके। विमान चालक आतंकियों को इस बात को मनाने में भी सफल हो गए थे कि इस विमान में ईंधन काफी कम है और वह केवल दिल्‍ली या अमृतसर ही जा सकता है। 
PunjabKesariआतंकियों पर काबू पाने का मौका गंवा दिया
उस वक्‍त सरकार की एक चूक ने सारा मामला खराब कर दिया। इस पूरे ऑपरेशन की कमान संभालने वाले पूर्व रॉ चीफ एएस दुलत ने अपनी एक किताब में 'कश्मीर: द वाजपेयी ईयर्स' में कंधार कांड का विस्‍तार से जिक्र किया है। इसका खुलासा करते हुए पूर्व रॉ चीफ ने लिखा कि 24 दिसंबर, 1999 को जब विमान अमृतसर में उतरा तो केंद्र सरकार और पंजाब सरकार कोई फैसला नहीं कर पाईं। नतीजा यह हुआ कि 5 घंटों तक आपदा प्रबंधन समूह (सीएमजी) की मीटिंग होती रही और प्लेन अमृतसर से उड़ गया और इस तरह आतंकियों पर काबू पाने का मौका देश ने गंवा दिया।
PunjabKesariमजबूरन वाजपेयी सरकार को माननी पड़ी मांग
ठीक आठ दिन के बाद साल के आख़िरी दिन यानी 31 दिसंबर को सरकार और अपहरणकर्ताओं के बीच समझौते के बाद दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर अगवा रखे गए सभी 155 बंधकों को रिहा कर दिया गया। ये ड्रामा उस वक्त ख़त्म हुआ जब वाजपेयी सरकार भारतीय जेलों में बंद कुछ चरमपंथियों को रिहा करने के लिए तैयार हो गई। तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के विदेश मंत्री जसवंत सिंह ख़ुद तीन चरमपंथियों अपने साथ कंधार ले गए थे। छोड़े गए चरमपंथियों में जैश-ए -मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद शामिल थे।


 


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