हैदरपोरा मुठभेड़: मारे गये नागरिकों के परिवारों ने प्रदर्शन किया, शव लौटाने की मांग की
punjabkesari.in Wednesday, Nov 17, 2021 - 06:21 PM (IST)
श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में श्रीनगर के हैदरपोरा में हुई मुठभेड़ में मारे गए दो नागरिकों के परिवारों ने बुधवार को यहां विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने पीड़ितों के लिए न्याय और उनके शवों को लौटाने की मांग की।
मारे गए दो नागरिकों के बारे में परस्पर विरोधी दावों के बाद हैदरपुरा में सोमवार की मुठभेड़ को लेकर विवाद पैदा हो गया था क्योंकि उनके परिवार के सदस्यों ने पुलिस के इस आरोप का विरोध किया था कि वे 'आतंकवादियों के सहयोगी' थे।
पुलिस के अनुसार, एक पाकिस्तानी आतंकवादी और उसके स्थानीय सहयोगी मोहम्मद आमिर और दो नागरिक अल्ताफ भट और मुदस्सर गुल मुठभेड़ में मारे गए थे, जहां एक अवैध कॉल सेंटर और एक आतंकी ठिकाना कथित तौर पर चलाया जा रहा था।
In this cold wintery night instead of mourning their dead, the families are on a sit in at Press enclave demanding the least : only the dead bodies of their loved ones. The expectations are least . @HMOIndia @manojsinha_ pic.twitter.com/nwo8mgernc
— J&K PDP (@jkpdp) November 17, 2021
भट और गुल के परिवारों ने बुधवार को शहर के प्रेस एन्क्लेव में विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि उनके परिजन के शव उन्हें लौटाए जाएं क्योंकि वे आतंकवादी नहीं थे।
पुलिस ने कहा था कि मुठभेड़ में मारे गए चारों व्यक्तियों के शव उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा इलाके में दफनाए गए है।
अल्ताफ भट के भाई अब्दुल माजिद ने पत्रकारों से कहा कि एक 'नंबरदार' (राजस्व अधिकारी) के रूप में, वह लगातार पुलिस के संपर्क में रहते है और अगर उनका भाई आतंकवाद में शामिल होता तो वे पुलिस को जरूर बताते। उन्होंने कहा, "वह (भट) पिछले 30 सालों से हैदरपोरा बाईपास में कारोबार कर रहा था। उन्होंने भवन किराए पर दिया और हमने उनका (किरायेदारों का) सत्यापन पुलिस थाने सदर में कराया था। अगर कुछ (प्रतिकूल) होता तो पुलिस को हमसे संपर्क करना चाहिए था।"
माजिद ने कहा कि उनका भाई एक बिल्डर, करदाता और एक निर्दोष व्यक्ति था। उन्होंने कहा, " पूरे इलाके में सत्यापित कर सकते हैं। पुलिस उसे जानती थी, वे हर दिन उसके घर जाते थे, उसके साथ चाय पीते थे, वे उसकी पहचान को सत्यापित कर सकते थे।"
उन्होंने सोमवार को कहा कि कार्यबल (जम्मू कश्मीर पुलिस की आतंकवाद रोधी इकाई जिसे विशेष अभियान समूह के रूप में जाना जाता है) आया और उनके भाई को इमारत में तलाशी के लिए तीन बार ले गया।
परिवार ने न्याय और उसका शव लौटाने की मांग की। माजिद ने कहा, "हम उपराज्यपाल (एलजी) से अपील करते हैं, उनसे अनुरोध करते हैं, कि सत्यापित करें और अगर मेरे भाई के खिलाफ कुछ भी (प्रतिकूल) है, तो वह मुझे शहर के बीचों-बीच सार्वजनिक रूप से फांसी दे सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "वह (अल्ताफ) निर्दोष था, एक नागरिक था, आतंकवादी नहीं। हमें जवाब चाहिए, हमें न्याय चाहिए। हमें उसका शव चाहिए। सरकार, आतंकवादी, निर्दोष लोगों को क्यों मार रहे हैं?"
मुदस्सर गुल की पत्नी हुमैरा मुदस्सर ने कहा कि उसका पति निर्दोष था। परिजनों ने न्याय की और शव लौटाने की मांग की। हुमैरा ने कहा,"हम न्याय चाहते हैं। उसकी पत्नी, उसके माता और पिता को न्याय दो। उनकी एक साल की बेटी इनाया मुदस्सर को इंसाफ दो।"
प्रदर्शन में शामिल हुए अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के वरिष्ठ नेता शीबन अशाई ने कहा कि पुलिस ने नागरिकों का मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा, "उपराज्यपाल (मनोज सिन्हा) और भारत के गृह मंत्री अमित शाह से पूछना चाहता हूं कि उनकी निगरानी में दो निर्दोष नागरिक मारे गए। वे गोलीबारी में कैसे मारे गए? जब सुरक्षा बल उन्हें तलाशी के लिए ले गए तो उन्हें सुरक्षात्मक उपकरण क्यों नहीं दिए गए? इसका मतलब है कि उन्हें मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया गया था। पुलिस की कहानी में यही सबसे बड़ी खामी है।"
इस बीच, नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नागरिकों को इसलिए मारा गया क्योंकि उन्हें नुकसान पहुंचाया गया था। अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, "पुलिस मानती है कि वे इमारत के मालिक (अल्ताफ) और किरायेदार (गुल) को इमारत में ले गए और दरवाजे खटखटाने के लिए उनका इस्तेमाल किया। फिर इन लोगों को आतंकवादी कैसे कहा जा सकता है? वे नागरिक हैं जो मारे गए क्योंकि उन्हें नुकसान पहुंचाया गया था।"
The police admit they took the building owner (Altaf) & the tenant (Gul) in to the building & used them to knock on doors. How then can these people be termed as militants? They are civilians who died because they were put in harms way. https://t.co/UrRE0ywBcb via @IndianExpress
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) November 17, 2021