वक्फ संशोधन कानून पर SC में सुनवाई खत्म, आज आएगा अंतरिम फैसला, जानें क्या हैं 3 बड़े मुद्दे
punjabkesari.in Monday, Sep 15, 2025 - 10:55 AM (IST)

नेशनल डेस्क: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश सुनाएगा। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर फैसला सुनाएगी, जिस पर कोर्ट ने 22 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
इन 3 अहम मुद्दों पर हुई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिकाकर्ताओं ने तीन मुख्य मुद्दों पर आपत्ति जताई थी:
संपत्तियों को वक्फ से हटाने का अधिकार: याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि संशोधित कानून में वक्फ संपत्तियों को हटाने का अधिकार बहुत व्यापक है।
वक्फ बोर्ड की संरचना: याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति नहीं होनी चाहिए, सिवाय पदेन (ex-officio) पदों के।
जिला कलेक्टर द्वारा संपत्ति का दर्जा बदलना: नए कानून में यह प्रावधान है कि अगर जिला कलेक्टर यह तय कर देता है कि कोई वक्फ संपत्ति असल में सरकारी जमीन है, तो वह वक्फ की पहचान खो देगी। याचिकाकर्ताओं ने इस प्रावधान पर भी आपत्ति जताई है।
केंद्र और याचिकाकर्ताओं के तर्क
केंद्र सरकार का पक्ष: केंद्र सरकार ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से कहा कि वक्फ एक धर्मनिरपेक्ष (secular) अवधारणा है और संशोधित कानून पूरी तरह से संवैधानिक है। केंद्र ने यह भी कहा कि भले ही वक्फ की जड़ें इस्लामी परंपरा में हैं, लेकिन यह धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष: याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि यह कानून इतिहास और संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसका मकसद गैर-न्यायिक प्रक्रिया से वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना है।
क्या है एआईएमपीएलबी की उम्मीद?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने इस मामले पर अपनी उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि जिन चीजों पर उन्होंने अंतरिम राहत की मांग की है, वे आज उन्हें मिल जाएंगी।
कानून का इतिहास
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को 8 अप्रैल को अधिसूचित किया गया था, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को मंजूरी दी थी। इससे पहले, लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने इसे पारित किया था। संसद से मंजूरी मिलते ही इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।