शाह की एंट्री से संसद पहुंचे गुजराती व्यंजन

punjabkesari.in Sunday, Dec 24, 2017 - 09:02 AM (IST)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता में आए हुए 44 महीने हो गए हैं लेकिन संसद परिक्षेत्र में कोई भी गुजराती व्यंजन स्टाल नहीं बना। संसद की कैंटीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के अधीन आती है इसलिए फूड कमेटी के चयन में भी उनकी ही भूमिका रहती है लेकिन अमित शाह ने जब 15 दिसम्बर को राज्यसभा में सांसद के रूप में प्रवेश किया तो उसके कुछ दिन बाद यानी 18 दिसम्बर को ही कैंटीन के मैन्यू में विशेष गुजराती व्यंजन शामिल कर दिए गए।

संसद के 70 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब सांसदों व वहां के स्टाफ, यहां तक कि पत्रकारों को भी गुजराती व्यंजन परोसे गए। यद्यपि मोदी भी गुजराती खाने के शौकीन हैं और उन्होंने इनको मशहूर करने के लिए बहुत कुछ किया। इसके बावजूद संसद की कैंटीन में गुजराती मैन्यू 44 महीने में कभी नहीं दिखा। इसके पीछे शायद एक वजह यह भी है कि वह कैंटीन में खाना नहीं खाते हैं। वह घर में बने ताजे खाने को ही अधिमान देते हैं।


गुजरात मैन्यू संसद की कैंटीन में
पिछले सोमवार को शुरू हुआ जिससे ये कयास लगाए जा रहे हैं कि शाह कैंटीन में खाना खा सकते हैं। इसके अलावा कुछ गुजराती सांसदों ने भी संसदीय खाद्य कमेटी से गुजराती भोजन उपलब्ध करवाने की प्रार्थना की थी। संसदीय खाद्य कमेटी के मौजूदा अध्यक्ष टी.आर.एस. पार्टी के सांसद जितेन्द्र रैड्डी हैं जो तय करते हैं कि कैंटीन में कैसा खाना बने। इस पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। सांसदों को खाना उनके अनुरोध के हिसाब से मुहैया करवाया जाता है लेकिन इससे पहले मैन्यू में आधा दर्जन गुजराती व्यंजन कभी भी शामिल नहीं हुए। हालांकि भाजपा के एक नजदीकी सूत्र का मानना है कि इस सबके पीछे अमित शाह का कोई हाथ नहीं है। ये सब या तो खाद्य कमेटी या फिर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने प्रायोगिक तौर पर शुरू किया है।


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