सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर पुरुष-महिला एक साथ रहते हैं, तो संपत्ति के अधिकार से बेटे को वंचित नहीं किया जा सकता

punjabkesari.in Tuesday, Jun 14, 2022 - 06:46 AM (IST)

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यदि कोई पुरुष और महिला लंबे समय तक साथ रहते हैं तो कानून के अनुसार इसे विवाह जैसा ही माना जायेगा और उनके बेटे को पैतृक संपत्तियों में हिस्सेदारी से वंचित नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि विवाह के सबूत के अभाव में एक साथ रहने वाले पुरुष और महिला का ‘‘नाजायज'' बेटा पैतृक संपत्तियों में हिस्सा पाने का हकदार नहीं है।
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हालांकि, न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, ‘‘यह अच्छी तरह से स्थापित है कि अगर एक पुरुष और एक महिला पति और पत्नी के रूप में लंबे समय तक एक साथ रहते हैं, तो इसे विवाह जैसा ही माना जायेगा। इस तरह का अनुमान साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत लगाया जा सकता है।'' 

केरल उच्च न्यायालय के 2009 के उस फैसले के खिलाफ एक अपील पर अदालत का यह यह निर्णय सामने आया, जिसमें एक पुरुष और महिला के बीच लंबे समय तक चले रिश्ते के बाद पैदा हुए एक व्यक्ति के वारिसों को पैतृक संपत्तियों में हिस्सा देने संबंधी निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया गया था। 


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Pardeep

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