CBSE Open Book Exam: CBSE का नया कदम, 2026 से इस में होगा ओपन बुक एग्जाम

punjabkesari.in Sunday, Aug 10, 2025 - 10:43 AM (IST)

सीबीएसई (CBSE) यानी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अब पढ़ाई के तरीकों में एक बड़ा बदलाव करने जा रहा है। सेशन 2026-27 से 9वीं कक्षा में ओपन बुक असेसमेंट (Open Book Assessment) शुरू किया जाएगा। इसका मकसद छात्रों को रटने से हटाकर समझने और सोचने पर केंद्रित करना है। इस नई प्रणाली में छात्र परीक्षा के दौरान अपनी किताबें, क्लास नोट्स और लाइब्रेरी की किताबें साथ रख सकेंगे और उनका उपयोग उत्तर लिखने में कर सकेंगे।

क्यों लिया गया ये फैसला?

नेशनल डेस्क: सीबीएसई ने दिसंबर 2023 में 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए ओपन बुक असेसमेंट की एक पायलट स्टडी शुरू की थी। इस स्टडी का मकसद यह देखना था कि क्या छात्र इस तरीके से बेहतर तरीके से सीखते हैं और क्रिटिकल थिंकिंग यानी विश्लेषणात्मक सोच में सुधार आता है या नहीं। इस स्टडी के नतीजों से पता चला कि छात्रों को किताबों का सही तरीके से इस्तेमाल करने में परेशानी हो रही थी। उनके अंक 12% से लेकर 47% के बीच आए। हालांकि, शिक्षकों ने इस पद्धति को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और इसे छात्रों की समझ को बेहतर बनाने की दिशा में एक सही कदम बताया।

किन विषयों में होगा ओपन बुक असेसमेंट?

सीबीएसई (CBSE) ने सेशन 2026‑27 से क्लास 9 की तीन मुख्य लिखित परीक्षा में ओपन बुक असेसमेंट लागू करने की योजना बनाई है, जिसमें प्रमुख विषय होंगे — भाषा (हिंदी और अंग्रेज़ी), गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान — ताकि छात्र केवल रटने के बजाय गहराई से समझ कर, प्रस्तुति पर जोर देते हुए उत्तर दे सकें। यह कदम National Curriculum Framework for School Education (NCFSE) 2023 और NEP 2020 के तहत आत्म‑निर्भर सोच और क्षमता आधारित (competency‑based) शिक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य सिर्फ तथ्यों को याद करने के बजाय शिक्षा को समझ और अनुप्रयोग की दिशा में बढ़ाना है

क्या होंगे इस बदलाव के फायदे?

ओपन बुक एग्जाम से छात्रों की रटने की आदत में कमी आएगी क्योंकि उन्हें केवल याद कर लिखने से काम नहीं चलेगा। उन्हें उपलब्ध सामग्री—किताबें, नोट्स—को समझकर, आलोचनात्मक सोच के साथ प्रयोग करना होगा, जिससे उत्तर समझदारी से तैयार होंगे, न कि केवल नकल। इससे छात्रों की क्रिटिकल थिंकिंग यानी विश्लेषणात्मक क्षमता में सुधार होता है और इस प्रकार उनकी वास्तविक समझ को परखा जा सकता है, न कि सिर्फ याददाश्त का परीक्षण।

क्या पहले भी हो चुका है ऐसा प्रयास?

जी हां, यह पहली बार नहीं है जब CBSE ओपन बुक एग्जाम ला रहा है। इससे पहले 2014 में बोर्ड ने ओपन टेक्स्ट बेस्ड असेसमेंट (OTBA) की शुरुआत की थी। यह 9वीं कक्षा के हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान विषयों में लागू किया गया था। लेकिन 2017-18 में इसे यह कहते हुए बंद कर दिया गया था कि इससे छात्रों में क्रिटिकल थिंकिंग स्किल सही तरीके से विकसित नहीं हो पाई।
CBSE अब ओपन बुक परीक्षा के लिए सैंपल पेपर तैयार करने में जुट गया है। इसका उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों दोनों को इस नए पैटर्न के लिए तैयार करना है ताकि जब 2026 में इसे पूरी तरह लागू किया जाए तो सभी सहज रूप से इससे जुड़ सकें।

क्या होंगी चुनौतियां?

सभी स्कूलों में जरूरी किताबों और शैक्षणिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे हर छात्र को समान अवसर मिल सके। इसके साथ ही, शिक्षकों को नई शैक्षणिक प्रणाली के अनुसार प्रशिक्षण देना भी आवश्यक है ताकि वे नवीनतम पद्धतियों को प्रभावी ढंग से कक्षा में लागू कर सकें। छात्रों को न केवल किताबें उपलब्ध कराना, बल्कि उन्हें इनका सही तरीके से उपयोग करना भी सिखाना चाहिए, जिससे उनका ज्ञान और समझ दोनों में वृद्धि हो। इसके अतिरिक्त, परीक्षा के समय और फॉर्मेट में होने वाले बदलावों को स्पष्ट रूप से निर्धारित करना जरूरी है, ताकि छात्र और शिक्षक दोनों नई प्रणाली के अनुरूप तैयारी कर सकें। यह समग्र प्रयास शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम होगा।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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