गुजरात पुल हादसे के 25 दिन बाद भी लटका है टैंकर, हटाने के लिए ‘बैलून तकनीक’ का लिया जाएगा सहारा

punjabkesari.in Saturday, Aug 02, 2025 - 08:25 PM (IST)

नेशनल डेस्क : मुजपुर-गंभीरा पुल पर 9 जुलाई को हुए दर्दनाक हादसे को 25 दिन बीत चुके हैं, लेकिन हादसे में शामिल टैंकर अब तक पुल के टूटे हुए ढांचे पर लटका हुआ है। इस हादसे में 21 लोगों की जान चली गई थी। अब मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के निर्देश पर टैंकर को हटाने के लिए अत्याधुनिक ‘बैलून तकनीक’ का उपयोग किया जाएगा। यह कार्य विशेषज्ञों की देखरेख में जल्द शुरू किया जाएगा।

कमजोर पुल पर भारी मशीनरी नहीं हो सकती इस्तेमाल
पुल की संरचना बेहद कमजोर हो चुकी है, ऐसे में भारी क्रेन या अन्य मशीनरी से टैंकर हटाने का जोखिम नहीं लिया जा सकता। एमएस यूनिवर्सिटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. निकुल पटेल ने बताया कि इस ऑपरेशन में प्रोपेन गैस से भरे बैलून का प्रयोग किया जाएगा, जिससे टैंकर को धीरे-धीरे हवा में उठाया जाएगा और फिर संतुलित रूप से हटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में आर्किमिडीज़ प्रिंसिपल और बायो-एंड फोर्स जैसे वैज्ञानिक सिद्धांतों का उपयोग किया जाएगा। इस ऑपरेशन की निगरानी ड्रोन कैमरों से की जाएगी ताकि कोई अनहोनी न हो।

मरीन रेस्क्यू एजेंसी को सौंपी गई जिम्मेदारी
वडोदरा जिला प्रशासन ने बताया कि पोरबंदर स्थित विश्वकर्मा ग्रुप की मरीन इमरजेंसी रिस्पॉन्स कंपनी को टैंकर हटाने की जिम्मेदारी दी गई है। यह देश की एकमात्र मरीन रेस्क्यू एजेंसी है और इस कार्य को राज्य सरकार के मार्गदर्शन में अंजाम दिया जाएगा। वडोदरा के जिला कलेक्टर प्रवीण चौधरी ने जानकारी दी कि अगले 4 से 5 दिनों में सर्वे और स्ट्रक्चरल रीडिंग का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। उसके बाद 7 दिनों के भीतर बैलून तकनीक के माध्यम से टैंकर हटाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। पूरे राज्य की निगाहें इस ऑपरेशन पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह अपनी तरह का अनोखा और चुनौतीपूर्ण प्रयास है।

हादसे के बाद से यह टैंकर न सिर्फ तकनीकी चुनौती बना हुआ है, बल्कि जनता के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है। अब देखना होगा कि यह आधुनिक तकनीक कितनी सफल साबित होती है।


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Content Editor

Shubham Anand

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