एयर इंडिया हादसे ने खड़ा किया बड़ा सवाल: अगर पॉलिसी होल्डर और नॉमिनी दोनों की मौत हो जाए तो किसे मिलेगा बीमा का पैसा?

punjabkesari.in Saturday, Jun 21, 2025 - 05:12 PM (IST)

नेशनल डेस्क : कभी-कभी जिंदगी ऐसे मोड़ पर ले आती है, जहां हम पहले से कुछ सोच भी नहीं सकते। इंसान का वक्त कब बदल जाए, इसका अंदाजा किसी को नहीं होता। कुछ ऐसा ही हुआ 12 जून को अहमदाबाद में हुए भयावह एयर इंडिया विमान हादसे में। हादसा इतना बड़ा था कि ना सिर्फ विमान के यात्री बल्कि जमीन पर मौजूद कई लोग भी इसकी चपेट में आ गए। अब इस हादसे से जुड़ा एक बड़ा सवाल सामने आया है, अगर बीमा पॉलिसी होल्डर और नामित व्यक्ति (नॉमिनी) दोनों की ही मौत हो जाए तो क्या होगा?

हादसे में पॉलिसी होल्डर और नॉमिनी की एक साथ मौत

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अहमदाबाद से लंदन गेटवे के लिए उड़ान भरने वाला एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर विमान, शहर के मेघाणी नगर इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में 241 यात्रियों की जान चली गई, जिनमें क्रू मेंबर्स भी शामिल थे। इसके अलावा हादसे की जगह पर मौजूद 34 अन्य लोग भी इसकी चपेट में आ गए। इस दुर्घटना के बाद सामने आए मामलों में कुछ ऐसे भी केस हैं, जहां बीमा लेने वाले (पॉलिसी होल्डर) और क्लेम लेने के लिए नामित व्यक्ति (नॉमिनी) दोनों की ही मौत हो गई। अब सवाल यह है कि ऐसी स्थिति में बीमा का पैसा किसे दिया जाएगा?

क्या जब्त हो जाता है बीमा का पैसा?

इसका सीधा जवाब है, नहीं। बीमा राशि कभी जब्त नहीं होती। यह रकम अब पॉलिसी होल्डर की संपत्ति मानी जाती है और उसे कानूनी वारिसों को सौंपा जाता है। बीमा कंपनियां जैसे कि LIC, Iffco Tokio, Tata AIG आदि को इस तरह के कई केस मिले हैं। अब इन मामलों में कंपनियां नियमों में कुछ ढील देकर क्लेम सेटलमेंट कर रही हैं।

क्लेम का पैसा किसे मिलेगा?

अगर पॉलिसी होल्डर और नॉमिनी दोनों नहीं रहे, तो बीमा राशि उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को दी जाती है। इसमें प्राथमिकता उनके जीवित जीवनसाथी, संतान और माता-पिता को दी जाती है। LIC जैसे संस्थान कोर्ट के आदेश का इंतजार करने की बजाय अब डिक्लेरेशन फॉर्म और क्षतिपूर्ति बांड (Indemnity Bond) के आधार पर भुगतान कर रही हैं, बशर्ते सभी उत्तराधिकारी आपसी सहमति से राशि के बंटवारे को लेकर तैयार हों।

अगर कई कानूनी वारिस हों, तो क्या होगा?

भारत में खासकर हिंदू उत्तराधिकार कानून के अनुसार, वारिसों को दो वर्गों में बांटा गया है:

  • क्लास 1 वारिस: इसमें पत्नी, बेटा, बेटी, और मां आते हैं।
  • क्लास 2 वारिस: यदि क्लास 1 में कोई नहीं है, तब पिता, भाई, बहन, भतीजा-भतीजी को प्राथमिकता दी जाती है।

बीमा कंपनियां क्लेम से पहले दस्तावेजों की जांच कर यह सुनिश्चित करती हैं कि क्लेम करने वाला व्यक्ति वास्तव में पॉलिसी होल्डर का कानूनी उत्तराधिकारी है या नहीं।


 


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Content Editor

Mehak

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