तीस्ता सीतलवाड़ को कोर्ट से 'सुप्रीम' राहत, गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक
punjabkesari.in Saturday, Jul 01, 2023 - 10:26 PM (IST)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम राहत देते हुए गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट में शनिवार देर रात तीन जजों की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए 1 हफ्ते की अंतरिम राहत दी है। इससे पहले सीतलवाड़ को अंतरिम राहत देने पर दो न्यायाधीशों की अवकाश पीठ में मतभेद के बाद जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ विशेष बैठक में मामले की सुनवाई कर रही है।
गुजरात सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीस्ता सीतलवाड़ को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने का विरोध किया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के इस फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा जो व्यक्ति दस महीनों से इस कोर्ट के आदेश से बाहर है अगले एक हफ्ते और बाहर रहने से क्या दिक्कत हो सकती है?
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर गुजरात हाईकोर्ट ऐसा आदेश कैसे दे सकता है? SG ने कहा कि कि तीस्ता सीतलवाड़ भी एक आम अपराधी हैं। उन्होंने सरकार पर फर्जी आरोप लगाए इतना ही नहीं जांच एजेंसियों के साथ अदालत को भी गुमराह किया।
SG ने कहा गुजरात हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए आदेश का समर्थन करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने सभी तर्कों और तथ्यों के साथ विस्तृत आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्त की गई SIT ने तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार किया था। इस SIT के अध्यक्ष और सदस्यों को भी सुप्रीम कोर्ट ने ही नियुक्त किया था। जहां तक गुजरात हाई कोर्ट के इस आदेश का सवाल है वह आदेश भी इसी SIT के रिपोर्ट के आधार पर दिया है।
SG ने कहा कि तीस्ता मैं देसी नहीं विदेश में भी देश का नाम खराब किया है। जस्टिस गवाई ने SG से कहा जो आप दलीलें दे रहे हैं उन दलीलों को हमने हाईकोर्ट के आदेश में पढ़ लिया है। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश शनिवार को आया है। तुषार मेहता ने कहा वर्किंग शनिवार को यह आदेश आया है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत अगर खारिज होती है तो स्वाभाविक रूप से सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगा।
जस्टिस गवाई ने कहा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार वह पिछले साल सितंबर से अंतरिम जमानत पर हैं। हाई कोर्ट को शिकायतकर्ता को कम से कम 7 दिनों का समय अपील दाखिल करने के लिए दिया जाना चाहिए था ऐसा क्यों नहीं किया गया? कोर्ट ने पूछा कि हाई कोर्ट द्वारा यह फैसला शनिवार को कैसे दिया जा सकता है? उन्होंने कहा अगर हाईकोर्ट याचिकाकर्ता को 7 दिन का समय दे देता तो इसमें कोई आसमान नहीं गिर पड़ता।
इससे पहले शाम के समय हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्र की पीठ ने कहा, ‘‘इस विशेष अनुमति याचिका पर कुछ समय तक सुनवाई करने के बाद, हम अंतरिम राहत के निवेदन पर निर्णय लेते समय सहमत होने में असमर्थ हैं। इसलिए, यह उचित होगा यदि, भारत के माननीय प्रधान न्यायाधीश के आदेशों के तहत, यह याचिका उपयुक्त बड़ी पीठ के समक्ष रखी जाए।'' पीठ ने कहा, "रजिस्ट्रार (न्यायिक) को यह आदेश तुरंत प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखने का निर्देश दिया जाता है।"
गुजरात हाईकोर्ट द्वारा नियमित जमानत याचिका खारिज किए जाने के तुरंत बाद सीतलवाड़ ने राहत के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। जस्टिस निर्झर देसाई ने सीतलवाड़ को तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जो पिछले साल सितंबर में शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर हैं। उच्चतम न्यायालय गर्मी की छुट्टियों के कारण बंद है और सोमवार को फिर से खुलेगा।