शानदार! नींद, टक्कर और सड़क सुरक्षा... सरकार की नई पहल, बड़े वाहनों में अनिवार्य करेगी ये सेफ़्टी फीचर्स
punjabkesari.in Wednesday, Mar 26, 2025 - 10:03 AM (IST)

नेशनल डेस्क: देश में सड़क दुर्घटनाओं और उनमें होने वाली मौतों को कम करने के लिए सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। अप्रैल 2026 से, भारी वाहनों, जैसे बसों, ट्रकों और 8 या उससे अधिक लोगों को ढोने वाले पैसेंजर वाहनों में कुछ महत्वपूर्ण और एडवांस सेफ्टी फीचर्स को अनिवार्य किया जाएगा। यह पहल सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने और लोगों की जान बचाने के उद्देश्य से की जा रही है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के द्वारा तैयार किए गए मसौदे के अनुसार, इन सेफ्टी फीचर्स में एडवांस ड्राइविंग असिस्टेंस सिस्टम (ADAS) के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण सिस्टम शामिल किए जाएंगे, जिनका उद्देश्य वाहन की सुरक्षा में वृद्धि करना है। इन फीचर्स में मुख्य रूप से इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम (AEBS), ड्राइवर ड्रॉजिनेस एंड अटेंशन वार्निंग सिस्टम (DDAWS), लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम (LDWS), और ब्लाइंड स्पॉट मॉनिटरिंग सिस्टम (BSMS) जैसे फीचर्स शामिल होंगे।
1. इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम (AEBS)
इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम एक अत्यधिक महत्वपूर्ण सेफ्टी फीचर है, जो किसी भी संभावित टक्कर को पहचानने की क्षमता रखता है। यदि वाहन चालक तुरंत प्रतिक्रिया नहीं करता, तो यह सिस्टम वाहन को धीमा करने के लिए ब्रेक्स लागू करता है, जिससे टक्कर का प्रभाव कम होता है और दुर्घटना की संभावना घटती है। यह फीचर खासतौर पर ट्रकों और बसों के लिए महत्वपूर्ण है, जो भारी होते हैं और इनमें ब्रेकिंग की प्रतिक्रिया समय अधिक हो सकता है।
2. ड्राइवर ड्रॉजिनेस एंड अटेंशन वार्निंग सिस्टम (DDAWS)
यह सिस्टम ड्राइवर की स्थिति पर नजर रखता है और यदि चालक को नींद आने या ध्यान की कमी महसूस होती है तो उसे चेतावनी देता है। DDAWS ड्राइवर की आँखों और सिर की गतिविधियों को ट्रैक करता है, जैसे कि वे कहाँ देख रहे हैं, उनकी आँखें कितनी खुली हैं, और कितना समय वे एक ही दिशा में देख रहे हैं। जब सिस्टम को यह पता चलता है कि चालक नींद में आ सकता है या उसका ध्यान भटक सकता है, तो यह ड्राइवर को तुरंत अलर्ट करता है। यह अलर्ट लाइट, साउंड और वाइब्रेशन के रूप में हो सकता है, ताकि चालक वाहन को नियंत्रित रख सके और दुर्घटना से बच सके।
3. लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम (LDWS)
लेन डिपार्चर वार्निंग सिस्टम उस समय सक्रिय होता है जब वाहन अपनी लेन से बाहर जाने लगता है। यह सिस्टम कैमरे या सेंसर के माध्यम से सड़क की लेन मार्किंग (सफेद या पीली लाइनें) को पहचानता है। अगर वाहन बिना इंडिकेटर के अपनी लेन से बाहर निकलने लगता है, तो यह ड्राइवर को चेतावनी देता है। यह चेतावनी अलार्म या वाइब्रेशन के रूप में होती है। इस सिस्टम का मुख्य उद्देश्य वाहन को उसकी लेन में बनाए रखना है, ताकि ड्राइवर को अचानक कोई आपात स्थिति का सामना न करना पड़े।
4. ब्लाइंड स्पॉट मॉनिटरिंग सिस्टम (BSMS)
ब्लाइंड स्पॉट मॉनिटरिंग सिस्टम ड्राइवर को वाहन के साइड और रियर में मौजूद ब्लाइंड स्पॉट (वह क्षेत्र जिसे ड्राइवर अपने मिरर से नहीं देख सकता) में किसी अन्य वाहन या वस्तु के बारे में सूचित करता है। यह सिस्टम अल्ट्रासोनिक या रडार सेंसर का उपयोग करता है और ड्राइवर को एक इंडिकेटर लाइट या अलर्ट साउंड के माध्यम से सचेत करता है। यह फीचर खासतौर पर तब उपयोगी होता है जब चालक लेन बदलने का प्रयास कर रहा हो और उसे यह समझने में मदद करता है कि उस समय सड़क पर अन्य वाहन मौजूद हैं या नहीं।
एडवांस फीचर्स को लागू करने से सड़क सुरक्षा में सुधार
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस योजना के महत्व को उजागर करते हुए कहा था कि इन सुरक्षा फीचर्स के लागू होने से भारतीय सड़कों पर दुर्घटनाओं को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि 2023 में करीब 1,72,000 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें से लगभग 33,000 लोग ट्रकों द्वारा टक्कर मारने से मारे गए। गडकरी का कहना है कि इन एडवांस फीचर्स को लागू करने से सड़क सुरक्षा में सुधार होगा और दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।
क्या बदलाव होंगे?
अक्टूबर 2026 से, जिन वाहनों में ये फीचर्स लागू होंगे, वे नए वाहन मॉडल्स होंगे। सरकार ने केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन करने की योजना बनाई है, ताकि AEBS, DDAWS, LDWS और BSMS जैसे फीचर्स को अनिवार्य किया जा सके। मिनी और रेगुलर बसों, ट्रकों, और पैसेंजर वाहनों में ये सिस्टम लगाए जाएंगे। इन सुरक्षा उपायों का उद्देश्य दुर्घटनाओं को कम करना, चालक की सतर्कता बढ़ाना और सड़क पर सभी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस पहल का समग्र उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं को कम करना और सुरक्षा मानकों में सुधार करना है। जब बड़े वाहन जैसे बसों और ट्रकों में यह एडवांस ड्राइविंग असिस्टेंस सिस्टम होगा, तो इससे ड्राइवर के साथ-साथ पैसेंजर की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। इसके अलावा, यह पहल भारतीय सड़कों पर दुर्घटनाओं में कमी लाने में मददगार साबित होगी।