ज्योतिष के अनुसार इन 5 महीनों में ISRO करता है 100% सफल लॉन्चिंग

punjabkesari.in Tuesday, Jul 23, 2019 - 04:03 PM (IST)

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चंद्रयान 2 कल यानि 22 जुलाई को दोपहर 2.43 पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा लॉन्च किया गया और ये भारत का दूसरा मून मिशन रहा है। आज से ठीक 31 साल पहले इसी तारीख को पहला मून मिशन पूरी तरह सफल नहीं हुआ था। बता दें अब तक इसरो ने अंतरिक्ष में कुल 370 उपग्रह छोड़े हैं और इनमें से 101 देसी और 269 विदेशी सैटेलाइट शामिल हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि अगर मून मिशन-2 सफल रहा तो इनकी संख्या 371 हो जाएगी। लेकिन भारत के इन मिशन की सफलता साल के महीनों पर भी निर्भर करती है। तो चलिए आगे जानते हैं इस मिशन के लिए इस बार जुलाई का महीना कैसा रहने वाला है। 
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कौन से महीने का सक्सेस रेट 100 फीसदी रहा
अगर देखा जाए तो इसरो को जनवरी, फरवरी, मई, अक्टूबर और नवंबर में लॉन्चिंग करने पर 100 प्रतिशत सफलता ही मिली है। उन्होंने जनवरी में 9, फरवरी में 5, मई महीने में 10, अक्टूबर में 7 और नवंबर में 5 स्पेसक्राफ्ट मिशन लॉन्च किए और हर मिशन सफल रहा है।

सफलता का सक्सेस रेट 87 से 94 फीसदी रहा
इसरो ने मार्च महीने में कुल 8 स्पेसक्राफ्ट लॉन्च और इनमें से एक पूरी तरह से फेल हो गया था, जिसका सक्सेस रेट 87.5% रहा। उसी तरह जून महीने में 8 लॉन्चिंग हुई लेकिन एक 4 जून 1997 की लॉन्चिंग फेल रही और 87 फीसदी ही उसका रिजल्ट रहा। दिसंबर महीने में इसरो ने 9 लॉन्चिंग की, लेकिन 25 दिसंबर 2010 वाली लॉन्चिंग फेल हो गई और सक्सेस रेट 88.8 फीसदी ही रहा। सितंबर में 11 लॉन्चिंग की, उनमें से 20 सितंबर 1993 को की गई लॉन्चिंग फेल हो गई और सक्सेस रेट 90.91% रहा है। अप्रैल महीने में इसरो ने सबसे ज्यादा 17 लॉन्चिंग की हैं लेकिन उनमें से अब तक एक 10 अप्रैल 1982 की लॉन्चिंग ही फेल रही। 
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अबतक जुलाई का सक्सेस रेट सबसे कम
जुलाई महीने में कुल 10 लॉन्चिंग हुई, जिनमें से 3 लॉन्चिंग फेल रही और सक्सेस रेट बहुत ही कम 57.15% रहा। अगस्त में अब तक 6 लॉन्चिंग हुई, जिनमें से 2 असफल रही और 66.67 प्रतिशत रेट रहा।
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7 सैटेलाइट जो अध्ययन के लिए छोड़े गए
इसरो के वैज्ञानिकों ने 1987 से लेकर अब तक सुदूर ग्रहों के अध्ययन के लिए 7 उपग्रह लॉन्च किए हैं। शुरुआती जो चार उपग्रह थे वो केवल प्रायोगिक ही थे। इसके बाद 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान 1 लॉन्च किया गया। 2013 में मंगलयान और 2015 में एस्ट्रोसेट का प्रक्षेपण किया गया और 1987 से लेकर अब तक सिर्फ एक लॉन्चिंग ही फेल हुई थी, उसके बाद से एक में भी असफल नहीं हुए।  


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