फारूक ने किया शहादत का अपमान: बोले मुस्लमानों को किया जा रहा है बदनाम

punjabkesari.in Saturday, Apr 29, 2017 - 08:38 PM (IST)

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और श्रीनगर से नैशनल कान्फ्रेंस के सांसद डा फारूक अब्दुल्ला ने एक बार फिर विवादित बयान जारी किया है। उन्होंने कुपवाड़ा में मारे गए शहीदों पर बयान जारी किया है। उन्होंने पूछा है कि कुपवाड़ा में शहीदों की शहादत पर इतना हल्ला क्यों मचा है। सुकमा में नक्सली हमले में मारे गए शहीदों पर कोई क्यों नहीं बोल रहा या फिर किसी को रोना क्यों नहीं आ रहा है।


फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह सब मुस्लमानों को बदनाम करने की साजिशें हैं।  अब्दुल्ला ने कहा कि कुपवाड़ा हमले में सैनिकों की शहादत को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है, लेकिन सुकमा हमले के शहीदों के लिए कोई बात नहीं हो रही। यह दोहरी राजनीती देश को बरबादी की कगार पर ले जा रही है। अब्दुल्ला ने कहा कि मुस्लिमों के खिलाफ  नफरत भडक़ाना और साजिश रचना बंद करो। मुस्लिम इस देश के वाशिंदें है और वाशिंदों के खिलाफ  साजिश रचना खतरनाक होता है। इस देश पर जितना हक हिन्दू समाज का है उतना ही अधिकार मुस्लिम समाज का है।


वार्ता में अलगववादियों को शामिल करने से इंकार करने पर गंभीर नतीजे होंगे
विपक्षी नैशनल कांफ्रैंस (नैकां) और श्रीनगर से लोकसभा सदस्य ड़ॉ फारुक अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि केन्द्रीय सरकार द्वारा अलगाववादी नेताओं से वार्ता करने से इंकार किए जाने के गंभीर नतीजे होंगे और नई दिल्ली की यह नीति निकट भविष्य में विनाशकारी साबित होगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बैठक के दो दिनों बाद नई दिल्ली की ओर से इस तरह का रवैया केवल भारत सरकार के लापरवाही को दर्शाता हैं।


एक बयान में फारुक ने कहा कि यदि महबूबा मुफ्ती लोगों की शुभचिंतक होती तो उन्होंने कुर्सी को छोड़ दिया होता लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने एक भी शब्द नहीं कहा।
उन्होंने कहा कि नैकां का मानना है कि कश्मीर एक विवाद है जिसके समाधान के लिए वार्ता अनिवार्य है और अलगाववादी नेतृत्व महत्वपूर्ण पार्टी हैं।


इंटरनेट बैन को बताया गलत
नैकां अध्यक्ष ने कहा कि कश्मीरियों की भावनाओं को दबाया जा रहा है। इंटरनेट प्रतिबंध की वजह से लोग पीड़ित हैं। कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए छात्र सडक़ों पर हैं। सरकार को वार्ता में हितधारकों को शामिल करना चाहिए क्योंकि शांति और कानून व्यवस्था को बनाए रखने का यह एकमात्र तरीका है। डा फारूक अब्दुल्ला इससे पहले भी कई विवादित बयसन जारी कर चुके हैं। उन्होंने इससे पहले कश्मीर के पत्थरबाजों की पैरवी की थी और उनकी लड़ाई देश के लिए बताई थी। डा अब्दुल्ला को उनके सेंस ऑफ हयूमर के लिए जाना जाता है पर पिछले कुछ समय से वह काफी विवादित बयान जारी कर पूरे देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

 

 

 


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