राजस्थान सरकार का बड़ा फेरबदल, 53 IAS और 24 IPS अफसरों के ट्रांसफर
punjabkesari.in Saturday, Feb 01, 2025 - 05:22 PM (IST)
नेशनल डेस्क: राजस्थान सरकार ने अपने प्रशासनिक ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए 53 IAS, 24 IPS, 34 IFS और 113 RAS अधिकारियों के ट्रांसफर का आदेश दिया है। राज्य के कार्मिक विभाग ने शुक्रवार रात विभिन्न आदेश जारी कर अफसरों के तबादले की जानकारी दी। इस फैसले से राज्य के प्रशासनिक कार्यों में बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है, और यह कदम मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में लिया गया है, जो खुद कार्मिक विभाग के प्रभारी हैं।
किस अफसर को मिला कौन सा पद?
राजस्थान सरकार ने अधिकारियों के ट्रांसफर के साथ कई महत्वपूर्ण नियुक्तियां की हैं। इसके तहत जयपुर, कोटा, बीकानेर और उदयपुर में नए संभागीय आयुक्तों की नियुक्ति की गई है। इनमें वरिष्ठ IAS अधिकारी डॉ. रवि कुमार को बीकानेर, पूनम को जयपुर, राजेंद्र सिंह को कोटा और प्रज्ञा केवलरमानी को उदयपुर का संभागीय आयुक्त नियुक्त किया गया है। इसके अलावा, आशुतोष पेडणेकर को ग्रामीण विकास सचिव के पद से हटा कर जनजातीय क्षेत्रीय विकास विभाग में शासन सचिव बना दिया गया है।
जिलाधिकारियों के पद पर भी बदलाव
राज्य सरकार ने कई जिलों के जिलाधिकारियों का भी ट्रांसफर किया है। अवधेश मीणा को सलूंबर, नamit मेहता को उदयपुर और जसमीत सिंह को भीलवाड़ा का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया है। इन नियुक्तियों के बाद, यह उम्मीद जताई जा रही है कि इन अफसरों के नए कार्यक्षेत्र में प्रशासनिक सुधारों और विकास कार्यों में गति आएगी।
पिछले साल के बड़े ट्रांसफर
इससे पहले, राजस्थान सरकार ने पिछले साल सितंबर और अक्टूबर में प्रशासनिक फेरबदल की प्रक्रिया शुरू की थी। सितंबर 2024 में 386 RAS अफसरों के ट्रांसफर का आदेश जारी किया गया था। इसके बाद, अक्टूबर में एक साथ 83 RAS अधिकारियों के तबादले हुए थे। राजस्थान सरकार ने तब 5 RAS अधिकारियों के ट्रांसफर आदेश को निरस्त भी किया था। इन बड़े फेरबदल के जरिए सरकार ने स्थानीय प्रशासनिक ढांचे में सुधार करने की कोशिश की थी।
राजनीतिक और प्रशासनिक बदलावों का महत्व
किसी भी राज्य में प्रशासनिक फेरबदल आमतौर पर प्रशासनिक सुधार और कामकाजी प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए किए जाते हैं। इन बदलावों के पीछे मुख्य उद्देश्य राज्य की नीतियों को सही तरीके से लागू करना, प्रशासनिक क्षमता को मजबूत करना और विकास कार्यों को तेज़ करना होता है। राजस्थान सरकार का यह कदम ऐसे समय में आया है जब राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति को और तेज़ करने की जरूरत महसूस की जा रही थी।