वक्फ बिल पर JPC की पहली बैठक, विवादित पहलुओं पर हुई चर्चा

punjabkesari.in Thursday, Aug 22, 2024 - 11:41 PM (IST)

नेशनल डेस्क : वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति ने प्रस्तावित कानून के कई प्रावधानों पर विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों के बीच बृहस्पतिवार को पहली मैराथन बैठक की। बैठक के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से एक प्रस्तुति दी गई। बैठक के दौरान कई बार तीखी बहस हुई लेकिन विभिन्न दलों के सदस्यों ने कई घंटे तक बैठकर विधेयक के प्रावधानों पर अपने विचार दर्ज कराए, सुझाव दिए और स्पष्टीकरण मांगा।

इसकी अगली बैठक 30 अगस्त को होगी
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के ए. राजा के साथ कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों ने जिलाधिकारी को और अधिकार देने और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को रखने सहित कई प्रावधानों की आवश्यकता पर सवाल उठाए। कुछ सदस्यों ने कहा कि मंत्रालय बैठक में उठाए गए सवालों का जवाब देने के लिए ‘पर्याप्त' रूप से तैयार नहीं दिखा। समिति के एक सदस्य ने बताया कि इसकी अगली बैठक 30 अगस्त को होगी।

समिति मुस्लिम निकायों सहित सभी हितधारकों से बात करेगी
"समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि समिति विभिन्न मुस्लिम निकायों सहित सभी हितधारकों से बात करेगी। संसद ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ सदस्य जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति को विवादास्पद विधेयक की जांच करने का काम सौंपा है। विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इस विधेयक का विरोध किया है। लोकसभा सचिवालय ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे ‘विधेयक पर प्रस्तावित संशोधनों' पर समिति को जानकारी देंगे।

समिति विभिन्न हितधारकों की आवाज सुनेगी
पाल ने बैठक से पहले कहा कि समिति विधेयक पर विस्तार से चर्चा करेगी और इससे जुड़ी चिंताओं पर भी विमर्श करेगी। उन्होंने कहा कि समिति विभिन्न हितधारकों की आवाज सुनेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी 44 संशोधनों पर चर्चा करेंगे और अगले सत्र तक एक अच्छा और व्यापक विधेयक लाएंगे।'' पाल ने कहा कि समिति विभिन्न पंथों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न मुस्लिम संगठनों को बुलाएगी ताकि उनके विचार सुने जा सकें। यह विधेयक भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार की पहली बड़ी पहल है, जिसका उद्देश्य एक केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार करना है। यह कई सुधारों का प्रस्ताव करता है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व के साथ राज्य वक्फ बोर्डों समेत एक केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना शामिल है।

विधेयक को 8 अगस्त को पेश किया गया था
विधेयक का एक विवादास्पद प्रावधान, जिला कलेक्टर को यह निर्धारित करने के लिए प्राथमिक प्राधिकरण के रूप में नामित करने का प्रस्ताव है कि क्या संपत्ति को वक्फ या सरकारी भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है। विधेयक को आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था और बहस के बाद संसद की एक संयुक्त समिति को भेजा गया था। सरकार ने जोर देकर कहा कि प्रस्तावित कानून मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं रखता है जबकि विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए उठाया गया कदम और संविधान पर हमला बताया। 

 

 


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Content Editor

Utsav Singh

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