FY26 में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.5% रहेगी, अगले साल 6.7% की उम्मीद, इस अमेरिकी फर्म दावा
punjabkesari.in Monday, Nov 24, 2025 - 08:57 PM (IST)
नेशनल डेस्क : अमेरिकी ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने सोमवार को अनुमान लगाया कि इस वित्त वर्ष भारत की आर्थिक वृद्धि 6.5% रहेगी और अगले वित्त वर्ष में यह बढ़कर 6.7% हो सकती है। एजेंसी ने कहा कि हाल में किए गए कर कटौती के कदम और सस्ते कर्ज मिलने से लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ी है, जिससे घरेलू मांग मजबूत बनी रहेगी।
एसएंडपी की एशिया-पैसिफिक आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2026 में 6.5% और वित्त वर्ष 2027 में 6.7% की रफ्तार से बढ़ेगी। अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव के बावजूद, देश में मजबूत खपत के कारण आर्थिक विकास अच्छा बना हुआ है। अप्रैल-जून तिमाही में भारत का वास्तविक जीडीपी 7.8% बढ़ा, जो पिछले पांच तिमाहियों में सबसे तेज वृद्धि है। जुलाई-सितंबर तिमाही के आधिकारिक आंकड़े 28 नवंबर को जारी होंगे, जो साल की दूसरी छमाही की आर्थिक रफ्तार स्पष्ट करेंगे।
अर्थशास्त्रियों के सर्वे में 7.3% वृद्धि का अनुमान
ईटी द्वारा 12 अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए सर्वे में सामने आया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिर मांग, सरकारी खर्च बढ़ना और शुरुआती निर्यात में वृद्धि के चलते दूसरी तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि 7.3% रह सकती है। अनुमान 6.9% से 7.7% के बीच थे, और औसत 7.3% रहा। वहीं, आरबीआई ने इस तिमाही के लिए 7% वृद्धि का अनुमान लगाया है। इस वित्त वर्ष के लिए आरबीआई ने 6.8% वृद्धि का अनुमान रखा है, जो पिछले वर्ष की 6.5% वृद्धि से बेहतर है।
एसएंडपी ने कहा कि यदि भारत और अमेरिका के बीच कोई व्यापार समझौता होता है, तो इससे अनिश्चितता कम होगी और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। इसका फायदा उन उद्योगों को मिलेगा, जहां अधिक श्रमिक लगे हैं और जो वैश्विक मांग में कमी से प्रभावित हुए हैं।
जीएसटी और ब्याज दर में कटौती से खपत बढ़ेगी
एसएंडपी ने कहा कि जीएसटी दरों में कटौती मध्यम वर्ग के खर्च को बढ़ावा देगी और हाल में आयकर में कमी तथा ब्याज दर घटने के असर को और मजबूत करेगी। ये बदलाव निवेश की तुलना में खपत को आर्थिक विकास की बड़ी ताकत बनाएंगे। जून में आरबीआई ने अपनी मुख्य ब्याज दर 50 आधार अंक घटाकर 5.5% कर दी थी, जो तीन साल में सबसे कम है। 22 सितंबर से लगभग 375 वस्तुओं पर जीएसटी दर घटाई गई, जिससे रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो गई हैं।
एसएंडपी ने यह भी कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ ने निर्यात-आधारित फैक्ट्रियों को नुकसान पहुंचाया है। हालांकि, कुछ संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका भारतीय सामानों पर टैरिफ कम कर सकता है। एजेंसी ने चेतावनी दी कि नई अमेरिकी व्यापार नीति के कारण सरकारें और कंपनियां छूट पाने में समय और पैसा खर्च कर रही हैं, जिससे उत्पादकता पर ध्यान कम हो रहा है।
