आखिर क्या है ''Sin Goods'' जिसपे सरकार इतना भारी टैक्स लगाती है, इस कैटेगरी में आते हैं ये प्रोडक्ट्स!
punjabkesari.in Monday, Sep 08, 2025 - 02:21 PM (IST)

नेशनल डेस्क : GST काउंसिल की 56वीं बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं, जो आम आदमी के रोजमर्रा के खर्चों को सीधे प्रभावित करेंगे। अब 12% और 18% टैक्स स्लैब को खत्म कर केवल 5% और 18% टैक्स स्लैब लागू किए जाएंगे। इससे कई जरूरी सामान सस्ते हो जाएंगे। हालांकि, दूसरी ओर कुछ खास वस्तुओं, जिन्हें 'सिन गुड्स' कहा जाता है, पर टैक्स को बढ़ाकर 40% कर दिया गया है। इस कदम का उद्देश्य इन वस्तुओं की खपत को कम करना और सरकारी राजस्व को बढ़ाकर स्वास्थ्य व सामाजिक कल्याण के कार्यों में उपयोग करना है। नए टैक्स रेट 22 सितंबर 2025 से लागू होंगे।
सिन गुड्स क्या हैं?
'सिन गुड्स' ऐसी वस्तुएं हैं, जो स्वास्थ्य और समाज के लिए हानिकारक मानी जाती हैं। इनमें तंबाकू उत्पाद, शराब, गुटखा, पान मसाला आदि शामिल हैं। सरकार इनके उपयोग को कम करने के लिए इन पर भारी टैक्स लगाती है। पहले इन वस्तुओं पर 28% GST के साथ एक अलग सेस (कंपनसेशन सेस) लगता था, जिससे कुल टैक्स दर लगभग 40% हो जाती थी। अब नई व्यवस्था में सेस को हटाकर एक सीधा 40% GST स्लैब लागू किया गया है, जिससे टैक्स प्रणाली अधिक सरल और पारदर्शी हो गई है।
40% GST स्लैब में शामिल वस्तुएं
GST काउंसिल ने सिन गुड्स को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा है, जिन पर 40% टैक्स लागू होगा:
1. लग्जरी वाहन और ट्रांसपोर्ट
पेट्रोल इंजन वाली कारें: जिनकी क्षमता 1200 cc से अधिक हो।
डीजल इंजन वाली कारें: जिनकी क्षमता 1500 cc से अधिक हो।
मोटरसाइकिलें: 350 cc से अधिक क्षमता वाली।
हाई-एंड कारें: जैसे स्टेशन वैगन और रेसिंग कारें।
प्राइवेट हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज।
याच और अन्य लग्जरी नावें।
2. तंबाकू और पेय पदार्थ
तंबाकू उत्पाद: पान मसाला, गुटखा, बीड़ी, सिगार, सिगरेट होल्डर, स्मोकिंग पाइप, बिना प्रोसेस किया तंबाकू और तंबाकू का चूरा (पत्तियों को छोड़कर)।
पेय पदार्थ: शक्कर या स्वीटनर युक्त एरेटेड ड्रिंक्स, कैफीन युक्त पेय, कार्बोनेटेड फ्रूट ड्रिंक्स और अन्य गैर-अल्कोहलिक पेय।
आम आदमी पर क्या होगा असर?
नए 40% GST स्लैब से सिन गुड्स की कीमतों में मामूली वृद्धि होगी, क्योंकि पहले ये वस्तुएं 28% GST और सेस के साथ लगभग 40% टैक्स दर पर थीं। अब टैक्स प्रणाली को सरल करते हुए एक समान 40% स्लैब लागू किया गया है। इससे इन वस्तुओं की खपत को कम करने में मदद मिलेगी और सरकार का राजस्व बढ़ेगा, जिसे स्वास्थ्य सुधार और सामाजिक कल्याण के लिए उपयोग किया जाएगा।
वहीं, 12% और 18% टैक्स स्लैब के हटने से कई रोजमर्रा की जरूरी वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी, जिससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। सरकार का यह कदम न केवल कर प्रणाली को सरल बनाता है, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।