राष्ट्रीय चुनाव आयोग द्वारा घोषित चुनावी तिथियों का भाजपा को कितना होगा फायदा

punjabkesari.in Tuesday, Mar 19, 2024 - 09:00 AM (IST)

नेशनल डेस्क: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर पक्ष और विपक्ष में आरोपों और प्रत्यारोपों का जबरदस्त दौर जारी है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय चुनाव आयोग द्वारा सात चरणों में घोषित चुनावी तिथियां भी विपक्षी दलों के रडार पर हैं। कई राजनीतिक दलों का मानना है कि चुनावी प्रक्रिया का यह लंबा कार्यक्रम केवल भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए है।

राजस्थान और एम.पी. भाजपा का अतिरिक्त लाभ
सबसे पहले यहां बात करते हैं राजस्थान और मध्य प्रदेश (एम.पी.) की जहां पर पहले चरण से ही मतदान शुरू हो जाएगा। राजस्थान में पहले और दूसरे जबकि मध्य प्रदेश में मतदान पहले चरण से होते हुए चौथे चरण में समाप्त होगा। 2019 में 7 चरणों में हुए लोकसभा चुनावों में राजस्थान में चौथे और पांचवें चरण में मतदान हुआ था, जबकि मध्य प्रदेश में यह चौथे से शुरू होकर सातवें चरण में निपट गया था। एक मीडिया रिपोर्ट में राजनीतिक विशेषज्ञों का हवाले देते हुए कहा गया है कि इन दोनों राज्यों में निर्धारित तिथियों के कारण कारण भाजपा को अतिरिक्त लाभ मिल सकता है क्योंकि दोनों राज्यों में नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत से जीत हासिल हुई है और वादों को लेकर जनता को राज्यों की सत्ता से काफी उम्मीदें हैं।  

तेलंगाना में पहले से चौथे चरण में गया मतदान
इसी तरह अगर तेलंगाना की बात की जाए तो यहां पर इस बार चौथे चरण में चुनाव होगा। विधानसभा चुनावों में राज्य में कांग्रेस भारी बहुमत से सत्ता पर काबिज हुई है और उसे लोकसभा चुनावों में बेहतर परिणाम हासिल होने की उम्मीद है। भाजपा को इस राज्य में संतुलन बनाने के लिए काफी वक्त मिल गया है। चूंकि अगर 2019 के चुनाव की बात करें तो तेलंगाना के मतदान को पहले ही चरण में निपटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। इस बार ओडिशा की चुनावी तिथियों की शुरुआत भी चौथे चरण से होगी। जबकि 2019 में यहां पहले से चरण से चौथे चरण में चुनाव हुआ था। राज्य में अभी भाजपा और बीजू जनता दल (बीजद) के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है और भाजपा को यहां अपनी गोटियां फिट करने के लिए काफी समय मिल गया है।  

आंध्र में व्यवस्थित होने काे मिलेगा समय 
आंध्र प्रदेश में जहां भाजपा ने हाल ही में तेलगु देशम पार्टी  (टी.डी.पी.) और जन सेना के साथ त्रिदलीय गठबंधन किया है, यहां तीसरे चरण में मतदान होगा। 2019 में राज्य में पहले चरण में मतदान आयोजित किया गया था। विपक्ष का मानना है कि राज्य में गठबंधन को व्यवस्थित होने का समय देने के लिए मतदान कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। उधर तमिलनाडु के लिए लोकसभा चुनाव पिछले चुनाव के दूसरे चरण के मुकाबले इस बार इसे पहले चरण मतदान की सूची में डाल दिया गया है।

महाराष्ट्र में भाजपा को क्या मिलेगा लाभ?
महाराष्ट्र में पहली बार 48 सीटों के लिए लोकसभा चुनाव पांच चरणों में 19 अप्रैल से 20 मई के बीच निर्धारित किए गए हैं। जबकि 2019 में राज्य में चार चरणों में मतदान हुआ था। प्रतिद्वंद्वी दलों का कहना है कि भाजपा और उसके सहयोगी दल यहां सीट-बंटवारे के झगड़े में फंस गए हैं। आयोग द्वारा निर्धारित तिथियां भाजपा को समन्वय करने के साथ-साथ अपने स्टार प्रचारकों के सर्वोत्तम उपयोग का पता लगाने के लिए अधिक समय देती हुई प्रतीत होती हैं।

मराठवाड़ा की तिथियों में बरती हैं सावधानियां  
हालांकि जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र में मतदान के कुछ और भी पहलू हैं। उदाहरण के लिए मराठवाड़ा उन क्षेत्रों में से एक है जहां सबसे अधिक 8 सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान होगा। इसे एक एहतियाती कदम के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि यह शिवसेना और राष्ट्रीय कांग्रेस (राकांपा) के बीच युद्ध का मैदान है और यहां विभिन्न गुटों में आपस में टकराने की भी संभावना है। मराठा आरक्षण मुद्दे और परिणामी ओबीसी प्रतिक्रिया ने भी मराठवाड़ा को संभावित रूप से संवेदनशील  क्षेत्र बना दिया है।

मुंबई में भाजपा को हो सकता है नुक्सान
वहीं मुंबई में आखिरी चरण की वोटिंग से भाजपा की संभावनाओं को नुकसान हो सकता है। पार्टी नेताओं का कहना है कि इस क्षेत्र में उसका वोट आधार उत्तर भारतीय प्रवासी हैं, जो 20 फीसदी मतदाता हैं, जो अक्सर गर्मियों की छुट्टियों के लिए अपने मूल स्थानों पर जाते हैं। बता दें कि 2019 में राज्य में चार चरणों में मतदान हुआ था। 2024 के आम चुनावों के लिए कुल मतदान कार्यक्रम 2019 के कार्यक्रम से छह दिन लंबा है।


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Content Editor

Mahima

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