Inspiration: दोस्त के बेटे को हुए कैंसर ने बदल दी सोच, नौकरी केे साथ बन गई Farmer

punjabkesari.in Tuesday, Dec 03, 2019 - 04:15 PM (IST)

मुंबईः एक वायरस की तरह फैल रहे कैंसर को लेकर जागरूकता होनी बहुत जरूरी है और समय-समय पर लोगों को अपना हेल्थ चैकअप भी करवाते रहना चाहिए। इसी बीच खान-पान का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी होता है। कैंसर के प्रति सजगता दिखाते हुए मुंबई की एक महिला ने अपने ही घर की बालकिनी में रसायन मुक्त सब्जियां उगानी शुरू कर दीं। दरअसल मुंबई की रहने वाली सरस्वती कुवालेकर दूरदर्शन में उप निदेशक, समाचार (आईआईएस) की दोस्त के बेटे को कैंसर हो गया था। सरस्वती जब अपनी सहेली के बेटे को अस्पताल देखने गईं तो वहां से लौटकर उन्होंने अपने घर की बालकिनी में रसायनमुक्त सब्जियां उगानी शुरू कर दीं।

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क्या हर किसी को खुद उगानी चाहिएं सब्जियां
सहेली के कैंसर पीड़ित बेटे को मिलने के बाद सरस्वती के दिमाग में प्रश्न उठा कि क्या हर किसी को सब्जियां खुद उगानी चाहिएं। सरस्वती ने बताया कि सहेली का बेटा 28 साल का है और उसे कैंसर हो गया जो सच में परेशान करने वाली बात थी। तभी मैंने इस बारे में पढ़ना शुरू किया तो पाया कि 30 साल से कम उम्र के लोगों में भी यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। वास्तव में जेनेटिक और पर्यावरण इस खतरे को और बढ़ा रहे हैं...इसमें आपका खाना भी शामिल है। आप जो खाना खाते हैं वो भी काफी महत्वपूर्ण है। सबसे महत्वपूर्ण है कि बच्चों को बढ़िया से बढ़िया और हेल्दी खाना दिया जाना चाहिए।

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हम रसायन मुक्त खाना खाने में नाकाम
भोजन के जीवन चक्र के बारे में चौंकाने वाले तथ्यों ने सरस्वती को अपने परिवार की जीवन शैली में बदलाव लाने का मौका दिया और उन्होंने बागबानी को अपनी हॉबी बना लिया। खेतों में होने वाले उत्पादनों में कई तरह के रसायन शामिल होते हैं। सरस्वती ने बताया कि मुझे खेती के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मुझे तो बस फूल उगाने और लगाने के बारे में पता था। लेकिन अपने परिवार के अच्छे स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मैंने कृषि की पढ़ाई करनी शुरू की।

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जब एक घटना ने हिला दिया
सरस्वती ने बताया कि एक घटना ने उनको पूरी तरह से हिला दिया और इसी घटना ने उन्हें घर में बागवानी के रास्ते में आगे बढ़ने पर मजबूर किया। उन्होंने बताया कि मेरा पेशा ऐसा है कि मुझे सफर करने का काफी समय मिल जाता है। सफर के दौरान मुझे महाराष्ट्र के एक गांव में एक किसान के साथ काफी समय बिताने का मौका मिला। वह किसान अन्य लोगों के लिए भी अनाज पैदा करता था। अपनी उगाई खेती में किसान कीटनाशक का इस्तेमाल करता था। लेकिन इन सबके बीच जो बात हैरान करने वाली थी वो यह कि किसान उस खेती के अलावा एक अन्य जमीन के टुकड़े पर भी खेती करता था। इस खेती में वह रसानमुक्त और पूरी तरह से जैविक पद्धति का इस्तेमाल किए जाने वाले अनाज पैदा करता था। मैंने उससे पूछा कि यह खेती किसके लिए। मुझे सुनकर हैरानी हुई कि वह यह अनाज सिर्फ अपने परिवार के लिए उगाता था। इन सब घटनाओं ने मुझे विचलित कर दिया।

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मुंबई विश्वविद्यालय से किया खेती का कोर्स
सरस्वती ने बताया कि मुंबई वापिस लौटकर उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से खेती का कोर्स करना शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने जैविक खेती और बागवानी विशेषज्ञों, राजेंद्र भट और नंदन कलाबाग से भी मुलाकात की। राजेंद्र भट और कलाबाग से सरस्वती को पौधों की जरूरत के बारे में जानकारी हासिल हुई। राजेंद्र भट ने घरेलू बागवानी के बारे में बुनियादी जानकारी दी। सरस्वती ने बताया कि उन्होंने किचन गार्डन में बहुत से परीक्षण किए जिनमें से कई गलत भी हुए लेकिन आखिर में परिणाम निकला और किचन गार्डन सफल रहा। उन्होंने कहा कि इसी बीच मुझे जो चीज सीखने को मिली वो यह कि घर में बागवानी करने के लिए ज्यादा समय और जगह की जरूरत नहीं है। सरस्वती के घर में तीन बाल्कनियां हैं लेकिन बागवानी के लिए उन्होंने सबसे छोटी बालकिनी को चुना, यहां पर पौधों को पर्याप्त धूप और वेंटिलेशन मिल जाता है।

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घर पर ही उगाई फ्रेंच बीन्स और शलगम
सरस्वती ने कहा कि जमीन से पौधों को केवल 1.5 प्रतिशत पोषण मिलता है जबकि उसका बाकि हिस्सा धूप से मिलता है। यघपि 3.6 फुट की बालकिनी में फूड को पैदा करना एक चुनौती है, मगर मैंने ऐसा किया। मैंने फ्रेंच बीन्स, सलाद और शलगम जैसी सब्जियों को उगाने से अपना परीक्षण शुरू किया। इन सभी बीजों से 50 प्रतिशत पौधे पैदा हुए। फ्रेंच बीन्स को उगाने में मुझे 4 साल लगे। इसके अलावा शहतूत और माइक्रोफ्लोरा की बागवानी की प्रक्रिया शुरू की और इसे अपनी छोटी-सी जगह में शुरू किया और इसे नाम दिया  ‘Own Grow’⁠। इसके अलावा मैंने दो पौधों को एक ही गमले में उगाया। उन्होंने कहा कि एक ही गमले में 3-4 सब्जियां उगाने से यह मदद मिलती है कि इससे कीड़े दूर रहते हैं। दरअसल कीड़े इसी भर्म में रहते हैं कि वो कौन-सा पौधा खाएं। लोगों के बीच अपनी विशेषज्ञता फैलाने के लिए, सरस्वती ने अपनी बेटी, प्रजाक्ता (Prajakta) के साथ एक वेबसाइट और सोशल मीडिया पेज शुरू किया है। जिसमें लोगों को घर में ही बागवानी करने के बारे में जानकारी दी जाती है।


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Seema Sharma

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