CBSE का बड़ा बदलाव: 2026 से 9वीं कक्षा में होंगे ओपन बुक एग्जाम
punjabkesari.in Monday, Aug 11, 2025 - 07:18 AM (IST)

नई दिल्ली: छात्रों के लिए पढ़ाई और परीक्षा का तरीका अब पूरी तरह से बदलने जा रहा है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक ऐसा कदम उठाया है जो शिक्षा प्रणाली को याद करने की बजाय सोचने और समझने की ओर मोड़ेगा। 2026-27 के शैक्षणिक सत्र से कक्षा 9 में ओपन बुक असेसमेंट (Open Book Assessment - OBA) की शुरुआत होगी। यह नई व्यवस्था राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 (NCFSE 2023) के तहत लागू की जाएगी।
क्या है ओपन बुक असेसमेंट (OBA)?
इस प्रणाली में छात्र परीक्षा के दौरान किताबें साथ रख सकेंगे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सवाल आसान होंगे। यहां केवल उत्तर लिखने की बजाय, छात्रों को तथ्यों की गहराई में जाकर उनका विश्लेषण करना होगा और व्यावहारिक सोच का इस्तेमाल करना होगा। सवाल ऐसे होंगे जो केवल याददाश्त नहीं, बल्कि सोचने, समझने और लागू करने की क्षमता को परखेंगे।
क्यों जरूरी है यह बदलाव?
CBSE का यह बदलाव छात्रों को रटने की आदत से निकालकर समझदारी से सीखने की दिशा में ले जाने के उद्देश्य से किया गया है। ओबीए का मकसद है:
रचनात्मक सोच को बढ़ावा देना
रियल-लाइफ सिचुएशंस से जोड़ना
मेमोरी बेस्ड लर्निंग से हटकर कांसेप्ट बेस्ड लर्निंग की ओर बढ़ना
कैसे होगी परीक्षा?
नई परीक्षा प्रणाली के तहत साल में तीन बार पेन-पेपर फॉर्मेट में टेस्ट होंगे। ये परीक्षाएं भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों पर आधारित होंगी। परीक्षा के दौरान किताबें छात्रों के पास होंगी, लेकिन प्रश्न इस तरह बनाए जाएंगे कि उन्हें हल करने के लिए गहरी समझ और लॉजिकल थिंकिंग की ज़रूरत पड़े।
क्या कहता है पायलट प्रोजेक्ट?
CBSE ने यह बदलाव सीधे लागू करने से पहले एक पायलट स्टडी की थी, जिसमें अलग-अलग स्कूलों के छात्रों को ओपन बुक एग्ज़ाम देकर उनकी परफॉर्मेंस को परखा गया। इस दौरान छात्रों के अंकों का दायरा 12% से लेकर 47% तक रहा। रिपोर्ट में यह पाया गया कि छात्रों की विश्लेषणात्मक क्षमता में सुधार हुआ, और वे सवालों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझकर हल कर सके।
शिक्षकों की राय क्या है?
शिक्षकों का भी इस बदलाव पर मिला-जुला लेकिन सकारात्मक रुख सामने आया है। अधिकांश शिक्षकों का मानना है कि यह तरीका छात्रों को गहराई से समझने के लिए प्रेरित करेगा, हालांकि शुरुआत में कुछ बच्चों को इस फॉर्मेट में ढलने में वक्त लग सकता है। शिक्षकों ने यह भी सुझाव दिया कि प्रश्नपत्रों को संतुलित और स्पष्ट रूप से डिज़ाइन किया जाए ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिल सके।
छात्रों को क्या होंगे फायदे?
कम होगा तनाव – किताबों की मदद से परीक्षा देने से याद करने का मानसिक दबाव घटेगा।
सोचने की ताकत बढ़ेगी – छात्रों को रट्टा मारने के बजाय सवाल को समझकर जवाब देना होगा।
दीर्घकालिक समझ विकसित होगी – विषयों की गहराई में जाने की आदत लगेगी, जो भविष्य में भी काम आएगी।
वास्तविक जीवन की तैयारी – छात्र जो सीख रहे हैं, उसे असली जीवन में कैसे लागू करना है, इसकी समझ बेहतर होगी।
क्या यह मॉडल भविष्य में और कक्षाओं में आएगा?
फिलहाल यह योजना केवल कक्षा 9 के लिए लागू की जा रही है, लेकिन इसके सफल रहने पर अन्य कक्षाओं में भी इसी पैटर्न को अपनाया जा सकता है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे देश में जहां प्रतियोगी परीक्षाओं का दबाव बहुत अधिक होता है, यह बदलाव छात्रों को बेहतर मानसिक और शैक्षणिक स्वास्थ्य की ओर ले जा सकता है।