चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए भारत जैसे पार्टनर के साथ काम करना जरूरीः अमेरिका

punjabkesari.in Saturday, Oct 24, 2020 - 12:54 PM (IST)

वॉशिंगटनः हिमालय से लेकर दक्षिण चीन सागर तक हिंद प्रशात सागर तक चीन के बढ़ते आक्रामक व्यवहार को देखते हुए ट्रंप प्रशासन कहा कि यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि हम भारत जैसे सहयोगियों के साथ मिलकर काम करें। ट्रंप प्रशासन के अधिकारी ने कहा, 'क्वाड देशों  भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ शिखर सम्मेलन के बारे में फिलहाल कोई योजना नहीं है, लेकिन भविष्य में कुछ भी हो सकता है।' अमेरिकी का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर अगले हफ्ते भारत के दौरे पर आने वाले हैं। 

 

वाशिंगटन डीसी में फॉरेन प्रेस सेंटर द्वारा आयोजित ‘कांफ्रेंस कॉल’ के दौरान एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने  कहा, "हिमालय से लेकर दक्षिण चीन सागर तक हिंद-प्रशांत में चीन के बढ़ते आक्रामक व्यवहार के कारण हमारे लिए समान सोच रखने वाले भारत जैसे साझेदारों के साथ मिलकर काम करना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। " अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि चार देशों का समूह ‘क्वाड' गठबंधन नहीं बल्कि वैसे देशों का समूह है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था को मजबूत बनाने के इच्छुक हैं। इस समूह में जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का मुकबला करने के लिए लंब समय से लंबित इस प्रस्ताव को 2017 में चारों देशों ने अमलीजामा पहनाया था।

 

भारत और अमेरिका के बीच अगले सप्ताह मंत्रिस्तरीय ‘टू प्लस टू' बैठक से पहले अधिकारी  कहा, ‘‘ क्वाड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो इसे गठबंधन बनाता है। अभी वह रूप नहीं दिया गया है। इसमें शामिल देशों के बीच अभी कोई पारस्परिक दायित्व नहीं है। यह वैसा संगठन भी नहीं है जो सदस्यता का अनुरोध करता हो।'' अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर विदेश मंत्री जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ चर्चा के लिए भारत जा रहे हैं। भारत जाने रहे अमेरिकी अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेंगे।

 

एक सवाल के जवाब में अधिकारी ने कहा कि अक्टूबर में तोक्यो में आयोजित क्वाड मंत्रिस्तरीय वार्ता ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लोकतांत्रिक देशों के बीच मजबूत संबंधों को प्रदर्शित किया। उन्होंने कहा कि यह ऐसे देशों का समूहहै जो नियम आधारित व्यवस्था चाहते हैं जिसमें सभी देश संप्रभु, मजबूत और समृद्ध हों। अधिकारी ने नाम न जाहिर करने का आग्रह करते हुए बताया, ‘‘ यह वैसे देशों का समूह है जो दायित्वों से ज्यादा साझा हितों और मूल्यों को लेकर आगे बढ़ता है। यह प्रभावी बहुपक्षवाद का एक उदाहरण है।

 

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो अगले सप्ताह तीसरी बार भारत-अमेरिका टू प्लस टू वार्ता के लिए नई दिल्ली आएंगे। यह एक महीने से भी कम समय के अंदर उनकी दूसरी एशिया यात्रा है। भारत के अलावा वे मालदीव, श्रीलंका और इंडोनेशिया भी जाएंगे। बता दें कि अमेरिका में तीन नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है और चुनाव से पहले भारत और अमेरिका के बीच ट्रंप सरकार की आखिरी सबसे बड़ी राजनयिक वार्ता होगी। इस दो दिवसीय वार्ता में भारत और अमेरिका के टॉप-चार कैबिनेट मंत्री भाग लेंगे। इस बैठक में दोनों देशों के संबंधों की आगामी चार साल के लिए आधारशिला रखे जाने की संभावना है, भले ही चुनाव कोई भी जीते।

 


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Tanuja

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