भारत करता है ई-कचरे का आयात, पीएम मोदी ने प्लास्टिक को बताया बड़ा खतरा

punjabkesari.in Friday, Aug 16, 2019 - 06:33 PM (IST)

नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से दिए भाषण में प्लास्टिक को पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बताया था। उन्होंने प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और रिसाइकिल प्लास्टिक के उपयोग को बढ़ाने की बात कही। पीएम मोदी के भाषण के बाद इस बात ​की चर्चा तेज हो गई है कि प्लास्टिक किस प्रकार हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है इससे कैसे छुटकारा मिल सकता है।

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पीएम मोदी की चिंता के बावजूद भारत प्लास्टिक कचरे के एक रूप में ई कचरे का आयात भी करता है। भारत में प्लास्टिक कचरे का एक रूप ई कचरे का शोधन में बहुत बड़ा बाजार बन चुका है। वर्ष 2016 में ई कचरे और प्लास्टिक के शोधन में दस लाख लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोजगार भी मिला हुआ है। यानी यह कचरा भारत के लाखों लोगों की रोजी-रोटी से भी जुड़ा हुआ है। ई कचरे (कम्प्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल) को बनाने में प्रयुक्त सोने या चांदी को निकालने के लिए इसका शोधन किया जाता है।  

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एक आंकड़े के मुताबिक ई-कचरे के उत्पादन में भारत चीन (7.2 मिलियन टन), यूएस (6.3 मिलियन टन), जापान (2.1 मिलियन टन) के बाद चौथे नंबर पर आता है जो प्रतिवर्ष 1.9 मिलियन टन कचरा प्रतिवर्ष पैदा करता है। प्लास्टिक की बात करें तो भारत में प्रति वर्ष लगभग 13 लाख टन प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। इससे लगभग नौ लाख टन कचरा हर साल पैदा होता है। प्रतिदिन के हिसाब से देखें तो 15 हजार टन प्लास्टिक कचरा रोज पैदा होता है जिसमें केवल नौ हजार टन कचरा ही रिसाइकिल किया जाता है।

केवल 60 फीसदी हिस्सा ही हो पाता है रिसाइकिल
भारत में प्रयोग होने वाले प्लास्टिक का केवल 60 फीसदी हिस्सा ही रिसाइकिल हो पाता है। यानी लगभग चालीस फीसदी हिस्सा खेतों, नदियों और समुद्र जैसे जल स्रोतों, सड़कों, वनों और अन्य जगहों पर जमीन में पड़ा रह जाता है। इससे न सिर्फ खेती की उत्पादकता प्रभावित होती है, बल्कि यह जलीय जन्तुओं के लिए मौत का जाल भी बन रहा है।

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दवाइयों और इंजेक्शन को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए होता है प्लास्टिक का उपयोग

प्लास्टिक से जुड़े क्षेत्र में काम कर रहे विशेषज्ञों के मुताबिक़ इससे पूरी तरह छुटकारा पाना बेहद मुश्किल है। इसकी वजह यह है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में अनेक ऐसी दवाएं, इंजेक्शन और सामग्रियां हैं जिन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक की आवश्यकता होती है। फिलहाल इसका कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में गैर जरूरी क्षेत्रों में प्लास्टिक के उपयोग को घटाने और स्वास्थ्य, वैज्ञानिक जैसे क्षेत्रों में उपयोग हो रहे प्लास्टिक को रिसाइकिल करने से समस्या का बड़ा समाधान निकल सकता है।

प्रधानमंत्री की अपील का कैट ने किया समर्थन 
खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने प्लास्टिक इस्तेमाल को हतोत्साहित करने, डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने समेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनता और कारोबारियों से की गई विभिन्न अपीलों का स्वागत किया। संगठन ने कहा कि वह प्रधानमंत्री की इन घोषणाओं को अमल में लाने की दिशा में भरपूर योगदान देगा। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए देश की जनता से कई आह्वान किए। उन्होंने लोगों से एकल इस्तेमाल वाले प्लास्टिक उत्पादों को हतोत्साहित करने को कहा। उन्होंने खुदरा कारोबारियों से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने तथा नकद लेन-देन में कमी लाने की भी अपील की। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों को कपड़े अथवा जूट से बने थैले उपहार में देने चाहिए। 

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कैट ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि वह इन मुद्दों पर काम आगे बढ़ाने के लिए देशव्यापी अभियान चलाएगी। इस सिलसिले में सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं का एक राष्ट्रीय सम्मेलन आगामी 29 अगस्त को दिल्ली में बुलाया गया है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा, ‘दो अक्टूबर से शुरू होने वाले प्लास्टिक प्रतिबंध अभियान का व्यापारी पूर्ण समर्थन करेंगे और इसके लिए देश भर में एक अभियान भी चलाया जाएगा। हालांकि, प्रतिबंध लगाने से पहले इस उद्योग से जुड़े लोगों को वैकल्पिक व्यवसाय उपलब्ध कराया जाना चाहिए।' उन्होंने कहा कि कैट सभी खुदरा दुकानदारों को अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में ‘डिजिटल को हाँ, नकद को ना' का बोर्ड लगाने की सलाह देगी।


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shukdev

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