Gold Rate: वैश्विक तनाव के बीच सोने की चमक बरकरार, जानिए 1 सितंबर 2025 को आपके शहर में गोल्ड का ताजा रेट

punjabkesari.in Monday, Sep 01, 2025 - 11:47 AM (IST)

नेशनल डेस्क: 1 सितंबर 2025 को भारत के प्रमुख शहरों में सोने और चांदी की कीमतों में हलचल देखी गई है। वैश्विक तनाव डॉलर की स्थिति और घरेलू मांग के चलते सोने के दाम में एक बार फिर तेजी देखने को मिल रही है। खास बात ये है कि दिल्ली जैसे बड़े शहरों में सोना रिकॉर्ड स्तर पर बिक रहा है। दिल्ली में आज 24 कैरेट सोना 1,06,030 रुपये प्रति 10 ग्राम, 22 कैरेट 97,200 रुपये प्रति 10 ग्राम और 18 कैरेट 79,530 रुपये प्रति 10 ग्राम पर मिल रहा है। देश के अन्य प्रमुख शहरों मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु, केरल और पुणे में 24 कैरेट सोना 1,05,880 रुपये प्रति 10 ग्राम, 22 कैरेट 97,050 रुपये प्रति 10 ग्राम और 18 कैरेट 79,410 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा है। चेन्नई में 18 कैरेट सोना कुछ महंगा होकर 80,300 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है।

वैश्विक घटनाओं का असर सोने पर क्यों पड़ता है?

सोने की कीमतों में रोज़ाना उतार-चढ़ाव देखा जाता है और इसके पीछे कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कारक जिम्मेदार होते हैं। सबसे पहला बड़ा कारण है अमेरिकी डॉलर की मजबूती या कमजोरी। चूंकि सोने की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर में तय होती हैं, इसलिए जब डॉलर मजबूत होता है या भारतीय रुपया कमजोर पड़ता है, तो भारत में सोना महंगा हो जाता है। दूसरा अहम कारण है वैश्विक तनाव। युद्ध, राजनीतिक अस्थिरता या आर्थिक मंदी जैसे हालातों में निवेशक सुरक्षित विकल्प की तलाश में सोने की ओर रुख करते हैं, जिससे इसकी मांग और कीमत दोनों बढ़ जाते हैं। इसके अलावा ब्याज दरों में बदलाव का भी सीधा असर पड़ता है। जब बैंकों की ब्याज दरें कम होती हैं, तब निवेशक शेयर बाजार की बजाय सोने को बेहतर रिटर्न देने वाला विकल्प मानते हैं, जिससे इसकी मांग में इज़ाफा होता है। इस तरह इन सभी कारकों के चलते सोने की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव बना रहता है।

सोने की कीमतें कैसे तय होती हैं भारत में?

भारत में सोने के रेट तय करने में सरकारी नीतियों और टैक्स का भी बड़ा योगदान होता है। बता दें भारत अपनी जरूरत का अधिकांश सोना आयात करता है इसलिए आयात शुल्क (Import Duty) का सीधा असर इसकी कीमतों पर पड़ता है। सरकार द्वारा लगाए गए सीमा शुल्क और अन्य करों के कारण सोने की लागत बढ़ जाती है, जो अंततः उपभोक्ताओं तक महंगे दामों में पहुंचता है। इसके अलावा, जब कोई ग्राहक ज्वैलरी खरीदता है तो उस पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) भी लागू होता है, जिससे अंतिम कीमत और अधिक बढ़ जाती है। इस तरह आयात नीति और टैक्स स्ट्रक्चर सोने की कीमत को सीधे प्रभावित करते हैं।

त्योहार और शादी-ब्याह का सीज़न भी बनाता है सोने को महंगा

भारत में सोना सिर्फ निवेश का जरिया नहीं बल्कि सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व रखता है। शादी, तीज-त्योहार, धनतेरस और अन्य शुभ अवसरों पर सोने की खरीद बढ़ जाती है। इससे मांग में उछाल आता है और कीमतें चढ़ने लगती हैं।

सोना एक सुरक्षित निवेश क्यों माना जाता है?

जब मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ती है या शेयर बाजार में अस्थिरता आती है तो लोग सोने को एक भरोसेमंद और सुरक्षित निवेश विकल्प मानते हैं। यह धातु लंबे समय से निवेशकों को स्थिर और अपेक्षाकृत सुरक्षित रिटर्न देती आई है, जिससे इसका भरोसा और अधिक बढ़ जाता है। खासकर उन परिस्थितियों में जब आर्थिक माहौल अनिश्चित हो, तब सोना एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरता है। यही कारण है कि वैश्विक या घरेलू अस्थिरता के समय में सोने की मांग बढ़ती है और इसकी चमक और भी तेज हो जाती है।

आज की तुलना में कल कितना था सोना सस्ता या महंगा?

अगर बीते कुछ हफ्तों या महीनों की तुलना की जाए तो आज सोने की कीमतें एक बार फिर रिकॉर्ड हाई की ओर बढ़ती दिखाई दे रही हैं। हालांकि कुछ शहरों में मामूली गिरावट भी दर्ज की गई है, लेकिन कुल मिलाकर बाजार में मजबूती बनी हुई है। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली में 24 कैरेट सोना आज 1,06,030 रुपये प्रति 10 ग्राम की दर से बिक रहा है, जबकि कुछ दिन पहले इसकी कीमत 1,05,880 रुपये थी। वहीं मुंबई सहित अन्य प्रमुख शहरों में अभी भी यह दर 1,05,880 रुपये पर स्थिर बनी हुई है। इन आंकड़ों से यह साफ होता है कि निवेशकों का भरोसा अभी भी सोने पर कायम है और वे इसे सुरक्षित निवेश के रूप में देख रहे हैं।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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