पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की हालत अब भी नाजुक
punjabkesari.in Monday, Jul 31, 2023 - 12:06 AM (IST)

कोलकाताः पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की स्वास्थ्य स्थिति रविवार शाम को नाजुक लेकिन स्थिर बनी हुई है। यहां एक निजी अस्पताल में भट्टाचार्य का इलाज कर रहे चिकित्सकों की टीम में शामिल एक चिकित्सक ने यह जानकारी दी।
वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि 79 वर्षीय भट्टाचार्य के रक्त में ऑक्सीजन सांद्रता में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन वह अब भी ‘मैकेनिकल वेंटिलेशन' (यांत्रिक श्वसन) पर हैं। ‘इनवेसिव वेंटिलेशन' में सामान्य नैसर्गिक श्वसन के साथ-साथ किसी यांत्रिक विधि से कृत्रिम श्वसन दिया जाता है। भट्टाचार्य को शनिवार दोपहर को उनके पाम एवेन्यू स्थित आवास से अस्पताल ले जाया गया था।
वरिष्ठ चिकित्सक ने मीडिया को बताया, “भट्टाचार्य की स्वास्थ्य स्थिति गंभीर, लेकिन स्थिर बनी हुई है, क्योंकि उनके रक्त में ऑक्सीजन सांद्रता में सुधार हुआ है। उनके रक्तचाप में भी सुधार हुआ है। उन पर इलाज का असर हो रहा है, लेकिन वह अब भी खतरे से बाहर नहीं हैं। हमारे चिकित्सकों ने पूरी रात उनकी बारीकी से निगरानी की। इस दौरान, स्वास्थ्य पैमाने में कोई बड़ी गिरावट नहीं देखी गई।”
वरिष्ठ चिकित्सक के मुताबिक एक बहु-विषयक मेडिकल टीम ने भट्टाचार्य की दोबारा जांच करने के बाद उनके सीने का सीटी स्कैन कराने का फैसला किया है, जो सोमवार को किया जाएगा। भट्टाचार्य की रिश्तेदार मालविका चटर्जी ने कहा, “(भट्टाचार्य के) रक्तचाप में सुधार हुआ है और उन पर इलाज का असर दिख रहा है। हमें उम्मीद है कि वह इस संकट से बाहर निकल आएंगे।”
बिमन बोस सहित मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कई नेताओं ने अस्पताल पहुंचकर भट्टाचार्य के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। चिकित्सकों ने बताया कि भट्टाचार्य को निचली श्वसन नली के संक्रमण और ‘टाइप-2' श्वसन संबंधी परेशानी के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें एंटीबायोटिक देने के साथ ही ‘इनवेसिव वेंटिलेशन' और अन्य जीवन रक्षक सहायक उपकरणों पर रखा गया है।
वर्ष 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे भट्टाचार्य काफी समय से सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और उम्र संबंधी स्वास्थ्य जटिलताओं से जूझ रहे हैं। वह स्वास्थ्य कारणों से पिछले कुछ वर्षों से सार्वजनिक जीवन से दूर हैं। उन्होंने 2015 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति से इस्तीफा दे दिया था और 2018 में राज्य सचिवालय की सदस्यता छोड़ दी थी।