साल 1951 का दिल्ली विधानसभा का पहला चुनाव, क्यों और कैसे था खास यह चुनाव

punjabkesari.in Tuesday, Jan 07, 2025 - 08:24 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा के पहले चुनाव ने स्थानीय शासन की दिशा को तय किया और दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य को आकार दिया। चौधरी ब्रह्म प्रकाश का मुख्यमंत्री के रूप में योगदान और गयाप्रसाद कात्यायन का विपक्ष में कड़ा रुख, दोनों ने दिल्ली के विकास और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नई दिशा दी। यह चुनाव दिल्ली के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर था, जिसने आगामी वर्षों में होने वाले चुनावों की नींव रखी।

1951 में दिल्ली में हुआ पहला विधानसभा चुनाव
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बाद, दिल्ली के नागरिकों को पहली बार अपने स्थानीय प्रतिनिधियों को चुनने का मौका मिला था। 1951 में हुए पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव ने न केवल दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य को बदलने का काम किया, बल्कि इसने स्थानीय स्वशासन की नींव भी रखी। उस समय दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश था, और यहां की विधानसभा का गठन केवल एक प्रतिनिधि निकाय के रूप में हुआ था।

चुनाव परिणाम और प्रमुख दल
दिल्ली विधानसभा चुनाव 1951 में कुल 48 सीटों के लिए हुआ था। इस चुनाव में प्रमुख रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) और कुछ छोटे दलों के बीच मुकाबला था। कांग्रेस ने 39 सीटों के साथ विधानसभा में अपनी प्रमुख स्थिति बनाई, जबकि अन्य दलों और स्वतंत्र उम्मीदवारों ने 9 सीटों पर कब्जा किया। इस चुनाव के बाद दिल्ली में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दबदबा साफ़ तौर पर देखने को मिला।

चुनाव के बाद सरकार का गठन
चुनाव परिणाम के बाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता चौधरी ब्रह्म प्रकाश को दिल्ली का पहला मुख्यमंत्री चुना गया। उन्होंने 1951 से 1955 तक दिल्ली की बागडोर संभाली। ब्रह्म प्रकाश का कार्यकाल दिल्ली के विकास और शहरीकरण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। उनके नेतृत्व में, दिल्ली में कुछ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शुरुआत हुई, जिससे शहर का रूप बदलने की दिशा में कदम बढ़े।

विपक्ष की भूमिका में गयाप्रसाद कात्यायन की भूमिका
दिल्ली विधानसभा में विपक्षी दलों की भूमिका भी महत्वपूर्ण थी, खासकर गयाप्रसाद कात्यायन के नेतृत्व में। वह सोशलिस्ट पार्टी से थे और दिल्ली विधानसभा में प्रमुख विपक्षी नेता थे। कात्यायन ने विशेष रूप से समाजवादी दृष्टिकोण से दिल्ली के विकास और लोगों के मुद्दों को उठाया। उनका ध्यान खासकर श्रमिक वर्ग, सामाजिक न्याय और ग्रामीण विकास पर था।

दिल्ली की राजनीति में बदलाव
साल 1951 का यह चुनाव दिल्ली के राजनीतिक इतिहास का पहला कदम था, लेकिन इसने दिल्ली की राजनीति को पूरी तरह से बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कार्य किया। हालांकि उस समय दिल्ली में मुख्यमंत्री और विधानसभा का दायरा सीमित था, क्योंकि दिल्ली की शासन व्यवस्था के कई महत्वपूर्ण पहलू केंद्र सरकार के अधीन थे। फिर भी, इस चुनाव ने दिल्लीवासियों को अपनी राय रखने का अवसर प्रदान किया और स्थानीय मुद्दों पर चर्चा करने का मंच उपलब्ध कराया।

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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