बढ़ती जनसंख्या पर बोले मोहन भागवत- सिर्फ खाना, पीना और आबादी बढ़ाना यह जानवरों का काम

punjabkesari.in Thursday, Jul 14, 2022 - 03:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: जनसंख्या नियंत्रण (population control) पर गरमा गरम चर्चाओं के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है योग्यतम की उत्तरजीविता का नियम (Survival of the fittest) उन जानवरों पर लागू होता है, जो खाते है पीते और आबादी बढ़ाते हैं। जब मानव की बात आती है तो योग्यतम व्यक्ति वह है जो सबसे कमजोर को जीवित रहने में मदद करता है।

 

भागवत ने बुधवार देर रात जनसंख्या विस्फोट का जिक्र किए बिना कहा , सिर्फ खाना, पीना और आबादी बढ़ाना यह काम तो जानवर भी करते हैं, है ना? जो मजबूत है वह बच जाएगा। यह जंगल का कानून है। योग्यतम की उत्तरजीविता। यह सच्चाई है।''  हालांकि, उन्होंने कहा कि यह नियम जानवरों के लिए लागू है, मनुष्यों के लिए नहीं। 

 

मनुष्य वह जो दूसरों को जीवित रहने दे

मनुष्यों में, सबसे योग्य व्यक्ति वह है जो दूसरों को जीवित रहने देंगे। योग्यतम व्यक्ति सबसे कमजोर को जीवित रहने में मदद करेगा। यही मानवीय उत्कृष्टता का अर्थ है। भागवत ने मानव उत्कृष्टता के लिए श्री सत्य साई विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में यह बयान दिया। यहां उन्होंने महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर, इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन, भारतीय हिंदुस्तानी गायक एम वेंकटेश कुमार, परमाणु-भौतिक विज्ञानी आर चिदंबरम, पर्यावरणविद् पूर्णिमा देवी बर्मन और सी श्रीनिवास को कई लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा देने के लिए सम्मानित किया गया। सरसंघचालक के इस बयान को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुछ दिनों पूर्व दिए गए बयान के परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है जिसमे उन्होंने कहा था जनसंख्या असंतुलन को जारी रखा गया तो यह अव्यवस्था और अराजकता का कारण बन सकता है।

 

धर्म परिवर्तन को रोका जाना चाहिए 

भागवत ने कहा कि धर्म परिवर्तन को रोका जाना चाहिए क्योंकि यह व्यक्तियों को उनकी जड़ों से अलग करता है। उन्होंने एक बयान में कहा कि धर्मान्तरण अलगाववाद की ओर ले जाता है, धर्मांतरण व्यक्ति को उसकी जड़ों से अलग करता है। इसलिए, हमें धर्म परिवर्तन को रोकने का प्रयास करना चाहिए।'' उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम चाहते हैं कि भारत, भारत के रूप में बना रहे, तो हमें वैसा होना होगा जैसे हम सांस्कृतिक रूप से थे और अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर भारत, भारत नहीं रहेगा। इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी ओर ‘धर्म' का प्रसार हो।''

 

भागवत ने कहा कि संघ छुआछूत और असमानता की समस्या को हल करने पर काम कर रहा है, जो शास्त्रों में नहीं दिमाग में मौजूद है। उन्होंने कहा, ‘‘समस्या के समाधान में समय लगेगा, लेकिन एक दिन ऐसा जरूर होगा। तब तक हमें धैर्य रखना चाहिए।'' देश के विकास पर अपने विचार व्यक्त करते हुए भागवत ने कहा कि देश ने बहुत प्रगति की है और हाल के वर्षों में विकास देखा है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने अपने इतिहास से सबक सीखकर और भविष्य के विचारों को समझकर विकसित किया है। अगर किसी ने यह बात 10 या 12 साल पहले कही होती तो कोई भी इसे गंभीरता से नहीं लेता। भागवत ने कहा कि आज जो विकास दिखाई दे रहा है उसकी नींव 1857 में रखी गई थी और बाद में स्वामी विवेकानंद ने अपने दर्शन और सिद्धांतों के साथ इसे आगे बढ़ाया।


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Content Writer

Seema Sharma

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