कभी नड्डा की टीम में थे अमित शाह, आज उन्हीं से संभाली BJP की कमान

punjabkesari.in Tuesday, Jan 21, 2020 - 10:45 AM (IST)

नई दिल्ली: नड्डा का राजनीतिक जीवन इस बात की एक शानदार झलक देता है कि कोई कैसे अपनी मेहनत से सत्ता के ऊंचे पायदानों पर ऊपर ही ऊपर चढ़ सकता है। पहले हम स्वयं नड्डा का उदाहरण लें। उन्हें पहली बार अहम जिम्मेदारी 2008 में हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बनाकर सौंपी। उस वक्त वह भले ही धूमल के मंत्री थे, लेकिन अगले कुछ सालों में उनका कद ऐसा बढ़ा कि आज वह अध्यक्ष पद पर हैं। एक बेहद दिलचस्प बात नड्डा और अमित शाह से भी जुड़ी है। 1991 में नड्डा को भारतीय जनता युवा मोर्चा की कमान मिली थी तो उसी दौर में अमित शाह युवा मोर्चा के कोषाध्यक्ष थे। अब अमित शाह से नड्डा ने अध्यक्ष पद का प्रभार ग्रहण किया है।


मंत्री रहते वन अपराधों पर लगाम लगाई, हरित आवरण बढ़ाया
नड्डा ने हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव तीन बार लड़े और तीनों बार जीते। वह तीनों कार्यकाल में हिमाचल प्रदेश में कैबिनेट मंत्री रहे। 1993 से 1998, 1998 से 2003 तक और फिर 2007-2012 तक। इसके अलावा वह वन, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे मंत्रालयों को भी संभाल चुके हैं। अपनी उपलब्धियों में उन्हें एक ऐसे मंत्री के रूप में जाना जाता है जिन्होंने वन अपराधों पर लगाम लगाने के लिए राज्य में प्रभावी रूप से वन पुलिस स्टेशन स्थापित किए। उन्हें शिमला में हरित आवरण को बढ़ाने का भी श्रेय दिया जाता है और इस उद्देश्य के लिए वह राज्य में कई पौधारोपण अभियान शुरू करने में लगे हुए हैं। 


शाह की जगह मोदी ने नड्डा को बनाया ‘शाह’
नरेंद्र मोदी सरकार 2019 में दोबारा सत्ता में वापस आई और अमित शाह को कैबिनेट में गृहमंत्री का ओहदा दिया गया, लेकिन सवाल यह था कि आखिर पार्टी कौन संभालेगा? एक बार फिर पी.एम. मोदी ने नड्डा पर भरोसा जताया और वह जुलाई, 2019 में स्वास्थ्य मंत्रालय छोड़कर संगठन में कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर आ गए।
 

1991 से ही हैं मोदी के करीबी
नड्डा को नरेंद्र्र मोदी के करीबी लोगों में से एक माना जाता है। इसकी वजह शायद यह भी है कि 1991 में जिस दौर में नड्डा युवा मोर्चा की कमान संभाल रहे थे, तब मोदी पार्टी के महासचिव थे। माना जाता है कि दोनों नेताओं के बीच तभी से करीबी संबंध हैं। फिर जब नरेंद्र मोदी का कद राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ा तो नड्डा ने भी उनके साथ लगातार ऊंचाई हासिल की।
 

विश्वविद्यालय में रखी संगठन की नींव
नड्डा ए.बी.वी.पी. के पैनल से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय केंद्रीय छात्र संघ के अध्यक्ष बनने वाले पहले नेता थे। हिमाचल प्रदेश में यहीं से वह सुॢखयों में आए तथा प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और 2 बार प्रो. प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बने। जब नितिन गडकरी ने उनको राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया, तो उन्होंने वन मंत्री के पद से इस्तीफा देकर संगठन के लिए कार्य करना आरंभ किया।
 

दिल्ली में बहुमत सरकार का दावा 
जे.पी. नड्डा ने भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में शनिवार को राजौरी गार्डन व तिलक नगर विधानसभा क्षेत्र में संगठनात्मक बैठक में कहा था कि भाजपा का विजन दिल्ली के लिए स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि अनधिकृत कालोनियों को नियमित करना मील का पत्थर साबित होगा और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसमें कई रोड़े डाले। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी। देखना होगा कि अध्यक्ष बनने के बाद पहली अग्नि परीक्षा से नड्डा किस तरह बाहर आते हैं।
 

पांच राज्यों में भाजपा की पकड़ फिर मजबूत करनी होगी   
पिछले एक साल में 5 राज्यों में भाजपा की पकड़ ढीली पड़ चुकी है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या नड्डा भाजपा के लिए राज्यों में अप्रत्याशित बदलाव ला सकते हैं। सवाल यह भी है कि क्या वह 2020 में भाजपा को होने वाले नुक्सान को रोक पाएंगे, जब दिल्ली और बिहार में चुनाव होने हैं। नड्डा को उनके मिलनसार व्यवहार के लिए जाना जाता है। बी.जे.पी. के एक राष्ट्रीय सचिव ने कहा कि उनका इंकार भी मुस्कान के साथ होता है। ऐसे समय में जब भाजपा तेजी से सहयोगियों को खो रही है और उस पर अक्खड़ होने की बात कही जा रही है, नड्डा चेंजमेकर हो सकते हैं।


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Edited By

Anil dev

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