जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को खतरा, अध्ययन में दावा

punjabkesari.in Friday, Mar 08, 2024 - 10:48 PM (IST)

नई दिल्लीः जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में तापमान में वृद्धि से गर्भवती महिलाओं के लिए समय से पहले प्रसव, गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप सहित गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो रहे हैं। सरकार के सहयोग से किए गए एक नए अध्ययन में यह कहा गया है। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने विभाग द्वारा प्रायोजित रिपोर्ट को प्रस्तुत करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन और इसका प्रभाव कोई अकेला संकट नहीं है। 

उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत में कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्रों के परिप्रेक्ष्य से पहला भारतीय अध्ययन है; यह भारत में पहले कभी नहीं किया गया और यही कारण है कि यह महत्वपूर्ण है।'' ईरानी ने कहा, ‘‘देश में कृषि पारिस्थितिकीय क्षेत्रों के बारे में एक विमर्श होना चाहिए। भारत को जलवायु समाधान पेश करना होगा और यह भी अध्ययन करना होगा कि ‘ग्लोबल नार्थ' जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में क्या सामना कर रहा है और हम कैसे समाधान प्रदान कर सकते हैं।'' 

‘ग्लोबल नार्थ' का आशय अमीर, आर्थिक रूप से संपन्न देशों से है। अध्ययन का एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहने के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति गर्भवती महिलाओं की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। अध्ययन में कहा गया कि भारत में 2030 तक वार्षिक तापमान में 1.7 से 2.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि का अनुमान है। ऐसे में अत्यधिक गर्मी की स्थिति में रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। अध्ययन में कहा गया है, ‘‘तापमान में यह वृद्धि गर्भवती महिलाओं के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करती है, जिसमें समय से पहले प्रसव, गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप शामिल हैं।'' 

यह अध्ययन एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन, एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) और कर्मन्य द्वारा किया गया। यह नया अध्ययन महिलाओं और बच्चों द्वारा सामना किए जाने वाले उच्च जोखिमों, विशेष रूप से स्वास्थ्य परिणामों और सामाजिक आर्थिक कमजोरियों के संबंध में प्रकाश डालता है। 

स्वास्थ्य जोखिमों से लेकर आजीविका तक विभिन्न कारकों का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट ने इन प्रभावों को कम करने के लिए लक्षित हस्तक्षेपों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है। अध्ययन में गर्भवती महिलाओं और बच्चों को गर्मी से संबंधित बीमारियों से बचाने के लिए स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, महिलाओं और बच्चों के बीच जलवायु-संवेदनशील बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है। 


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Content Writer

Pardeep

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