जब गृहमंत्री के सरकारी विमान को लाइसेंस के लिए करानी पड़ी पैरवी

punjabkesari.in Monday, Sep 04, 2017 - 04:57 PM (IST)

नई दिल्लीः राज्य सरकार के मेहकमों में बाबूओं की लापरवाही के किस्से काफी सुने होंगे लेकिन केंद्रीय मंत्रालयों की गाथाएं कम सुनी होंगी। मामला गृह मंत्रालय और गृहमंत्री से जुड़ा होने के चलते एक पखवाड़े के बाद सामने आया है। प्रकरण उस समय का जब गृहमत्री राजनाथ सिंह दो दिन दौरे पर को किर्गिस्तान गए थे उनके रवाना होने के अंतिम समय पहले बाबूओं की लापरवाही से यात्रा खटाई में पड़ने वाली थी।

हालांकि, गृह मंत्रालय ने यात्रा की तैयारी पहले से कर रखी थी लेकिन अंत समय में पता चला कि उनके आधिकारिक विमान उड़ान भरने की हालत में नहीं है। ये विमान सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) इस्तेमाल करता है। खास बात ये है कि विमान किसी तकनीकी कारण से नहीं बल्कि लालफीताशाही की वजह से उड़ान नहीं भर पा रहा था। इस विमान का उड़ान भरने का लाइसेंस निलंबित हो चुका था। गृह मंत्रालय द्वारा इस बारे में हायतौबा माचने और “ऊपर से दबाव आने” पर ही यात्रा के ठीक पहले विमान को उड़ान की अनुमति दी गई।

दरअसल, इसी साल 14 जुलाई को नागर विमानन मंत्रालय ने बीएसएफ के एम्ब्रायर एयरक्राफ्ट को एयरक्राफ्ट एक्ट 1934 के तहत अपंजीकृत करया था। मंत्रालय के फैसले के पीछे तर्क था कि नागरिक विमान होने के बावजूद इसे भारतीय वायु सेना के पायलट उड़ा रहे थे। इसके लिए सेना के पायलटों को डीजीसीए के तहत नागरिक पायलट का लाइसेंस लेना पड़ता है जिसके लिए लिखित परीक्षा और टेस्ट होता है। 

इन पचड़ों से बचने के लिए विमानन मंत्रालय ने गृह मंत्रालय को सुझाव दिया था कि वो बीएसएफ के एयरक्राफ्ट को नागरिक विमान के तौर पर अंपजीकृत करके उसे दोबारा सैन्य विमान के तौर पर पंजीकृत कर दें फिर भारतीय वायु सेना के पायलट बगैर किसी परेशानी के विमान उड़ा सकेंगे। 

इस सलाह के अनुसार गृह मंत्रालय ने विमानन मंत्रालय को नौ सितंबर 2016 को पत्र लिखकर इस विमान को अपंजीकृत करने का अनुरोध किया। विमानन मंत्रालय ने पत्र पर कार्रवाई करते विमान को अपंजीकृत करते हुए 14 जुलाई 2014 को भारत के राजपत्र में भी इसकी सूचना प्रकाशित करा दी थी।


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