पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के दूरदर्शी नेतृत्व के बेमिसाल चार साल

punjabkesari.in Wednesday, Aug 21, 2024 - 09:33 PM (IST)

  • कुलपति प्रो. तिवारी के दूरदर्शी नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने नैक ‘ए प्लस’ ग्रेड से मान्यता प्राप्त करने के साथ ही शिक्षा और शोध के क्षेत्र में राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए मानक स्थापित किए।
  • अगस्त2020 में पदभार संभालते ही ग्राम घुद्दा स्थित विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर में स्थानांतरण का कार्य सम्पूर्ण किया और चार वर्षों में विश्वविद्यालय के 500 एकड़ में बने परिसर को हरा-भरा करने के साथ-साथ उसमें पुस्तकालय, अकादमिक भवन एवं मुख्य प्रवेश द्वार का निर्माण कार्य आरंभ हुआ।
  • युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के पर्याप्त अवसर प्रदान करने के ध्येय को साकार करने हेतु प्रो. तिवारी की अगुआई में विश्वविद्यालय में पहले से चल रहे स्नातकोतर और पीएचडी पाठ्यक्रमों के साथ-साथ नए युग के स्नातक कार्यक्रम, संयुक्त पीजी डिप्लोमा और अल्पकालिक कोर्स (पीजी डिप्लोमा/सर्टिफिकेट) पाठ्यक्रम शुरू किए गए।
  • विश्वविद्यालय में स्थापित सीयूपीआरडीएफम एवं ई-युवा सेंटर द्वारा युवाओं में स्टार्ट-अप संस्कृति, उद्यमशीलता और नवाचार को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन।
  • सीयूपी को विश्वस्तरीय शिक्षा केंद्र बनाते हुए अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में शामिल होना हमारा आगामी लक्ष्य – कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी

नेशनल डेस्क : गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्र में पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने 15 वर्षों की अल्पावधि में अपनी अलग पहचान बनाई है। वर्ष 2009 में स्थापित विश्वविद्यालय को शोधोन्मुख बनाने की जो नींव संस्थापक कुलपति प्रो. जै रूप सिंह ने रखी थी एवं जो पहल पूर्व कुलपति प्रो. आर. के. कोहली ने की थी, उन्हें साकार करने तथा नवीन योजनाओं को विस्तारित करते हुए वर्तमान कुलपति प्रो.  राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के कुशल नेतृत्व में यह विश्वविद्यालय प्रगति पथ पर अग्रसर है। अगस्त 2020 में पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार सँभालने के बाद आज प्रो. तिवारी ने अपने कार्यकाल के चार साल पूरे किए हैं।

4 वर्षों की प्रमुख उपलब्धियां: पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के तृतीय कुलपति प्रो. तिवारी के प्रथम चार वर्षों के कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने अनेकों उपलब्धियां प्राप्त की हैं। विश्वविद्यालय ने नैक मूल्यांकन के दूसरे चक्र में "ए प्लस" ग्रेड से मान्यता प्राप्त कीएवंएनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग 2024 की "विश्वविद्यालय श्रेणी" में 83वां स्थान अर्जित कर पिछले छह वर्षों से लगातार इसरैंकिंग मेंविश्वविद्यालय श्रेणी में देश के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों की सूची में स्थान अर्जित किया है। विश्वविद्यालय ने एनआईआरएफ रैंकिंग्स की फार्मेसी श्रेणी के अंतर्गत वर्ष 2024 में 23वीं रैंक अर्जित करते हुए लगातार तीसरी बार इस रैंकिंग की फार्मेसी श्रेणी में शीर्ष 25 फार्मेसी संस्थानों में स्थान हासिल किया।

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विश्वविद्यालय के ग्यारह शिक्षकों समेत एक पूर्व संकाय सदस्य को उन्नत शोध हेतु "स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की शीर्ष अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सूची 2023" में शामिल किए गए है। यहाँ के छात्र संसदीय कार्य मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित 16वीं राष्ट्रीय युवा संसद प्रतियोगिता के विजेता बने हैं। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2022 में ‘कैंपस उपयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ संस्थान’ श्रेणी में देश भर में तीसरा रैंक प्राप्त हुआ। साथ ही, संस्थान को गुणवत्ता प्रबंधन प्रणालियों के लिए आईएसओ 9001:2015 के तहत प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ है।

विश्वविद्यालय में डॉ आंबेडकर शोध पीठ, डॉ. अम्बेडकर उत्कृष्टता केंद्र और मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) की स्थापना की गई है। साथ ही डीबीटी ई-युवा केंद्र और कौशल विकास मंत्रालय द्वारा तीन बिज़नस आइडियाज के वित्तीय अनुदान हेतु स्वीकृति प्राप्त हुई है।अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय संगठनों/संस्थाओं के साथ सहयोग की संख्या को बढ़ाते हुए प्रो. तिवारी की अगुआई में विश्वविद्यालय ने बठिंडा क्षेत्र तथा उत्तर भारत क्षेत्र के उच्च शैक्षणिक संस्थानों के साथ परस्पर अकादमिक सहयोग बढ़ाने हेतु कंसोर्टियम बनाने में मुख्य भूमिका निभाई पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान को बढ़ाने हेतु कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी (यूएसए) औरअन्य विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

शिक्षकों के रिक्तपदों पर नियुक्ति की गई हैं तथा सपोर्ट स्टाफ का प्रमोशन नियमित अंतराल पर किया गया। कर्मचारियों के पदों की नियुक्तिप्रक्रियाधीन है। सूचना मंत्रालय द्वारा कम्यूनिटी रेडियो स्थापित करने हेतु स्वीकृति मिली है जो विश्वविद्यालय में संचालित शोध के परिणामों को समाज तक पहुँचाने में सहायक होगा। उपरोक्त उपलब्धियाँ विश्वविद्यालय के उत्कृष्टता के मार्ग पर अग्रसर होने का सूचक है। कुलपति तिवारी इन उपलब्धियों का श्रेय विश्वविद्यालय परिवार को देते है।

कुलपति प्रो. तिवारी के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के अकादमिक आउटपुट में हुई उल्लेखनीय वृद्धि: कुलपति प्रो. तिवारी के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी एवं छात्र पठन-पाठन एवं अनुसंधान के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रहें है। पिछले चार वर्षों से स्कोपस सूचीबद्ध शोधपत्रिकाओं में प्रकाशित शोधपत्रों की संख्या में 35.37% की उल्लेखनीय औसत वार्षिक वृद्धि हुयी, जो कि सितंबर 2020 में 950 से बढ़कर अगस्त 2024 में 3190 हो गई है। स्कोपस साईटेशंस की संख्या में 64% की औसत वार्षिक वृद्धि हुयी, जो कि सितंबर 2020 में 8520 से बढ़कर अगस्त 2024 में 62089 हो गई है। परिणामस्वरुप विश्वविद्यालय का एच-इंडेक्स सितम्बर 2020 में 42 से बढ़कर अगस्त 2024 में 91 हो गया है।

पिछले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय को स्वीकृत अनुदान राशी में भी वृद्धि हुई है। वर्तमान में विश्वविद्यालय के नौ विभागों को कुल 8.43 करोड़ रुपये का डीएसटी-एफआईएसटी वित्त अनुदान स्वीकृत किया गया है, जिसमें से 4.63 करोड़ रुपये मात्र पिछले 4 वर्षों में प्राप्त हुए हैं।इसके साथ ही डीएसटी-पर्स योजना के अंतर्गत 8.82 करोड़ रुपये; डीएसटी निधि-आईटीबीआई की स्थापना के लिए 3.99 करोड़ रुपये; ई-युवा केंद्र की स्थापना के लिए 2.66 करोड़ रुपये; एमएसएमई इनक्यूबेशन योजना  के अंतर्गत 40.00 लाख रुपये; खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए 5.15करोड़ रुपये; वनस्पति उद्यान की स्थापना के लिए 33.5 लाख रुपये; 8 लेन सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक के लिए युवा मामले और खेल मंत्रालय से 9.50 करोड़ रुपये की अनुदान राशि की स्वीकृति प्राप्त हुई है।

विश्वविद्यालय में बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं की कुल संख्या 31.07.2020 तक 55.05 करोड़ अनुदान के साथ 162 से बढ़कर 31.07.2024 तक 98.91 करोड़ अनुदान के साथ 248 हो गई, जो चार वर्षों में परियोजनाओं में 53.09% की वृद्धि और अनुदान में 79.67% की वृद्धि को दर्शाता है।

विश्वविद्यालय को प्राप्त कुल 4 पेटेंट्स पिछले 4 वर्षों में ही ग्रांटहुए हैं। विश्वविद्यालय ने विभिन्न संगठनों को शैक्षणिक और व्यावसायिक परामर्श सेवाएं प्रदान करते हुए 1.94 करोड़ रुपये की परामर्श राशि अर्जित की है, जिसमें वित्त वर्ष 2023-24 में 92.75 लाख रुपये अर्जित किए गए हैं। केन्द्रीय मंत्रालयों द्वारा पोषित कार्यशालाओं, अनुमोदित अनुसंधान परियोजनाओं, युवाओं के बौद्धिक विकास हेतु सम-सामायिक विषयों में कार्यशालाओं, सामाजिक जुड़ाव के कार्यक्रम एवं अन्य मापदंडों में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

युवाओं में उद्द्मिता और नवाचार को बढ़ावा देने हेतु पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय द्वारा की गई पहल: 

कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी के नेतृत्व में पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय परिसर में सितंबर 2023 को पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन (सीयूपीआरडीएफ) की शुरुआत की गई। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा निधि योजना के अंतर्गत वित्त पोषित सीयूपीआरडीएफ द्वारा धान की पराली जलाने, कैंसर निदान और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे मुद्दों पर केंद्रित आइडियाथॉन और स्टार्टअप इवेंट जैसी गतिविधियों के माध्यम से नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा रहा है। अब तक सीयूपीआरडीएफ में तीन स्टार्टअप को इनक्यूबेट किया गया है और साथ ही डीएसटी इग्निशन अनुदान से प्राप्त 10 लाख रुपये की धन राशी वितरित की जा चुकी हैं। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय में ई-युवा सेंटर (एम्पावरिंग यूथ फॉर अंडरटेकिंग वैल्यू एडेड इनोवेटिव ट्रांसलेशनल रिसर्च सेंटर) और इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) द्वारा विद्यार्थियों में स्टार्ट-अप संस्कृति, उद्यमशीलता और नवाचार को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

विश्वविद्यालय में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020' के अनेक सुधारों का हुआ सफल क्रियान्वयन:

शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान जीके कुशल मार्गदर्शन में शिक्षा में वांछित सुधार हेतु विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 2020-2021 से क्रमशःएनईपी-2020 के इनोवेटिव रिफॉर्म्स सफलतापूर्वक लागू किए हैं, जैसे: लर्निंग आउटकम-बेस्ड करीकुलम फ्रेमवर्क आधारित बहु-विषयक,कौशल विकास आधारित समग्र एवं लचीले पाठ्यक्रम  को अपनाना; एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स एवं राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपॉजिटरी को अपनाना; बहु-प्रवेश एवं निकास विकल्पों का कार्यान्वयन; मूक (मैसिव ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम) के माध्यम से क्रेडिट ट्रांसफर की सुविधा और राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) को लागू करना आदि। विश्वविद्यालय में एनईपी-2020 के प्रचार प्रसार हेतु अनेकों सेमीनार आयोजित किए गए। इतना ही नहीं, प्रो. तिवारी ने समय-समय पर एनईपी2020 पर आधारित विभिन्न आलेख लिखे जो प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए। कुलपति प्रो. तिवारी का मानना है कि शिक्षण संस्थान तभी प्रगति कर सकते हैं, जब छात्रों एवं अध्यापकों को सृजनात्मक सोच का अवसर मिले। युवा पीढ़ी तभी रचनात्मक कार्यों से देश को पुनः विश्वगुरुबना पाएगी। 

विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किए गए नए युग के व्यावसायिक कार्यक्रम/पाठ्यक्रम:

विश्वविद्यालय में मौजूदा उपलब्ध 43 स्नातकोत्तर एवं 36 विभिन्न विषयों में पीएच.डी. पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त शैक्षणिक सत्र 2024-2025 से बी.एससी. बी.एड.; बी.ए. बी.एड.; बी फार्मेसी; बी.ए. एलएल.बी.; बी.टेक. कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजी. में पांच नए स्नातक कार्यक्रम शुरू किए हैं। इसके अतरिक्त  जिओ इन्फार्मेटिक्स, डाटा साइंस एंड बायो-इंफॉर्मेटिक्स, हिंदी ट्रांसलेशन, पंजाबी ट्रांसलेशन, कम्प्यूटेशनल लिंगुईसटिक्स, वैदिक गणित, न्यूरल नेटवर्क्स एंड डीप लर्निंग और फ्रेंच विषयों में लघु अवधि के 8 डिप्लोमा/सर्टिफिकेट कोर्स प्रदान कर रहा है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षणिक सत्र 2024-25 से एम्स बठिंडा के साथ ‘डिजिटल इमेजिंग और हेल्थकेयर डेटा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ तथा एमआरएसपीटीयू बठिंडा के साथ ‘बौद्धिक संपदा अधिकार’ विषयों पर दो नए संयुक्त पीजी डिप्लोमा कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं। इस तरह विश्वविद्यालय युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु नवीन अवसर प्रदान करेगा।  

विश्वविद्यालय परिसर का विकास:

अगस्त 2020 में कुलपति का दायित्व संभालते ही प्रो. तिवारी ने विश्वविद्यालय को मानसा रोड, बठिंडा पर स्थित अस्थायी कैंपस से ग्राम घुद्दा, जिला बठिंडा में 500 एकड़ की भूमि पर बने स्थायी परिसर में स्थानांतरण का कार्य संपन्न किया। वर्तमान में विश्वविद्यालय परिसर का मुख्य गेट एवं परिसर की मुख्य सड़क के निर्माण का कार्य पूर्ण होने वाला हैं। साथ ही प्रशासनिक भवन एवं केंद्रीय पुस्तकालय निर्माणाधीन है। अतिरिक्त छात्रावास एवं अकादमिक भवन निर्माण हेतु प्रयास जारी हैं। प्रो. तिवारी के कार्यकाल के दौरान विश्वविद्यालय में उच्च गुणवत्ता युक्त अनुसंधान करने और ई-लर्निंग संसाधनों को विकसित करने हेतु केंद्रीय उपकरण प्रयोगशाला में नये परिष्कृत उपकरणों की वृद्धि, विभागीय प्रयोगशालाओं का विकास, शिक्षा स्टूडियो, मीडिया लैब सह ऑडियो-विजुअल स्टूडियो और अन्य सुविधाएं विकसित की गई हैं। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय कर्मचारियों और आस-पास के गांवों के परिजनों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए परिसर में एक केन्द्रीय विद्यालय शुरू किया गया है।

विश्वविद्यालय को आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रो. तिवारी की अभिनव पहल:

कुलपति प्रो. तिवारी ने विश्वविद्यालय को आत्मनिर्भर एवं हरा-भरा बनाने हेतु 500 एकड़ में फैले विश्वविद्यालय परिसर की 100 एकड़ की खाली ज़मीन पर किन्नू के बाग और व्यावसायिक वृक्षों को लगाने की योजना बनाते हुए उस पर कार्य शुरू कर दिया है। इसके अंतर्गत 60 एकड़ का किन्नू बाग तैयार हो गया है एवं बाकि 40 एकड़ में किन्नू लगाने की योजना है। लगभग 75,000 पोधों के साथ ही सभ्यतागत पौधों का रोपण हुआ। सौन्दर्यता हेतु गृह-नक्षत्र वाटिका, रोज गार्डन, कैनोपी गार्डन, मेज़ गार्डन, चिड़िया बसेरा, चिड़िया घोसलेआदि बनाये गए है। किन्नू बागों से अगले कुछ वर्षों में विश्वविद्यालय को लगभग तीन करोड़ की आय होने की सम्भावना है। 

विश्वविद्यालय गुरु साहिबानों के उपदेशों के प्रचार-प्रसार हेतु कृत-संकल्पित:

विश्वविद्यालय का मानना है कि गुरु साहिबानों के उपदेश युवाओं को आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। कुलपति प्रो. तिवारी के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय ने सिख गुरु साहिबानों के उपदेशों का प्रचार-प्रसार करने हेतु अनेक पहल किये, जिसमें केंद्रीय पुस्तकालय में हिन्द दी चादर श्री गुरु तेग बहादुर सिख इतिहास प्रकोष्ठ की स्थापना, सिख गुरु साहिबानों के प्रकाश उत्सव एवं ज्योति जोत दिवस पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन, श्री गुरु नानक देव जी के 554वें प्रकाश पर्व के पावन अवसर पर विश्वविद्यालय में 'श्री गुरु नानक देव जी की वाणी और विश्व दृष्टि' विषय पर विशेष सेमिनार एवं "सुदीक्षा - ए ट्रिब्यूट टू श्री गुरु नानक देव जी" पुस्तक का प्रकाशन, गुरुद्वारा दर्शन पर आधारित वर्ष 2024 का कैलेण्डर आदि शामिल हैं। इसके साथ ही सिख गुरु साहिबानों के उपदेशों से युवाओं को प्रेरित करने हेतु प्रो. तिवारी द्वारा लिखित श्री गुरु नानक देव जी की वाणी में अमृत धारा; श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का पत्र जफरनामा; छोटेसाहिबजादों की शहादत की गाथा का वैश्विक संदेश आदि अनेकों लेख प्रमुख समाचारपत्रों/ मासिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।

‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ को साकार करने हेतु विश्वविद्यालय कटिबद्ध:

विश्वविद्यालय गुणवत्तापरक शिक्षा हेतु छात्रों का पसंदीदा स्थान बन रहा है। वर्तमान में 28 राज्यों, 7 केंद्र शासित प्रदेशों और 22 अन्य देशों के छात्र यहां अध्ययनरत हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के चहुंमुखी विकास हेतु संकल्पित योजनायें यथा आत्मनिर्भर भारत, वोकल फॉर लोकल, विकसित भारत@2047, कौशल विकास, हर घर तिरंगा, एक पेंड़ माँ के नाम, आदि पर भी विश्वविद्यालय द्वारा उल्लेखनीय कार्य किये गए हैं।विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस, राष्ट्रीय पोशाक दिवस, स्थापना दिवस समारोह, फ़ूड-फेस्ट सरीखे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर छात्रों में विश्व-बन्धुत्व की भावना विकसित करने हेतु प्रयासरत है। विश्वविद्यालय ने केंद्र सरकार के युवा संगम कार्यक्रम के अंतर्गत पिछले वर्ष मणिपुर युवा प्रतिनिधियों और इस वर्ष झारखंड युवा प्रतिनिधियों के लिए पंजाब एक्सपोजर विजिट की मेजबानी की। साथ ही पंजाब के युवाओं को मणिपुर एवं झारखण्ड की एक्सपोजर विजिट करायी। इन सांस्कृतिक गतिविधियों से युवाओं में भावनात्मक लगाव बढ़ता है।

कुलपति प्रो. तिवारी के गतिशील नेतृत्व में सीयू पंजाब की उपरोक्त उपलब्धियां और प्रगति दर्शाती है कि विश्वविद्यालय प्रशासन एवं शिक्षक वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सक्रिय निर्णयन की कार्यकुशल संस्कृति विकसित करते हुए जीवन मूल्यों से परिपूर्ण युवा शक्ति के सम्पूर्ण विकास हेतु प्रयासरत है, जिससे विश्वविद्यालय से दीक्षित युवा देश के समग्र विकास में योगदान दे सकें। इसकी बयार विश्वविद्यालय में सहज ही महसूस की जा सकती है।

आगामी वर्ष में कुलपति प्रो. तिवारी की प्राथमिकता:

अपने चार वर्ष के कार्यकाल पूर्ण होने के अवसर पर प्रो. तिवारी ने शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों को विश्वविद्यालय के विकास में उनके सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया और सभी को एक टीम के रूप में कार्य करते हुए शिक्षा और समाजोपयोगी अनुसंधान के क्षेत्र में नए मानक स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। प्रो. तिवारी का मानना है कि मालवा क्षेत्र से जुड़ी जमीनी समस्याओं यथा स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं कृषि सम्बंधित समस्याओं का शोध के माध्यम से अभिनव समाधान निकाला जा सकता है। शोधकर्ताओं को इस दिशा में प्रोत्साहित करने हेतु उन्नत सुविधाएँ प्रदान करना उनकी प्राथमिकता रहेगी। साथ ही उनका लक्ष्य शिक्षण, अधिगम, मूल्यांकन, अनुसंधान, कौशल विकास, परामर्श सेवाओं, चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास में नवाचार को बढ़ावा देना होगा। प्रो. तिवारी इस विश्वविद्यालय को ‘अनेकता में एकता’ का ऐसा मंच बनाना चाहते है, जहाँ युवा पीढ़ी देश को विकसित बनाने का सपना देखे एवं इसे साकार करने हेतु उनमें क्षमता विकास भी हो।

पर्यावरण अनुकूल एवं सरल जीवनशैली और सर्वहितकारी विचारधारा से ओत-प्रोत प्रो. तिवारी का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत:

मध्य प्रदेश के रीवा जिले में पले-बड़े प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी का जीवन पर्यावरण अनुकूल एवं सरल-सहजजीवनशैली पर आधारित है। अपने चार दशक से अधिक अवधि के अकादमिक/शैक्षिक जीवन में उन्होंने मिज़ोरम  विश्वविद्यालय, आइज़ोल में 31वर्षों तक विभिन्न अकादमिक-प्रशासनिक पदों पर सेवाएँ प्रदान की; 5 वर्ष 5 माह तक डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, जहाँ उन्होंने अपनी स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की थी, वहीँ कुलपति के रूप में सेवाएं प्रदान की; और पिछले 4 वर्षों से पंजाब केंद्रीय विश्विद्यालय के कुलपति के रूप में कार्यरत है।

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने समय-समय पर विभिन्न उच्च समितियों के अध्यक्ष एवं सदस्य के रूप में उनको नामांकित किया और हाल ही में उन्हें भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस), शिमला के निदेशक के अतिरिक्त प्रभार की जिम्मेदारी दी है। वह हमेशा भारतीय पारम्परिक वेशभूषा ‘कुर्ता पायजामा’ धारण करते हैं और दूसरों को भी भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उनका सर्वसमावेशी-सर्वहितकारी दृष्टिकोण सदैव युवाओं के जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है।

पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में प्रो. तिवारी का चार साल का कार्यकाल विश्वविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण प्रगति और उपलब्धियों का समयरहा है। अगस्त 2020 में पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में उनका आगमन न सिर्फ विश्वविद्यालय के लिए बल्कि पंजाब प्रान्त के लिए भी हितकारीसिद्ध हुआ हैक्योंकिउन्होंने न केवल शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पंजाब का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि पंजाबी संस्कृति एवं गुरु साहिबानों के उपदेशों के प्रचार-प्रसार के लिए भी अमूल्य योगदान दिया।


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News Editor

Parveen Kumar

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