बस्तर की 14 हजार आदिवासी लड़कियों ने पढाई छोड़ संभाला चूल्हा चौका
punjabkesari.in Thursday, Aug 31, 2017 - 07:14 PM (IST)

रायपुर: बेटी बचाओ बेटी बेटी पढ़ाओ की मुहीम को भाजपा शासित राज्य में घुट घुटकर दम तोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है। मामला छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जिले बस्तर का है। यहां चौदह हजार से ज्यादा लड़कियां बीच में ही पढ़ाई छोड़ चुकी हैं। जिले में ग्याहर से अठारह साल आयु वर्ग की बालिकाओं में अधिकांश ने प्राइमरी और मिडिल स्कूल स्तर में जाकर बीच में ही पढ़ाई छोड़ी है। वहीं, शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी महिला बाल विकास विभाग की रिपोर्ट मानने को तैयार नहीं है।
जानकारी के मुताबिक, यह संख्या और अधिक हो सकती है क्योंकि इसमें छह से ग्यारह साल आयु वर्ग लड़कियों को शामिल नहीं किया गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सबला योजना के तहत हर साल स्कूल जाने वाली और स्कल छोड़ने वाली बालिकाओं की सूची तैयार की जाती है। ये आंकड़े इस साल तैयार में दर्शाएं गए हैं।
राजीव गांधी शिक्षा मिशन के सहायक जिला परियोजना समन्वयक गणेश तिवारी का कहना था कि ऐसा संभव नहीं है। वह चाहेंगे कि आईसीडीएस शाला त्यागी किशोरियों के नाम पते उपलब्ध करा दे ताकि आगे इस पर कार्रवाई की जा सके।
गणेश तिवारी ने दावा किया कि मिशन के पास एक-एक बसाहट क्षेत्र में निवासरत 6 से 14 वर्ष आयु के लड़के और लड़कियों की संख्या उपलब्ध है। ग्राम शिक्षा सर्वे पंजी में हर साल बच्चों का नाम व संख्या दर्ज की जाती है। उन्होंने बताया कि 14 से 18 साल आयु वर्ग के बच्चों की जानकारी राष्ट्रीय माध्यमिक मिशन रखता है।
हाल में जिले के प्रभारी मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे ने यहां कलेक्टोरेट में ली गई विभागीय समीक्षा बैठक में आईसीडीएस द्वारा दी गई जानकारी में स्कूल छोड़ी बालिकाओं की संख्या 13 हजार 963 बताई गई है। इनमें 4467 बालिकाएं 11 से 14 साल और 9496 बालिकाएं 14 से 18 साल आयु वर्ग की बताई जाती हैं।
11 से 18 साल आयु वर्ग में जगदलपुर ब्लाक में 2259, बस्तर में 2134, बकावंड में 2665, बास्तानार 1675, दरभा 2481, तोकापाल 999 और लोहंडीगुड़ा में 1749 लड़कियां स्कल छोड़ चुकी हैं। वहीं, 100 से 200 के बीच एेसी भी कन्याएं हैं,जिन्होंने हाईस्कूल में दाखिला तो लेकर पढ़ाई अधूरी छोड़ दी।