Lok Sabha Elections 2024 : इंदिरा गांधी के हत्यारे के बेटे से लेकर अमृतपाल सिंह तक, निर्दलीय उम्मीदवारों की बड़ी जीत, कई दिग्गज नेताओं को हराया

punjabkesari.in Wednesday, Jun 05, 2024 - 11:50 AM (IST)

नेशनल डेस्क: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे घोषित हो चुके हैं और इस बार कई बड़े दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। मोदी सरकार के कई मंत्रियों से लेकर कांग्रेस और अन्य पार्टियों के बड़े नेता चुनाव हार गए हैं। लेकिन इस चुनाव में कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से जीत हासिल कर सबको चौंका दिया है। इस बार कम से कम सात निर्दलीय उम्मीदवार संसद पहुंचे हैं, जो पिछले चुनावों की तुलना में अधिक हैं। आइए जानते हैं उन निर्दलीय उम्मीदवारों के बारे में जिन्होंने इस बार बड़ी जीत दर्ज की है:

1. मोहम्मद हनीफा (लद्दाख): निर्दलीय उम्मीदवार मोहम्मद हनीफा ने कांग्रेस उम्मीदवार शेरिंग नामग्याल को 27,862 वोटों के अंतर से हराया।

2. इंजीनियर राशिद (बारामूला): इंजीनियर अब्दुल राशिद शेख ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन को पराजित किया। राशिद ने उमर अब्दुल्ला को दो लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया।

3. अमृतपाल सिंह (खडूर साहिब): खालिस्तानी नेता और वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने कांग्रेस के कुलबीर सिंह जीरा को 1.97 लाख वोटों के अंतर से हराया।

4. उमेशभाई बाबूभाई पटेल (दमन और दीव): उमेशभाई बाबूभाई पटेल ने बीजेपी के लालूभाई बाबूभाई पटेल को 6,225 वोटों के अंतर से हराया, जिससे 15 साल बाद बीजेपी की हार हुई।

5. विशाल प्रकाशबाबू पाटिल (सांगली): विशाल (दादा) प्रकाशबाबू पाटिल ने बीजेपी के संजय काका पाटिल को एक लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया। विशाल पाटिल को 5.71 लाख से अधिक वोट मिले।

6. सरबजीत सिंह खालसा (फरीदकोट): सरबजीत सिंह खालसा ने आम आदमी पार्टी के करमजीत सिंह अनमोल को 70 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया। सरबजीत सिंह खालसा पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे हैं।

7. राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव (पूर्णिया): पप्पू यादव ने 56.75 लाख वोट प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 23,847 वोटों से हराया। पप्पू यादव इससे पहले भी दो बार निर्दलीय सांसद रह चुके हैं और दोनों ही बार वह पूर्णिया से ही चुनाव जीते थे।

1957 के चुनाव में सबसे अधिक 42 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। 1952 में 37, 1962 में 20, 1967 में 35, 1971 में 14 और 1989 में 12 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। वहीं, 1991 के चुनाव में केवल एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। इस बार के चुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया है कि निर्दलीय उम्मीदवार भी बड़ी राजनीतिक पार्टियों के सामने कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं और जनता का विश्वास जीत सकते हैं।


 

 


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Mahima

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