पूर्व सेंसर बोर्ड चीफ पहलाज निहलानी का आरोप- फैसलों के लिए मोदी सरकार ने काफी सताया

punjabkesari.in Saturday, Dec 02, 2017 - 05:09 PM (IST)

नई दिल्लीः केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के पूर्व अध्यक्ष और फिल्म निर्माता पहलाज निहलानी ‘पद्मावती’ को सेंसर बोर्ड के देखने से पहले ही संसदीय समिति द्वारा निर्देशक संजय लीला भंसाली से सवाल-जवाब करने के फैसले पर हैरानी जताई हैं। इसके अलावा उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाए कि सूचना प्रसारण मंत्रालय ने उनके कार्यकाल के दौरान भी इसी तरह से उन्हें सताया और धमकाया था।

निहलानी ने आरोप लगाते हुए कहा, “मेरे कार्यकाल के दौरान भी, सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा निर्णय लेने के लिए मुझे भी सताया और धमकाया गया था। अब ये खुला खेल हो गया है। कोई भी किसी भी फिल्म पर सवाल कर सकता है। ऐसे में सीबीएफसी के लिए जगह कहां बचती है?”

निहलानी ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि ‘आखिर ‘पद्मावती’ फिल्म को प्रताड़ित किया जाना कब बंद होगा। आखिर भंसाली कितनी समितियों को जवाब देंगे।’ पूर्व सीबीएफसी चीफ ने सवाल किया कि, “क्यों भारत के एक श्रेष्ठ फिल्म निर्माता से बार-बार सफाई देने के लिए कहा जा रहा है और क्यों नहीं सीबीएफसी इस मुद्दे को निर्णायक रूप से साफ करने के लिए कोई कदम उठा रहा।” बता दें निहलानी का बतौर सीबीएफसी अध्यक्ष का कार्यकाल काफी विवादित रहा था। 

उन्होंने कहा, “संसदीय समिति के पास भंसाली और किसी भी निर्माता से सवाल पूछने का पूरा अधिकार है लेकिन यह तभी संभव है, जब केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड फिल्म को देख ले और उसे प्रमाणपत्र जारी कर दे।” इस दौरान निहलानी ने कहा, “सेंसर बोर्ड से पहले उनसे सवाल करना, सीबीएफसी के अधिकार क्षेत्र का हनन करना है, क्योंकि बोर्ड ही किसी फिल्म के भाग्य का फैसला करने वाली अंतिम इकाई है।”


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