'मध्यस्थता में सुधारों पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट कानून मंत्रालय को सौंपी', केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी
punjabkesari.in Wednesday, Feb 21, 2024 - 05:31 PM (IST)

नेशनल डेस्क: केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया कि पूर्व विधि सचिव टी. के. विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने मध्यस्थता क्षेत्र में प्रस्तावित सुधारों पर अपनी रिपोर्ट कानून मंत्रालय को सौंप दी है। केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने शीर्ष अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने अभी तक रिपोर्ट पर अंतिम रुख नहीं अपनाया है।
सभी पक्षों को रिपोर्ट साझा करने के निर्देश
इस बात का संज्ञान लेते हुए प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अटॉर्नी जनरल से संबंधित पक्षों के साथ रिपोर्ट साझा करने को कहा। पीठ ने कहा, ‘‘सरकार रिपोर्ट पर फैसला लेगी, लेकिन आप इसे पक्षकारों को वितरित करें। रिपोर्ट एक मार्च, 2024 तक पक्षकारों को दी जा सकती है।" इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक बड़ी पीठ के गठन के लिए 2021 में तीन-न्यायाधीशों की शीर्ष अदालत की पीठ द्वारा दो संदर्भ दिए गए थे।
किसी अन्य को मध्यस्थ नहीं बना सकता अयोग्य व्यक्ति
शीर्ष अदालत ने 2017 और 2020 में कहा था कि जो व्यक्ति खुद मध्यस्थ बनने के योग्य नहीं है, वह किसी अन्य व्यक्ति को मध्यस्थ के रूप में नामित नहीं कर सकता है। हालांकि, 2020 में एक अन्य मामले में, उच्चतम न्यायालय ने एक ऐसे व्यक्ति द्वारा की गई नियुक्ति की अनुमति दी थी, जो मध्यस्थ बनने के लिए अयोग्य था। शीर्ष अदालत अब इस मुद्दे पर निर्णय कर रही है। सीजेआई ने 26 जून, 2023 को इसकी पड़ताल के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन किया था।
विश्वनाथन के नेतृत्व में विशेषज्ञ समिति का गठन
भारत को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बनाने के प्रयास के बीच, सरकार ने अदालतों पर बोझ को कम करने के लिए मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम में सुधार की सिफारिश करने के वास्ते पूर्व विधि सचिव टी. के. विश्वनाथन के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।
समिति में ये अधिकारी शामिल
केंद्रीय कानून मंत्रालय में कानूनी मामलों के विभाग द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति में वेंकटरमणी भी शामिल हैं। विधि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव राजीव मणि, कुछ वरिष्ठ अधिवक्ता, निजी विधि कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ ही विधायी विभाग, नीति आयोग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), रेलवे तथा केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के अधिकारी इसके अन्य सदस्य हैं।