इंदौर में भिखारियों को भीख देना आपको पड़ सकता है महंगा, हो जाएगी FIR, जानें क्यों?

punjabkesari.in Tuesday, Dec 17, 2024 - 02:24 PM (IST)

नेशनल डेस्क। इंदौर में भिखारियों को भीख देने पर अब कानूनी कार्रवाई हो सकती है। दरअसल इंदौर को भिखारी मुक्त शहर बनाने के उद्देश्य से प्रशासन ने 1 जनवरी 2024 से एक नया कदम उठाने का फैसला किया है। इसके तहत अगर कोई व्यक्ति भिखारी को भीख देता हुआ पाया गया तो उसके खिलाफ एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज की जाएगी।

भीख देना होगा अब अपराध 

इंदौर प्रशासन ने बताया कि 1 जनवरी से शहर में भीख देने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी आशीष सिंह ने सोमवार को कहा कि शहर में दिसंबर के अंत तक भिक्षावृत्ति (भीख मांगने और देने) के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे भिखारियों को भीख देकर "पाप में भागीदार" न बनें क्योंकि यह अपराध की श्रेणी में आता है।

इससे पहले बच्चों को भीख देना या उनसे सामान खरीदना पहले ही प्रतिबंधित था। अब यह कदम भिखारियों को भीख देने वालों के खिलाफ उठाया जाएगा।

इंदौर में भिखारी मुक्त अभियान

इंदौर उन 10 शहरों में से एक है जिन्हें केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भिखारियों को समाप्त करने के उद्देश्य से एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत चुना है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भिक्षावृत्ति को खत्म करना है। प्रशासन का मानना है कि भिखारियों को भीख देने से यह बुरी आदत बनी रहती है जिससे वे पुनर्वास की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाते हैं।

भिक्षावृत्ति पर नियंत्रण

भिक्षावृत्ति पर नियंत्रण पाने के लिए प्रशासन ने कई महीनों से काम शुरू किया था। इस दौरान भिक्षावृत्ति में शामिल विभिन्न गिरोहों का खुलासा किया गया और कई भिखारियों का पुनर्वास भी कराया गया। इसके साथ ही प्रशासन ने यह भी पाया कि कुछ भिखारी रिहायशी संपत्तियों, प्लॉट्स और यहां तक कि जमीन के मालिक भी हैं जबकि वे सड़कों पर भीख मांगते हैं।

हालिया घटनाएँ

हाल ही में इंदौर में एक ऐसे गैंग का खुलासा हुआ था जो दिनभर सड़कों पर भीख मांगता था और रात को होटल में आराम करता था। इसके अलावा भवरकुंआ इलाके में एक 70 साल की महिला भिखारी ब्याज पर पैसे उधार देती थी। इस प्रकार की घटनाओं ने प्रशासन को भिक्षावृत्ति के खिलाफ और भी सख्त कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।

इसी दौरान इंदौर में एक महिला भिखारी के पास 74,768 रुपये की बड़ी रकम पाई गई जिसे उसने अपनी हफ्ते भर की कमाई बताया। इससे यह भी खुलासा हुआ कि कुछ भिखारी संपत्ति और जमीनों के मालिक हैं जबकि वे सड़कों पर भीख मांग रहे थे।

बता दें कि इंदौर प्रशासन का यह कदम भिक्षावृत्ति को खत्म करने और शहर को साफ-सुथरा रखने के उद्देश्य से है। अगर आप किसी भिखारी को भीख देते हैं तो यह आपके लिए कानूनी रूप से भारी पड़ सकता है। प्रशासन का मानना है कि भिखारियों की मदद के लिए पुनर्वास और शिक्षा की जरूरत है न कि उन्हें भीख देने की।


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News Editor

Rahul Rana

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