जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के परिजनों को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी : अमित शाह

punjabkesari.in Monday, May 27, 2024 - 02:49 PM (IST)

नेशनल डेस्क : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सख्त संदेश देते हुए कहा है कि जम्मू कश्मीर में किसी आतंकवादी या पथराव करने वाले किसी व्यक्ति के परिजनों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। शाह ने यह भी कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने न केवल आतंकवादियों को निशाना बनाया है, बल्कि आतंकी ढांचे को भी समाप्त कर दिया है जिससे देश में आतंकी घटनाओं में काफी कमी आई है। उन्होंने बीते सप्ताहांत में ‘पीटीआई-भाषा' को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमने कश्मीर में फैसला किया है कि अगर कोई किसी आतंकवादी संगठन से जुड़ जाता है तो उसके परिवार के सदस्यों को कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी।'' शाह ने यह भी कहा कि अगर कोई पथराव में शामिल रहता है तो उसके परिवार के सदस्यों को भी कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी।

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उच्चतम न्यायालय में सरकार की जीत हुई
उन्होंने कहा कि फैसले के खिलाफ मानवाधिकार कार्यकर्ता उच्चतम न्यायालय में गए थे, लेकिन अंतत: सरकार की जीत हुई। हालांकि, गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसे मामलों को अपवाद स्वरूप लेगी जब किसी परिवार से कोई व्यक्ति खुद आगे आकर अधिकारियों को सूचित करता है कि उसका कोई करीबी रिश्तेदार किसी आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे परिवारों को राहत दी जाएगी। शाह ने कहा कि पहले कश्मीर में किसी आतंकी के मारे जाने के बाद जनाजा निकाला जाता था। उन्होंने कहा, ‘‘हमने यह परिपाटी बंद कर दी। हमने सुनिश्चित किया कि आतंकवादी को सभी धार्मिक रिवाजों के साथ सुपुर्दे खाक किया जाए लेकिन किसी निर्जन स्थान पर।''

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आतंकवादी को आत्मसमर्पण का अवसर दिया जाता है
गृह मंत्री ने कहा कि जब कोई आतंकवादी सुरक्षा बलों से घिरा होता है तो पहले उसे आत्मसमर्पण का अवसर दिया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम उसकी मां या पत्नी आदि किसी परिजन को बुलाते हैं और उनसे कहते हैं कि आतंकवादी से आत्मसमर्पण की अपील करें। अगर वह (आतंकी) नहीं सुनता तो मारा जाता है।'' गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में काफी गिरावट आई है क्योंकि सरकार ने न केवल आतंकवादियों को निशाना बनाया है बल्कि आतंकी ढांचे को भी नेस्तानाबूद कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने एनआईए (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ मजबूत कार्रवाई की है और इसे समाप्त कर दिया है। हमने आतंकवाद के वित्तपोषण पर बहुत सख्त रुख अपनाया है।''

खालिस्तानी समर्थक को NSA के तहत जेल में डाला 
प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के संदर्भ में शाह ने कहा कि सरकार ने संगठन द्वारा आतंकवादी विचारधारा के प्रकाशन और प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है। केरल में स्थापित मुस्लिम चरमपंथी समूह पीएफआई पर केंद्र सरकार ने 2022 में विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत पाबंदी लगा दी थी। आतंकी गतिविधियों के साथ कथित संपर्कों को लेकर यह प्रतिबंध लगाया गया था। कथित खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह के मामले को लेकर शाह ने कहा, ‘‘हमने उसे एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) के तहत जेल में डाल दिया है।''

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चरमपंथी सिख अलगाववादी समूह ‘वारिस पंजाब दे' के मुखिया अमृतपाल सिंह को अप्रैल 2023 में एनएसए के तहत पंजाब में गिरफ्तार किया गया था और वह इस समय असम की डिब्रूगढ़ जेल में है। सिंह ने हाल में जेल से पंजाब की खडूर साहिब सीट से लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जम्मू कश्मीर में 2018 में आतंकवाद की 228 घटनाएं सामने आई थीं और 2023 में यह संख्या घटकर करीब 50 रह गई।

आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में 55 आम नागरिक मारे गए
आंकड़ों के अनुसार सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच 2018 में मुठभेड़ की 189 घटनाएं घटीं और 2023 में इनकी संख्या घटकर 40 के आसपास रह गई। साल 2018 में आतंकवाद से जुड़ी विभिन्न घटनाओं में करीब 55 आम नागरिक मारे गए थे। यह संख्या 2023 में घटकर पांच रह गई। आंकड़ों के अनुसार 2018 में जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा में कुल 91 सुरक्षा कर्मी मारे गए थे और यह संख्या 2023 में घटकर करीब 15 रह गई। 

 

 


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Content Editor

Utsav Singh

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