Exclusive: ट्रूडो की बर्बादी का कारण बनेंगे ये प्रमुख फैसले ! "AA" बनेगा गले की हड्डी, न कुर्सी बचेगी न साख
punjabkesari.in Thursday, Oct 17, 2024 - 06:37 PM (IST)
International Desk (तनुजा तनु): कनाडा के प्रधानमंत्री ( Canadian Prime Minister) जस्टिन ट्रूडो ( Justin Trudeau) की लोकप्रियता में गिरावट और उनके द्वारा लिए गए कुछ गलत फैसले कनाडा की राजनीति में प्रमुख चर्चा का विषय बन गए हैं। यहाँ उनके कुछ प्रमुख फैसले और इसके कारण उनकी बर्बादी का कारण बनेंगे । इन वजहों से न सिर्फ उनकी कुर्सी जाएगी बल्कि उनकी छवि भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हो रही है।
महंगाई : ट्रूडो सरकार के तहत कनाडा (Canada) में महंगाई दर में वृद्धि हुई है, जिससे आम जनता पर आर्थिक दबाव बढ़ा है। खाद्य वस्तुओं और अन्य आवश्यक चीजों की कीमतों में भारी वृद्धि ने नागरिकों में असंतोष पैदा किया है। यह स्थिति उनके समर्थन में कमी का एक बड़ा कारण हैवास संकट**: कनाडा में आवास की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। ट्रूडो के आवास नीति के तहत घरों की उपलब्धता कम हो गई है, जिससे युवा और मध्यम वर्ग के लोगों को परेशानी हो रही है। इस संकट ने उनकी लोकप्रियता को और घटाया है।
ट्रूडो की लोकप्रियता में गिरावटः ट्रूडो की लोकप्रियता पिछले एक साल में काफी गिर गई है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, सितंबर 2023 में 39% लोग उनकी नीतियों से असंतुष्ट थे, जो अब बढ़कर 65% हो गए हैं। उनका अनुमोदन दर 51% से घटकर 30% तक पहुँच गया है। यह गिरावट मुख्य रूप से महंगाई, आवास संकट और बेरोजगारी कारण है।
"AA" बनेगा गले की हड्डीः ट्रूडो के लिए "आआ" यानि आवास संकट और आव्रजन ((AA) मुद्दा गले की फांस साबित हो सकती है। कनाडा में महंगाई दर तेजी से बढ़ रही है, जिससे आम जनता पर दबाव बढ़ रहा है। आवास की कीमतें भी अत्यधिक बढ़ गई हैं, जिससे युवा और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए घर खरीदना मुश्किल हो गया है। यह मुद्दा लोगों की नाराजगी का एक बड़ा कारण बन गया है । ट्रूडो की सरकार को अव्रजन नीति के चलते भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। लोग यह मानते हैं कि अव्रजन के कारण नौकरियों में कमी आ रही है और घरेलू कामकाजी लोगों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है ।
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राजनीतिक संकट: ट्रूडो की सरकार अब नाजुक स्थिति में है, खासकर जब से न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने समर्थन वापस ले लिया है। इस स्थिति ने उन्हें एक "लैम डक" सरकार में बदल दिया है, जहां वे अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं । ट्रूडो के पार्टी के भीतर भी चुनौतियाँ हैं। कुछ सांसद उनके नेतृत्व से असंतुष्ट हैं और पार्टी में विद्रोह की स्थिति बन रही है। चुनावी हार के बाद, पार्टी के कुछ सदस्य ट्रूडो को पार्टी का नेता बदलने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहे हैं ।
जानबूझ कर भारत को बनाया टारगेटः इन सभी मुद्दों का सामना करते हुए ट्रूडो ने हाल के भारत के साथ तनाव को बढ़ाने का सहारा लिया है, ताकि वह कश्मीरी और खालिस्तानी वोटरों को अपने पक्ष में कर सकें। हालांकि, यह कदम उनके घरेलू मुद्दों से ध्यान भटकाने के रूप में देखा जा रहा है । ट्रूडो ने भारत के खिलाफ खालिस्तान समर्थक वोटरों को संतुष्ट करने के लिए कुछ विवादास्पद टिप्पणियाँ की हैं। उन्होंने भारतीय सरकार पर आरोप लगाया कि उसने कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संलिप्तता दिखाई है। भारत ने इस आरोप को नकारते हुए इसे "बेतुका" और "राजनीतिक" बताया है। यह कदम ट्रूडो को खालिस्तानी वोटरों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए हो सकता है, लेकिन इससे उनके और भारत के संबंधों में और खटास आई है।
लिबरल पार्टी में विद्रोह: लिबरल पार्टी के भीतर भी विद्रोह की स्थिति बन रही है। कुछ सांसद उनके नेतृत्व से असंतुष्ट हैं और पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं। इससे उनकी स्थिति और कमजोर हुई है, और यह उनके लिए एक नया राजनीतिक संकट खड़ा कर सकता है। ट्रूडो की ये चुनौतियाँ और गलत फैसले उनके विष्य पर भारी पड़ सकते हैं, खासकर अगले चुनावों के मद्देनजर। यदि वह इन मुद्दों का समाधान नहीं कर पाते हैं, तो उनकी राजनीतिक विरासत को खतरा हो सकता है। विदेशी हस्तक्षेप के आरोपों को लेकर जस्टिन ट्रूडो और कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोलिवरे आमने सामने आ गए हैं। पोलिवरे ने कहा कि ट्रूडो "एक नंबर के झूठे" हैं और वे विदेशी हस्तक्षेप के मुद्दे को लेकर सच्चाई को छुपा रहे हैं।
जनता मांग रही इस्तीफाः चार्लोटटाउन के सांसद शॉन केसी (MParliament Charlottetown Sean Casey) ने खुलासा किया कि उनके मतदाता ट्रूडो के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। केसी ने बताया कि "लोग थक चुके हैं। वे उन्हें सुन नहीं रहे हैं और चाहते हैं कि वह जाएं।" मॉन्ट्रियल के सांसद एंथनी हाउसफादर ने भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई है। उन्होंने कहा कि लिबरल पार्टी को अपने नेतृत्व पर गंभीरता से चर्चा करनी चाहिए, खासकर आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए।