सरकार ने शुरू की LIC की हिस्सेदारी बेचने की तैयारी, निवेशकों के लिए बड़ा मौका या खतरे का संकेत?

punjabkesari.in Thursday, Aug 14, 2025 - 03:06 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी, जीवन बीमा निगम (LIC) में सरकार फिर से अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है। इससे सरकार को करीब ₹14,000 से ₹17,000 करोड़ तक की राशि मिलने की उम्मीद है। तीन साल पहले भी सरकार ने LIC में 3.5% हिस्सेदारी बेचकर सार्वजनिक हुई थी। अब रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार 2.5 से 3 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने वाली है। यह कदम सरकारी फंड जुटाने और बाजार की नियमावली का पालन करने के लिए उठाया जा रहा है।

LIC की हिस्सेदारी क्यों बेच रही है सरकार?

LIC में सरकार की कुल हिस्सेदारी लगभग 96.5% है। 2021 में सरकार ने LIC के IPO (इनीशियल पब्लिक ऑफर) के जरिए 3.5% हिस्सेदारी बाजार में उतारी थी। अब सरकार पुनः 2.5 से 3% हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। इसका एक बड़ा कारण है SEBI द्वारा LIC को न्यूनतम 10% सार्वजनिक शेयरधारक रखने का नियम, जिसे पूरा करने के लिए सरकार को अपनी हिस्सेदारी कम करनी होगी। इस नियम को पूरा करने के लिए सरकार को मई 2027 तक का समय मिला है। इसलिए, सरकार ने LIC की हिस्सेदारी बेचकर इस नियम का पालन करना जरूरी समझा है।

कितनी राशि जुटाने का लक्ष्य है?

रिपोर्ट के मुताबिक, इस हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को ₹14,000 करोड़ से ₹17,000 करोड़ तक की रकम मिलने की संभावना है। LIC का मार्केट कैप ₹5.59 लाख करोड़ के करीब है। बाजार में LIC के शेयर हाल ही में ₹884.30 पर बंद हुए, जो पिछले कुछ दिनों में 3.5% गिरावट पर थे। सरकार इस हिस्सेदारी बेचने के लिए मोतीलाल ओसवाल और IDBI कैपिटल को ब्रोकर नियुक्त कर चुकी है। दो हफ्ते के अंदर इसका रोड शो शुरू हो सकता है, जिसके बाद ही हिस्सेदारी की बिक्री का अंतिम फैसला लिया जाएगा।

सरकार बैंकों में भी हिस्सेदारी घटा रही है

सरकार LIC के साथ-साथ कुछ सरकारी बैंकों में भी अपनी हिस्सेदारी घटाने की योजना बना रही है। इनमें इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र प्रमुख हैं। इन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी क्रमशः 94.61%, 90.95%, 93.85%, 89.27% और 79.60% है। सरकार को इन सभी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 75% तक कम करनी है, जिसके लिए अगस्त 2026 तक की समय सीमा निर्धारित की गई है। फिलहाल केवल बैंक ऑफ महाराष्ट्र इस डेडलाइन को पूरा करने की स्थिति में है, जबकि बाकी बैंक समय सीमा बढ़ाने की मांग कर सकते हैं।

इस फैसले का क्या मतलब है?

सरकार की यह हिस्सेदारी बेचने की योजना वित्तीय बाजार में सरकार की कमाई बढ़ाने का एक कदम है। साथ ही यह सार्वजनिक कंपनी बनने के LIC के पुराने वादे को भी पूरा करता है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की हिस्सेदारी कम होने से LIC का प्रबंधन और पारदर्शिता बेहतर होगी, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा। वहीं, निवेशकों के लिए यह एक मौका हो सकता है LIC जैसे बड़े ब्रांड के शेयर खरीदने का।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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