उंगलियों के निशान ने दो साल बाद अपनों से मिलाया, बेटी को देखकर भावुक हुए माता-पिता
punjabkesari.in Wednesday, Mar 16, 2022 - 07:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क: आधार कार्ड सिर्फ पहचान और कई सरकारी सुविधाओं की पात्रता का जरिया ही नहीं बिछड़ों को मिला भी सकता है। ऐसा ही कुछ हुआ है कानपुर में। जहां आधार कार्ड की वजह से रामनगर, लुधियाना की रहने वाली एक बच्ची दो साल बाद दोबार मिल गई है। यह बच्ची न तो बोल सकती है और न ही सुन सकती है। ये कहानी है रेशमी की। पूरी कहानी बड़ी ही इमोशनल है।
स्वरूप नगर स्थित राजकीय बालिका गृह के सूत्रों के मुताबिक, दो साल जब बच्ची कानपुर रेलवे स्टेशन पर मिली तो वह अपना नाम, पता और परिवार के बारे में जानकारी नहीं दे पाईं। क्योंकि वह मूबबधिर है। राजकीय बालिका गृह अधीक्षक ने लड़की को एक नया नाम मनु दिया। वह करीब दो साल तक यहां रहीं। अधीक्षक ने पांचवीं कक्षा में उसे स्कूल दिलाने की प्रक्रिया शुरू की। साथ ही महिला कल्याण निदेशालय की ओर से लावारिस बच्चों के लिए आधार कार्ड बनवाने का आदेश भी आया।
फिंगरप्रिंट ने मिलवाया
23 जनवरी को जब यूआईडीएआई की टीम ने बालिका गृह में अंगूठे के निशान और आंखों के स्कैन लेना शुरू किया तब उन्हें पता चला कि मनु का बायोमेट्रिक रिकॉर्ड पहले से मौजूद है।यूआईडीएआई टीम ने लखनऊ जाकर मनु का फिंगरप्रिंट और रेटिना स्कैन के आधार पर उसका पहले से बना हुआ आधार कार्ड निकाला। 6 दिन पहले बालिका गृह आई और मनु का आधार अधीक्षक उर्मिला गुप्ता को सौंप दिया। तब उन्हें पता चला कि मनु का असली नाम रेशमी था और वह लुधियाना के रामनगर की रहने वाली थी।
बच्ची को देखकर भावुक हुए माता-पिता
अधीक्षक उर्मिला गुप्ता ने जल्द ही इस बारे में लुधियाना बाल कल्याण समिति से संपर्क किया। वहां की समिति ने राम नगर कॉलोनी में मनु के माता-पिता का पता लगाया। इसके बाद अधीक्षक उर्मिला ने लड़की के माता-पिता को कानपुर बुलाया। रेशमी के पिता शंकर राय, मां बिंदू देवी, भाई मित्ररंजन और चाची शबनम कानपुर पहुंचे। मनु यानि रेशमी को अपने सामने देखकर उनकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था। अधीक्षक ने कहा कि बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश कर बच्ची को उसके माता-पिता के हवाले कर दिया जाएगा।