Bike Transport Train: ट्रेन से भेजनी है बाइक या स्कूटर? जानें कितना लगेगा किराया? क्या हैं रेलवे के नियम
punjabkesari.in Wednesday, Dec 24, 2025 - 02:06 PM (IST)
नेशनल डेस्क। जब भी हम एक शहर से दूसरे शहर शिफ्ट होते हैं तो सबसे बड़ी चिंता अपनी बाइक या स्कूटर को सुरक्षित ले जाने की होती है। क्या आप जानते हैं कि भारतीय रेलवे आपको अपना दोपहिया वाहन ट्रेन के जरिए भेजने की बेहतरीन सुविधा देता है? रेलवे में बाइक भेजने के दो तरीके हैं और दोनों के नियम अलग-अलग हैं। आइए आसान शब्दों में समझते हैं पूरी प्रक्रिया।
दो विकल्प: लगेज या पार्सल?
रेलवे में गाड़ी भेजने के लिए आपको पहले यह तय करना होगा कि आप खुद भी उसी ट्रेन में सफर कर रहे हैं या नहीं:
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लगेज (Luggage) के रूप में: अगर आप उसी ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं तो आप अपनी बाइक को लगेज के तौर पर बुक कर सकते हैं।
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इसमें आपकी गाड़ी उसी ट्रेन के ब्रेक वैन (समान डिब्बे) में जाएगी।
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फायदा यह है कि जैसे ही आप अपने स्टेशन पहुंचेंगे, आपको तुरंत आपकी बाइक मिल जाएगी।
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पार्सल (Parcel) के रूप में:
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अगर आप यात्रा नहीं कर रहे हैं और सिर्फ गाड़ी भेजना चाहते हैं तो इसे पार्सल कहा जाता है।
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गाड़ी को किसी भी मालगाड़ी या पार्सल वैन से भेजा जाएगा। इसमें दूरी के हिसाब से 1 से 7 दिन का समय लग सकता है।
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जरूरी कागजात (Checklist)
बुकिंग काउंटर पर जाने से पहले ये दस्तावेज अपने पास जरूर रखें:
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RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट): गाड़ी के मालिकाना हक का सबूत।
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पहचान पत्र: आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या वोटर आईडी।
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इंश्योरेंस: गाड़ी के बीमा के कागजात।
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ट्रेन टिकट: (केवल लगेज बुकिंग के लिए) कन्फर्म टिकट होना जरूरी है।
कितना आएगा खर्च?
बाइक भेजने का खर्च कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे दूरी और वजन।
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बुकिंग चार्ज: आमतौर पर यह ₹500 से ₹3000 के बीच होता है।
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पैकिंग चार्ज: गाड़ी को सुरक्षित रखने के लिए उसे घास और बोरियों से पैक किया जाता है जिसका खर्च ₹100 से ₹500 तक आता है।
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इंश्योरेंस: रेलवे आपकी गाड़ी की घोषित कीमत का लगभग 1% बीमा शुल्क के रूप में लेता है।
बुकिंग से पहले इन बातों का रखें खास ध्यान
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पेट्रोल खाली करें: सुरक्षा कारणों से बाइक की टंकी पूरी तरह खाली होनी चाहिए। यदि चेकिंग के दौरान पेट्रोल मिला, तो भारी जुर्माना (₹1000 तक) लग सकता है।
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समय पर पहुंचें: लगेज बुकिंग के लिए ट्रेन छूटने से कम से कम 3 घंटे पहले पार्सल ऑफिस पहुंचें।
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पैकेजिंग: हेडलाइट और इंडिकेटर को कार्डबोर्ड से अच्छे से ढकें ताकि टूटने का डर न रहे।
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नेम प्लेट: एक कागज पर अपना नाम, मोबाइल नंबर, कहां से और कहां तक लिखकर गाड़ी पर चिपका दें।
