गजब: पहली बार सूअर की किडनी का इंसान में सफल ट्रांसप्लांट, अमरीका के डॉक्टरों ने कर दिखाया करिश्मा

punjabkesari.in Sunday, Mar 24, 2024 - 10:18 AM (IST)

नेशनल डेस्क:  किडनी खराब होने के कारण जिंदगी और मौत से जूझ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है। अमरीका में मैसाचुसेट्स अस्पताल के डॉक्टरों ने  पहली बार आनुवांशिक रूप से संशोधित सूअर की किडनी का इंसान में ट्रांसप्लांट कर दिया है। डॉक्टरों ने मीडिया में इस कारनामे का खुलासा करते हुए कहा है कि 62 साल के रिचर्ड स्लायमेन में सफल किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है और उन्हें बहुत जल्द अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिए जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक अमरीका के बोस्टन शहर में डॉक्टरों ने 16 मार्च को रिचर्ड का किडनी ट्रांसप्लांट किया है। यह खबर अपने आप में बहुत बड़ी है क्योंकि दुनिया में तेजी से लोगों की किडनी खराब हो रही है और इनमें से अधिकांश में किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। यह किडनी आमतौर पर अपने निकट रिश्तेदारों से ही मैच होती है, दूसरी ओर लोग किडनी दूसरों को देना भी नहीं चाहते हैं। ऐसे में अगर सूअर से ही किडनी मिल जाए तो यह पूरी दुनिया के लिए बहुत राहत भरी बात होगी।

अपने ही सेंटर में विकसित किया गया था सूअर
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक रिचर्ड बहुत दिनों से डायबिटीज से पीड़ित हैं। इसी के चलते बाद में उनकी किडनियां खराब हो गई। सात साल तक डायलिसिस पर रहने के बाद 2018 में इसी अस्पताल में रिचर्ड का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था जो इंसान की किडनी थी, लेकिन 5 साल के अंदर ही उनकी किडनी फेल हो गई। अब उन्हें मेसाच्यूसेट्स के ईजेनेसिस ऑफ कैंब्रिज सेंटर में विकसित सूअर की लगाई गई है।

किडनी से निकाले सुअर वाले गुण
वैज्ञानिकों ने इस सूअर से उस जीन को निकाल दिया जिससे इंसान को खतरा था। इसके साथ ही कुछ इंसान के जीन को जोड़ा भी गया जिससे क्षमता में वृद्धि हुई। ईजेनेसिस कंपनी ने सूअर से उन वायरस को भी निष्क्रिय कर दिया जिससे इंसान में इंफेक्शन हो सकता था। इस तरह जिस सूअर की किडनी का इस्तेमाल किया गया है वह पूरी तरह इंजीनियरिंग का करिश्मा है और इसमें सूअर वाले गुण बहुत कम ही है।

पहले भी अन्य जीवों की किडनी पर किए गए हैं प्रयोग
नेचर जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इंसान में सूअर की किडनी को ट्रांसप्लांट करने से पहले इसी तरह दूसरे सूअर के जीन में भी इंजीनियरिंग की गई और इस जेनेटिकली संशोधित किडनी को पहले एक बंदर में ट्रांसप्लांट किया गया और इसे औसतन 176 दिनों तक जिंदा रखा गया। एक अन्य केस में इसे दो साल तक दो साल से ज्यादा दिनों तक जिंदा रखा गया।

ट्रांसप्लांट के लिए होती है लंबी वेटिंग लिस्ट
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में लेंगोन ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के डॉ. रॉबर्ट मोंटेगोमेरी ने बताया कि जेनेट्रासप्लांटेशन के क्षेत्र में तरक्की का नया अध्याय है। जेनोट्रासप्लांटेशन का मतलब किसी जीव के अंगों को किसी अन्य जीव के अंगों में फिट करना। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में हजारों लोगों को किडनी फेल्योर की समस्या से जूझना पड़ता है। अगर इस तरह से किडनी की वैकल्पिक व्यवस्था होती है यह पूरी दुनिया के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि अकेले अमरीका में एक लाख लोग अंग प्रत्यारोपण के लिए वेटिंग लिस्ट में हैं। इनमें से सबसे ज्यादा संख्या किडनी ट्रांसप्लांट की है।


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Content Editor

Mahima

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