New Born Babies Breathe: जन्म के कितनी देर बाद लेता है बच्चा पहली सांस? जानिए मां के गर्भ में कैसे मिलती है शिशु को ऑक्सीजन
punjabkesari.in Saturday, Jul 26, 2025 - 03:01 PM (IST)

नेशनल डेस्क। मां बनना किसी भी महिला के लिए एक खूबसूरत और अनोखा एहसास होता है। हर मां चाहती है कि उसका बच्चा स्वस्थ और सुंदर हो। गर्भावस्था के दौरान और मां बनने से पहले कई सवाल मन में उठना स्वाभाविक है। ऐसा ही एक सवाल है कि आखिर मां के पेट के अंदर शिशु कैसे सांस लेता है? यह जानकर आपको हैरानी होगी कि जब बच्चा मां के गर्भ में होता है तो वह तब तक सांस लेना शुरू नहीं करता जब तक वह जन्म लेकर बाहर नहीं आ जाता। तो आइए जानते हैं इस पूरी प्रक्रिया के पीछे का विज्ञान।
जन्म के बाद बच्चा पहली सांस कैसे लेता है?
जन्म के बाद बच्चा आमतौर पर कुछ ही सेकंड में अपनी पहली सांस ले लेता है। यह प्रक्रिया हार्मोनल परिवर्तनों और डिलीवरी के दौरान होने वाले शारीरिक दबाव की वजह से शुरू होती है। जब बच्चा मां के शरीर से बाहर आता है तो उसे वातावरण में बदलाव, तापमान में परिवर्तन और हवा के सीधे संपर्क का अनुभव होता है। ये सभी कारक बच्चे को पहली सांस लेने के लिए प्रेरित करते हैं।
बच्चे की पहली सांस उसके फेफड़ों को फुलाती है जिससे उनमें भरा तरल पदार्थ बाहर निकल जाता है। एक बार जब फेफड़े हवा से भर जाते हैं तो खून फेफड़ों से होते हुए ऑक्सीजन लेना शुरू कर देता है और शरीर में वितरित करता है।
बच्चा पहली सांस कब लेता है?
एक स्वस्थ नवजात शिशु आमतौर पर जन्म के 10 सेकंड के अंदर अपनी पहली सांस ले लेता है। शुरुआती सांस को अक्सर 'हांफना' कहा जाता है क्योंकि बच्चे का केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तापमान और वातावरण में अचानक आए बदलाव के प्रति प्रतिक्रिया देता है। जो फेफड़े पहले तरल पदार्थ से भरे होते हैं वे फूलने लगते हैं और ऑक्सीजन व कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान शुरू कर देते हैं।
मां के पेट में कैसे मिलती है ऑक्सीजन?
जब बच्चा मां के पेट में होता है तो वह सीधे अपनी नाक या फेफड़ों के जरिए ऑक्सीजन नहीं लेता। शिशु को ऑक्सीजन उसकी मां से गर्भनाल के जरिए मिलती है। गर्भनाल बच्चे के रक्तप्रवाह में सीधे ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुंचाती है।
बच्चे के फेफड़ों का विकास गर्भावस्था के शुरुआती दौर से ही शुरू हो जाता है हालांकि यह तीसरे ट्राइमेस्टर तक पूरा नहीं होता है। गर्भावस्था के 24-36 हफ्तों के बीच बच्चों के फेफड़ों में एल्वियोली यानी छोटी-छोटी हवा की थैलियां बननी शुरू हो जाती हैं। ये थैलियां फेफड़ों में ऑक्सीजन भरने के लिए बहुत जरूरी होती हैं। अगर इन थैलियों का विकास ठीक से नहीं हुआ तो शिशु को गर्भ से बाहर आने के बाद सांस लेने में बहुत दिक्कत होती है।
इसीलिए मां के पेट में बच्चा सीधे सांस नहीं लेता बल्कि पूरी तरह से गर्भनाल पर निर्भर रहता है जो उसे जीवित रहने और विकसित होने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्रदान करती है।