NEET में 705/720 उच्च अंक, लेकिन बोर्ड परीक्षा में असफलता ने उठाए सवाल, गुजरात की छात्रा सप्लीमेंट्री में भी हुई फेल

punjabkesari.in Friday, Aug 02, 2024 - 09:03 AM (IST)

नेशनल डेस्क: गुजरात की एक लड़की, जिसने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (NEET-UG) में 720 में से 705 अंक प्राप्त किए थे, अब अपनी कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा में असफल होने के कारण कॉलेज में दाखिला पाने में असमर्थ हो गई है। उसकी असफलता ने NEET में उसके शीर्ष स्कोर की वैधता पर सवाल उठाए हैं। मार्च में आयोजित कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा में वह भौतिकी और रसायन विज्ञान के पेपर में असफल हो गई थी।

इसके बाद, जून में उसने पूरक परीक्षा दी, जिसमें उसे भौतिकी में केवल 22 अंक मिले, जबकि पहले प्रयास में उसे 21 अंक मिले थे। रसायन विज्ञान में उसे 33 अंक प्राप्त हुए, जो मार्च की परीक्षा में 31 अंक थे। बावजूद इसके, भौतिकी में असफल होने के कारण उसे कक्षा 12वीं में फेल करार दे दिया गया। NEET-UG में इस छात्रा के उच्च अंक और कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा में उसकी असफलता ने लोगों के बीच चिंता और भ्रम पैदा कर दिया है। इस मामले ने NEET के स्कोर और बोर्ड परीक्षा के अंक के बीच की विसंगतियों को उजागर किया है, जो सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा का विषय बन गया है।

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एक शिक्षा विशेषज्ञ ने टिप्पणी की कि यह असामान्य है कि एक छात्र, जो बोर्ड परीक्षा में पासिंग मार्क्स भी नहीं ला सका, वह NEET जैसी अत्यधिक प्रतिस्पर्धी परीक्षा में इतनी उच्च रैंक प्राप्त कर सके। इस मामले में एक गंभीर जांच की आवश्यकता है, खासकर जब सर्वोच्च न्यायालय NEET में अनियमितताओं की जांच कर रहा है। हाल ही में, जब NEET और कक्षा 12वीं के परिणाम सार्वजनिक हुए, तो दोनों के अंक - 720 में से 705 NEET में और कक्षा 12वीं में 352 - ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया। हालांकि, इस अंतर को लेकर संदेह व्यक्त किया जा रहा है, और टीओआई ने इन अंकों की वैधता की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है।

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने NEET परीक्षा में एक प्रश्न पर निर्णय लिया था, जिसके बाद छात्रा का NEET स्कोर 700 हुआ। उसकी NEET स्कोर ने उसे भौतिकी में 99.89 पर्सेंटाइल, रसायन विज्ञान में 99.14 पर्सेंटाइल और जीव विज्ञान में 99.14 पर्सेंटाइल में रखा, जिससे उसकी कुल रैंकिंग 99.94 पर्सेंटाइल हो गई। इस उच्च स्कोर के चलते उसे शीर्ष मेडिकल कॉलेजों में मुफ्त सीट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन कक्षा 12वीं में असफलता के कारण वह कॉलेज में दाखिला पाने के योग्य नहीं रही। इस स्थिति ने NEET परीक्षा की पारदर्शिता और बोर्ड परीक्षा के अंक प्रणाली पर सवाल उठाए हैं, और इस मामले की गहरी जांच की आवश्यकता को दर्शाया है।


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Content Editor

Mahima

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