GST Reforms: अब स्वास्थ्य सेवा हुई सस्ती, सभी के लिए बीमा का सपना होगा साकार
punjabkesari.in Saturday, Oct 04, 2025 - 05:07 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव आया है। 22 सितंबर, 2025 से लागू हुए जीएसटी (GST) सुधारों ने स्वास्थ्य सेवा को आम जनता के लिए अधिक किफायती और सुलभ बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है। इन बड़े परिवर्तनों का सीधा असर स्वास्थ्य बीमा, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की कीमतों पर पड़ेगा, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को बड़ी मजबूती मिलेगी।
स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर बड़ी राहत
सबसे बड़ी राहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर मिली है। अब व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों, जैसे कि फैमिली फ्लोटर, सीनियर सिटीजन प्लान्स, यूलिप और टर्म लाइफ कवर पर पहले लगने वाला 18% जीएसटी समाप्त कर दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस छूट से प्रीमियम की कीमतों में 12% से 18% तक की गिरावट आएगी। इस कदम से मध्यम और निम्न-आय वर्ग के लोगों के लिए बीमा खरीदना आसान हो जाएगा, जिससे बीमा कवरेज की पहुँच में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
दवाएं और उपकरण हुए सस्ते
मरीजों के लिए दवाओं की लागत में भी बड़ी कटौती की गई है। सभी तरह की दवाओं और चिकित्सा उपकरणों पर जीएसटी दर अब 5% कर दी गई है। इसके अलावा, कैंसर और दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 33 महत्वपूर्ण दवाओं को जीएसटी से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है। यह छूट मरीजों की जेब पर पड़ने वाले खर्च (Out-of-pocket expenditure) को सीधे तौर पर कम करेगी।
इसी तरह, डायग्नोस्टिक किट, ग्लूकोमीटर, अभिकर्मक और अन्य अस्पताल उपकरणों पर जीएसटी की दर को 12-18% से घटाकर केवल 5% कर दिया गया है। इससे अस्पतालों और डायग्नोस्टिक केंद्रों की परिचालन लागत (Operational Cost) में कमी आएगी।
आपातकालीन सेवाएं भी किफायती
आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं को भी राहत मिली है। एम्बुलेंस सेवाओं पर जीएसटी की दर को 28% से कम करके 18% कर दिया गया है, जिससे आपातकालीन सेवा प्रदाताओं के लिए ये सेवाएं अधिक किफायती हो जाएंगी।
अर्थव्यवस्था और पहुंच पर प्रभाव
इस कर कटौती का बहुआयामी लाभ मिलेगा:
डायग्नोस्टिक केंद्र अभिकर्मकों और किटों की कम लागत के कारण कम कीमत पर जांच की पेशकश कर सकेंगे। इससे निवारक स्वास्थ्य जांच (Preventive Health Check-ups) और हेल्थ पैकेज आम लोगों की पहुँच में आ जाएंगे। अस्पताल शून्य-जीएसटी बीमा प्रीमियम का फायदा उठाकर बीमा-संबद्ध मूल्य निर्धारण मॉडल अपना सकते हैं, जिससे तेजी से भुगतान सुनिश्चित होगा और मरीजों पर वित्तीय बोझ कम होगा।
बीमा कंपनियां ग्राहकों के लिए पॉलिसी अपनाना आसान होने के कारण तेजी से विकास की उम्मीद कर सकती हैं।