अमरीका के नए प्रतिबंधों से रूस से भारत को मिलने वाले कच्चे तेल में कितनी हो सकती है कटौती !

punjabkesari.in Wednesday, Jan 15, 2025 - 09:35 AM (IST)

नेशनल डेस्क: अमरीका द्वारा रूस पर लगाए गए नए प्रतिबंधों का प्रभाव भारतीय ऊर्जा बाजार पर भी पड़ सकता है। अमरीका ने रूस के तेल उत्पादकों, टैंकरों और कई अन्य संस्थाओं पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जिसका असर रूस से भारत को मिलने वाले कच्चे तेल की आपूर्ति पर पड़ सकता है। रूस से भारत को मिलने वाले कच्चे तेल की एक प्रमुख विशेषता यह थी कि यह भारत को छूट पर मिलता था, लेकिन अब इन नए प्रतिबंधों के कारण यह छूट कम हो सकती है, जिससे भारत को उच्च कीमतों पर कच्चा तेल खरीदने की आवश्यकता पड़ सकती है। 

रूस के 183 तेल टैंकरों पर प्रतिबंध
अमरीका ने रूस के तेल क्षेत्र में कार्यरत प्रमुख कंपनियों, जैसे गैजप्रोम नैफ्ट और सर्गुटनेफ्टेगास, के साथ-साथ रूस के 183 तेल टैंकरों पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं। ये टैंकर रूस से कच्चे तेल को विभिन्न देशों तक पहुंचाने का कार्य करते थे, और इनमें से कुछ टैंकर भारत को भी कच्चा तेल आपूर्ति करते थे। इन प्रतिबंधों के कारण, रूस से तेल ढुलाई में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे भारत को तेल की आपूर्ति में अस्थायी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, रूस की प्रमुख बीमा कंपनी पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, जो तेल टैंकरों के बीमा का कार्य करती थी, जिससे माल ढुलाई में और अधिक समस्याएं आ सकती हैं।

कैसा होगा इसका भारत पर असर
हालांकि, भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इन प्रतिबंधों का तत्काल प्रभाव भारत पर नहीं पड़ेगा। रूस से कच्चे तेल की जो खेप पहले ही भेजी जा चुकी है, वह समय पर भारत पहुंच जाएगी, क्योंकि रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति में 6-8 सप्ताह का समय लगता है। फिर भी, विशेषज्ञों का मानना है कि इन प्रतिबंधों का अप्रत्यक्ष असर भारत पर होगा। रूस से मिलने वाली कच्ची तेल की छूट की संभावना कम हो सकती है और भारत को बाजार भाव पर तेल खरीदने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

माल ढुलाई दरों में वृद्धि
एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इन प्रतिबंधों के कारण माल ढुलाई दरों में वृद्धि हो सकती है। केप्लर के प्रमुख विश्लेषक मैट राइट के अनुसार, अमरीका द्वारा प्रतिबंधित किए गए 143 तेल टैंकरों में से कुछ चीन और अन्य देशों को भी कच्चा तेल आपूर्ति करते हैं, जिससे इन देशों के स्वतंत्र रिफाइनरों को रिफाइनिंग की प्रक्रिया में कटौती करनी पड़ सकती है। इससे वैश्विक माल ढुलाई दरों में वृद्धि होने की संभावना है। 

मार्च तक मिल सकती है राहत
हालांकि, भारतीय रिफाइनरों को अगले दो महीने तक रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति में कोई बड़ी रुकावट नहीं आएगी, क्योंकि इन टैंकरों को मार्च तक तेल निकासी की अनुमति है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि रूस निर्यात जारी रखने के लिए भारत को कच्चे तेल पर अतिरिक्त छूट की पेशकश कर सकता है, जिससे भारत को राहत मिल सकती है। इस बीच, भारत और रूस के बीच तेल व्यापार में कोई स्थायी बदलाव की स्थिति उत्पन्न होने से पहले दोनों देशों के अधिकारी अतिरिक्त विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।

चीन के तेल आयात में भी पड़ सकता असर 
चीन ने भी इन प्रतिबंधों का विरोध किया है, क्योंकि इससे चीन के तेल आयात में भी असर पड़ सकता है। चीन, जो दुनिया का सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर करता है। इस स्थिति में, रूस का तेल निर्यात कम होने से चीन को वैकल्पिक आपूर्ति के स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ सकता है। अमरीका के रूस पर लगाए गए नए प्रतिबंध भारत के लिए गंभीर आर्थिक और ऊर्जा संकट पैदा कर सकते हैं, खासकर जब बात कच्चे तेल की आपूर्ति और कीमतों की हो।

हालांकि, फिलहाल भारत को इस स्थिति से जूझने में कोई तत्काल परेशानी नहीं है, लेकिन भविष्य में अगर रूस से तेल की आपूर्ति पर कोई दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा, तो भारत को उच्च कीमतों पर तेल खरीदने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इन प्रतिबंधों का असर वैश्विक ऊर्जा बाजार पर भी पड़ेगा, जिससे विश्व भर में तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। अमरीका के रूस पर लगाए गए नए प्रतिबंध भारत को रूस से मिलने वाले सस्ते कच्चे तेल की आपूर्ति में कटौती कर सकते हैं। भारत को तेल बाजार की उच्च कीमतों पर निर्भर रहना पड़ सकता है, हालांकि अगले दो महीनों में आपूर्ति में कोई बड़ी रुकावट नहीं होगी। इसके अतिरिक्त, वैश्विक माल ढुलाई दरों में वृद्धि हो सकती है, जो भारत के लिए एक अतिरिक्त चुनौती होगी।


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Content Editor

Mahima

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