रूस के टैंक होंगे तबाह! भारत बना सकता है टैंकों का सूपड़ा साफ करने वाला हथियार, जल्द होगा बड़ा खुलासा
punjabkesari.in Wednesday, Jul 16, 2025 - 02:38 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। अमेरिका की मशहूर जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइल को भारत के साथ मिलकर बनाने की तैयारी जोरों पर है। यूक्रेन युद्ध में रूसी टैंकों के खिलाफ इस मिसाइल की जबरदस्त सफलता ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। अब भारत भी ‘मेक इन इंडिया’ योजना के तहत इस ताकतवर हथियार का निर्माण करना चाहता है, जो हमारे पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में तैनात सैनिकों के लिए बेहद कारगर साबित होगा। यह मिसाइलें खास तौर पर टैंकों को नष्ट करने के लिए डिजाइन की गई हैं और अब तक यूक्रेन की सेना ने इन मिसाइलों का इस्तेमाल कर रूसी टैंकों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। भारत की इस पहल से विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम होगी और देश अपनी जरूरत के अनुसार एंटी-टैंक मिसाइलों का उत्पादन खुद कर सकेगा। जल्द ही इस बड़े रक्षा सौदे का खुलासा होने वाला है, जो भारत की सुरक्षा क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
जेवलिन मिसाइल क्या है?
जेवलिन एक कंधे पर रखकर फायर की जाने वाली थर्ड जनरेशन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है। इसे ऑपरेटर एक बार लक्ष्य पर लॉक करता है, उसके बाद मिसाइल खुद ही लक्ष्य की तरफ बढ़ती है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत इसकी ‘टॉप-अटैक’ क्षमता है, जिसका मतलब है कि यह दुश्मन के टैंक के सबसे कमजोर हिस्से यानी ऊपर से हमला करती है, जिससे टैंक जल्दी नष्ट हो जाता है। इसका वजन लगभग 22 किलो और लंबाई लगभग 1.1 मीटर है। इसकी रेंज 65 मीटर से लेकर 2.5 किलोमीटर तक होती है, जबकि नए संस्करण में यह रेंज 4 किलोमीटर तक बढ़ गई है।
जेवलिन की ताकत और यूक्रेन की जीत
यूक्रेन की सेना ने रूस के सैकड़ों टैंकों को जेवलिन मिसाइलों के जरिए भारी नुकसान पहुंचाया। ये मिसाइलें इतनी असरदार साबित हुईं कि रूस को अपनी अग्रिम टैंक पंक्ति को पीछे हटाना पड़ा। ये मिसाइलें न केवल टैंकों बल्कि किलों, बंकरों, इमारतों और हेलिकॉप्टर जैसे लक्ष्यों पर भी निशाना साध सकती हैं। 2019 तक इस मिसाइल ने 5000 से अधिक सफल मिशन पूरे किए हैं।
भारत क्यों चाहता है मेक इन इंडिया?
भारत की सेना पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में तैनात जवानों के लिए हल्के और आसानी से चलाने वाले हथियार चाहती है। जेवलिन मिसाइलों को एक या दो सैनिक कंधे पर रखकर बिना किसी वाहन या लॉन्चर के फायर कर सकते हैं। भारत के सीनियर डिफेंस अधिकारियों ने अमेरिका को लेटर सौंप दिया है और बातचीत अंतिम चरण में है। इस कदम से भारत की विदेशी हथियारों पर निर्भरता घटेगी और देश अपनी जरूरत के हिसाब से मिसाइलों का उत्पादन कर सकेगा।
भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को मिलेगी नई ताकत
हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के डिफेंस सेक्रेटरी पीट हेगसेथ से बातचीत की थी, जिसमें दोनों देशों ने डिफेंस सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। इससे पहले GE-414 जेट इंजन के भारत में निर्माण को लेकर भी बातचीत हुई है। जेवलिन मिसाइल के को-प्रोडक्शन से दोनों देशों के रक्षा संबंधों को नई गति मिलने की उम्मीद है। अमेरिकी रक्षा कंपनियां रेथियॉन और लॉकहीड मार्टिन इस मिसाइल का निर्माण करती हैं।
जेवलिन मिसाइल की कीमत
जेवलिन मिसाइल की कीमत प्रति यूनिट लगभग 1 लाख 75 हजार से 2 लाख 50 हजार अमेरिकी डॉलर के बीच है। भारत में इसके निर्माण के शुरू होते ही कीमतों में कमी आ सकती है, जिससे यह मिसाइल भारतीय सेना के लिए और भी किफायती हो जाएगी।