बुलेट ट्रेेन में आम,चीकू किसानों का अड़ंगा, फंड मिलने भी आ सकती है अड़चन
punjabkesari.in Wednesday, Jun 13, 2018 - 06:41 PM (IST)
नेशनल डेस्कः- मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘बुलेट ट्रेन’ पर आम और चीकू पैदा करने वाले किसानों के मुद्दों के चलते अड़ंगा लगता दिख रहा है। महाराष्ट्र में आम और चीकू पैदा करने वाले किसान महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं और उन्हें स्थानीय नेताओं का समर्थन भी मिल रहा है। फल उत्पादकों ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर विरोध के सुर तेज कर दिए हैं। किसानों का कहना है कि वह बिना वैकल्पिक रोजगार की गारंटी मिले अपनी जमीन नहीं देंगे।
जापान की 17 अरब डॉलर की फंडिंग से प्रस्तावित यह परियोजना फल उत्पादकों के विरोध के चलते दिसंबर तक जमीन अधिग्रहण के अपने लक्ष्य से भी चूक सकती है। किसानों का यह विरोध प्रोजेक्ट के सामने सबसे बड़ी बाधा के तौर पर आ खड़ा हुआ है। महाराष्ट्र में करीब 108 किलोमीटर लंबे इस हिस्से में बुलेट प्रोजेक्ट को विरोध झेलना पड़ रहा है। जो पूरी परियोजना के करीब 5वां हिस्सा के बराबर है। यह प्रस्तावित बुलेट परियोजना देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को गुजरात के सबसे बड़े कमर्शल शहर अहमदाबाद को जोड़ेगी।
25 फीसदी अधिक दाम देगी सरकार
सरकार ने इस प्रोजेक्ट के जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों से बाजार मूल्य से 25 फीसदी अधिक दाम पर जमीन लेने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा रीसेटलमेंट के लिए 5 लाख रुपये देने का प्रस्ताव दिया है या फिर जमीन की कुल कीमत 50 फीसदी तक देने की बात कही गई है। 5 लाख रुपये या फिर जमीन की आधी कीमत में से जो अधिक होगा। वह किसान को देने का प्रस्ताव है।
प्रोजेक्ट के सामने सबसे बड़ी समस्या ये है कि यदि जमीन के अधिग्रहण में देरी होती है तो फिर जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी की ओर से जारी किए जाने वाले सॉफ्ट लोन में भी देरी हो सकती है। भारतीय रेलवे के सीनियर अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि जापान सरकार की यह संस्था अगले महीने इस प्रोजेक्ट का रिव्यू करने वाली है।
एक अधिकारी ने बताया कि जापान की चिंताओं का समाधान करने के लिए टोक्यो में भारतीय अधिकारियों ने परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग की योजना बनाई है। अधिकारियों के अनुसार, भारत सरकार बुलेट ट्रेन परियोजना को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रख सकती है। असल में सरकार चाहती है कि भारत की स्वतंत्रता के 75वें साल के मौके पर यह परियोजना पूरी हो जाए।