यहां रावण जलाया नहीं, मारा जाता है
punjabkesari.in Saturday, Sep 30, 2017 - 04:07 PM (IST)
सीकर: विजयदशमी पर पूरे देश में बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का वध अलग-अलग ढंग से किया जाता है लेकिन राजस्थान के सीकर जिले के बाय में रावण का पुतला नहीं बनाया जाता है बल्कि रावण बने व्यक्ति का काल्पनिक वध किया जाता है। सीकर जिले के दांतारामगढ के बाय गांव की पहचान दशहरे मेले के लिए देश भर में है। दक्षिण भारतीय शैली में होने वाले इस मेले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
राम-रावण की सेना के बीच होता है युद्ध
मेले की विशेषता यह है कि विजयादशमी के दिन राम रावण की सेना के बीच युद्ध होता है। इसमें बुराई के प्रतीक रावण का वध किया जाता है। इससे पहले गांव के सीनियर स्कूल के मैदान में दोनों सेना आमने-सामने होती है। यहां दोनों सेनाओं के बीच काल्पनिक युद्ध होता है जिसमे रावण को मार दिया जाता है। रावण की मृत्यृ के बाद शोभायात्रा निकाल कर विजय का जश्न मनाया जाता है। शोभायात्रा भगवान लक्ष्मीनाथ मंदिर पहुंच कर सम्पन होती है। यहां भगवान की आरती की जाती है और नाच गाकर उत्सव मनाया जाता है।
मेले मेें मुस्लिम लोग भी लेते हैं भाग
मंदिर के पुजारी रामावतार पाराशर के अनुसार मेले की शुरुआत करीब 162 साल पहले हुई थी। अंग्रेजों ने गांव वालों पर कर लगा दिया था। इसके विरोध में गावंवासी एकजुट हो गये ओर अनशन-आंदोलन शुरू कर दिया। गांव वालों के अनशन के आगे अंग्रेजों को झुकना पड़ा और कर को हटाया गया। इस आंदोलन में जीत के उपलक्ष्य में विजयादशमी मेला शुरू किया गया जो अनवरत जारी है। उन्होंने बताया कि काल्पनिक युद्ध में करीब 200 लोग शामिल होते है। इसमें सभी जाति धर्म के लोग खुले दिल से सहयोग करते हंै। पाराशर के अनुसार बाय का दशहरा मेला कौमी एकता और सछ्वाव की मिसाल है। मेले में गांव के मुस्लिम लोग भी सक्रिय भागीदारी निभाते है।
